prajapati Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
prajapati ka kya matlab hota hai
प्रजापति
Noun:
प्रजापति,
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prajapati शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उनके प्रमुख शिष्य थे- आनन्द, अनिरुद्ध, महाकश्यप, रानी खेमा (महिला), महाप्रजापति (महिला), भद्रिका, भृगु, किम्बाल, देवदत्त, उपाली, अंगुलिमाल आदि।
योग दर्शन के अनुसार ईश्वर ही प्रजापति औत इन्द्र जैसे देवताओं और अंगीरा जैसे ऋषियों के पिता और गुरु हैं।
प्रजापति ने सोचा कि देव हों या असुर, आत्मा का साक्षात्कार किये बिना उसका पराभव होगा।
महाप्रजापति : महाप्रजापति बुद्ध की माता महामाया की बहन थीं।
प्रजापति की उक्ति सुनकर देवता तथा असुर दोनों ही उस आत्मा को जानने के लिए उत्सुक हो उठे, अत: देवताओं के राजा इन्द्र तथा असुरों के राजा विरोचन परस्पर ईर्ष्याभाव के साथ हाथों में समिधाएं लेकर प्रजापति के पास पहुंचे।
प्रजापति कश्यप का निघण्टु संसार का प्राचीनतम शब्द संकलन है।
नौ मन्त्रों के इस सूक्त में प्रत्येक मन्त्र में 'कस्मै देवाय हविषा विधेम' कहकर यह बात दोहरार्इ गयी है कि ऐसे महनीय हिरण्यगर्भ को छोड़कर हम किस अन्य देव की आराधना करेंं? हमारे लिए तो यह 'क' संज्ञक प्रजापति ही सर्वाधिक पूजनीय है।
प्रजापति की उक्ति थी कि पापरहित, जराशून्य, मृत्यु-शोक आदि विकारों से रहित आत्मा को जो कोई जान लेता है, वह संपूर्ण लोक तथा सभी कामनाओं को प्राप्त कर लेता है।
तत्पश्चात महाप्रजापति ने उनका अपने पुत्र जैसे पालन-पोषण किया।
इन ऋषियों को प्रजापति भी कहते हैं।
देवताओं के पास पहुँचने से पूर्व ही इन्द्र ने सोचा कि सकोरे में आभूषण पहनकर सज्जित रूप दिखता है, खंडित देह का खंडित रूप, अंधे का अंधा रूप, फिर यह अजर-अमर आत्मा कैसे हुई? वे पुन: प्रजापति के पास पहुंचे।
वैदिक काल के मुख्य देव थे-- इन्द्र, अग्नि, सोम, वरुण, रूद्र, विष्णु, प्रजापति, सविता (पुरुष देव) और देवियाँ-- सरस्वती, ऊषा, पृथ्वी, इत्यादि (कुल 33)।
इन ऋषियों को प्रजापति भी कहते हैं।
यही स्थान समंत-पंचक अथवा प्रजापति की उत्तरवेदी कहलाता है।
उनमें प्रजापति के 'राजशास्त्र' का भी उल्लेख हुआ है।
योग दर्शन के अनुसार ईश्वर ही प्रजापति औत इन्द्र जैसे देवताओं और अंगीरा जैसे ऋषियों के पिता और गुरु हैं।
दोनों ने बत्तीस वर्ष तक ब्रह्मचर्य पालन किया, तदुपरांत प्रजापति ने उनके आने का प्रयोजन पूछा।
नौ मन्त्रों के इस सूक्त में प्रत्येक मन्त्र में 'कस्मै देवाय हविषा विधेम' कहकर यह बात दोहरार्इ गयी है कि ऐसे महनीय हिरण्यगर्भ को छोड़कर हम किस अन्य देव की आराधना करेंं? हमारे लिए तो यह 'क' संज्ञक प्रजापति ही सर्वाधिक पूजनीय है।
वायुपुराण के चार पाद है, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, कल्पों ओर मन्वन्तरों, वैदिक ऋषियों की गाथाओं, दक्ष प्रजापति की कन्याओं से भिन्न भिन्न जीवोत्पति, सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओं की वंशावली तथा कलि के राजाओं का प्रायः विष्णुपुराण के अनुसार वर्णन है।
वैदिक काल के मुख्य देव थे-- इन्द्र, अग्नि, सोम, वरुण, रूद्र, विष्णु, प्रजापति, सविता (पुरुष देव) और देवियाँ-- सरस्वती, ऊषा, पृथ्वी, इत्यादि (कुल 33)।
ग्वालियर, कुंभार (प्रजापति) समुदाय की सामाजिक संरचना के अध्ययन की दृष्टि से भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां हथेरिया एवं चकरेटिया दोनों ही प्रकार के कुंभार पाये जाते है।
उनकी जिज्ञासा जानकर प्रजापति ने उन्हें सुन्दर वस्त्रालंकरण से युक्त होकर जल से आपूरित सकोरे में स्वयं को देखने के लिए कहा और बताया कि वही आत्मा है।
उनमें प्रजापति के 'राजशास्त्र' का भी उल्लेख हुआ है।
वायुपुराण के चार पाद है, जिनमें सृष्टि की उत्पत्ति, कल्पों ओर मन्वन्तरों, वैदिक ऋषियों की गाथाओं, दक्ष प्रजापति की कन्याओं से भिन्न भिन्न जीवोत्पति, सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओं की वंशावली तथा कलि के राजाओं का प्रायः विष्णुपुराण के अनुसार वर्णन है।
यही स्थान समंत-पंचक अथवा प्रजापति की उत्तरवेदी कहलाता है।
प्रजापति कश्यप का निघण्टु संसार का प्राचीनतम शब्द संकलन है।