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upanisad Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


upanisad ka kya matlab hota hai


उपनिषद्

Noun:

उपनिषद,



upanisad शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



शात्यायिन शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्।

उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।

हर वेद में चार भाग हैं- संहिता—मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ—गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक—इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्—इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।

फलतः उपनिषद् वे ‘तत्त्व’ प्रतिपादक ग्रन्थ माने जाते हैं जिनके अभ्यास से मनुष्य को ब्रह्म अथवा परमात्मा का साक्षात्कार होता है।

बृहदारण्यक उपनिषद (१०) शुक्ल यजुर्वेद, मुख्य उपिनषद्।

अर्थात्-जिससे ब्रह्म का साक्षात्कार किया जा सके, वह उपनिषद् है।

इनके अतिरिक्त नारायण, नृसिंह, रामतापनी तथा गोपाल चार उपनिषद् और हैं।

उपनिषद उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं।

श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं।

हिन्दू धर्मग्रन्थ उपनिषदों के अनुसार ब्रह्म ही परम तत्त्व है (इसे त्रिमूर्ति के देवता ब्रह्मा से भ्रमित न करें)।

(१) ऋग्वेदीय -- १० उपनिषद्

उपनिषद् का अन्य अर्थ उप (समीप) निषत् -निषीदति-बैठनेवाला।

शात्यायिन शुक्ल यजुर्वेद, संन्यास उपनिषद्

केन (उपनिषद्) सामवेद, मुख्य उपिनषद्।

(३) कृष्ण यजुर्वेदीय -- ३२ उपनिषद्

अद्वैत वेदान्त, भगवद गीता, वेद, उपनिषद्, आदि के मुताबिक सभी देवी-देवता एक ही परमेश्वर के विभिन्न रूप हैं (ईश्वर स्वयं ही ब्रह्म का रूप है)।

(५) अथर्ववेदीय -- ३१ उपनिषद्

हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थ अनादि, नित्य हैं, ईश्वर की कृपा से अलग-अलग मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को अलग-अलग ग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने फिर उन्हें लिपिबद्ध किया।

वेद-पुरुष के शिरोभाग को उपनिषद् कहते हैं।

मुक्तिकोपनिषद् में एक सौ आठ (१०८) उपनिषदों का वर्णन आता है, इसके अतिरिक्त अडियार लाइब्रेरी मद्रास से प्रकाशित संग्रह में से १७९ उपनिषदों के प्रकाशन हो चुके है।

४-अथर्वशिर उपनिषद् (सामवेद)।

वेद-पुरुष के शिरोभाग को उपनिषद् कहते हैं।

गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-।

उपनिषद् का अन्य अर्थ उप (समीप) निषत् -निषीदति-बैठनेवाला।

उपनिषद्यते-प्राप्यते ब्रह्मात्मभावोऽनया इति उपनिषद्

श्रुति के अन्तर्गत वेद : ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद ब्रह्म सूत्र व उपनिषद् आते हैं।

उपनिषद्यते-प्राप्यते ब्रह्मात्मभावोऽनया इति उपनिषद्।

कठ उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपिनषद्।

४-अथर्वशिर उपनिषद् (सामवेद)।

अर्थात्-जिससे ब्रह्म का साक्षात्कार किया जा सके, वह उपनिषद् है।

(४) सामवेदीय -- १६ उपनिषद्

(२) शुक्ल यजुर्वेदीय -- १९ उपनिषद्

कठ उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेद, मुख्य उपिनषद्।

विभिन्न दृष्टान्तों, उदाहरणों, रूपकों, संकेतों और युक्तियों द्वारा आत्मा, परमात्मा, ब्रह्म आदि का स्पष्टीकरण इतनी सफलता से उपनिषद् ही कर सके हैं।

अद्वैत वेदान्त, भगवद गीता, वेद, उपनिषद्, आदि के मुताबिक सभी देवी-देवता एक ही परमेश्वर के विभिन्न रूप हैं (ईश्वर स्वयं ही ब्रह्म का रूप है)।

हर वेद में चार भाग हैं- संहिता—मन्त्र भाग, ब्राह्मण-ग्रन्थ—गद्य भाग, जिसमें कर्मकाण्ड समझाये गये हैं, आरण्यक—इनमें अन्य गूढ बातें समझायी गयी हैं, उपनिषद्—इनमें ब्रह्म, आत्मा और इनके सम्बन्ध के बारे में विवेचना की गयी है।

उपनिषद उपनिषद् हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ हैं।

१०८ उपिनषदों की यह सूची मुक्तिक उपनिषद में १:३०-३९ में दी गयी है :।

गुजराती प्रिटिंग प्रेस बम्बई से मुदित उपनिषद्-वाक्य-महाकोष में २२३ उपनिषदों की नामावली दी गई है, इनमें उपनिषद (१) उपनिधि-त्स्तुति तथा (२) देव्युपनिषद नं-२ की चर्चा शिवरहस्य नामक ग्रंथ में है लेकिन ये दोनों उपलब्ध नहीं हैं तथा माण्डूक्यकारिका के चार प्रकरण चार जगह गिने गए है इस प्रकार अबतक ज्ञात उपनिषदो की संख्या २२० आती हैः-।

उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आए।

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