दक्खिनी,दक्षिणा का रहने वाला Meaning in English
दक्खिनी,दक्षिणा का रहने वाला शब्द का अंग्रेजी अर्थ : a resident of Dakkhini Dakshina
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दक्खिनी,दक्षिणा-का-रहने-वाला हिंदी उपयोग और उदाहरण
""देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
""लेखक ने कर्मकारक एवं सम्प्रदान कारक का रूप ‘‘कुँ माना है जो दक्खिनी हिन्दी के प्रभाव के कारण है।
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
""दक्खिनी पछेला करि खेला तैं अजब खेल,।
"" कहीं तो पाणिनि की सूक्ष्म छानबीन पर आश्चर्य होता हैं, जैसे व्यास नदी के उत्तरी किनारे की बाँगर भूमि में जो पक्के बारामासी कुएँ बनाए जाते थे उनके नामों का उच्चारण किसी दूसरे स्वर में किया जाता था और उसी के दक्खिनी किनारे पर खादर भूमि में हर साल जो कच्चे कुएँ खोद लिए जाते थे उनके नामों का स्वर कुछ भिन्न था।
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भारत की भाषायी जनगणना 2001 में बज्जिका, अंगिका, कवारसी, दक्खिनी, कन्नौजी आदि बहुसंख्य बोलियों को हिंदी की श्रेणी से गायब कर दिया गया है जबकि सूचिबद्ध कई बोलियाँ ऐसी है जिनकी संख्या बहुत कम और अनजान है।
""'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
खड़ी बोली अनेक नामों से अभिहित की गई है यथा- हिन्दुई, हिन्दवी, दक्खिनी, दखनी या दकनी, रेखता, हिन्दोस्तानी, हिन्दुस्तानी आदि।
इनकी हिन्दी रचनाओं की भाषा, ब्रज और दक्खिनी हिन्दी है ११।
लेखक ने कर्मकारक एवं सम्प्रदान कारक का रूप ‘‘कुँ माना है जो दक्खिनी हिन्दी के प्रभाव के कारण है।
""(2) दक्खिनी - उर्दू-हिन्दी का वह रूप जो हैदराबाद और उसके आसपास की जगहों में बोला जाता है।
(4) दक्खिनी में हिन्दी गद्य:- गेसुदराज कृत'मेराजुलआशिकीन' तथा मूल्ला वजही कृत $सबरस$ में प्राचीन दक्खिनी हिन्दी गद्य रुप को देखा जा सकता है।
ज्ञानेश्वर, एकनाथ, तुकाराम, रामदास प्रभृति भक्त-संतों की हिंदी रचनाओं की भाषा, ब्रज और दक्खिनी हिंदी है।