tonguelet Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
tonguelet ka kya matlab hota hai
जीभ
Adjective:
बेजुबान, मूक,
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tonguelet शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वह एक सुनहरा तलवार को आधा किलोग्राम वजन उपहार में दिया था मूकाम्बिका में मंदिर कोल्लूर , उडुपी जिले ।
१९२० में, बंबई से, उन्होंने साप्ताहिक मूकनायक के प्रकाशन की शुरूआत की।
क्या स्वागत सुहानी से शादी कर लेगा और खुशी से जीवन व्यतीत करेगा या क्या उसे रमज़ुम में सच्चा प्यार मिलेगा? जशवंत गंगानी की बेजुबान इश्क वास्तविक जीवन से शुद्ध पात्रों के साथ अनकहे प्यार और बलिदान की खूबसूरत कहानी को उजागर करती है।
—दादा साहेब फाल्के ने यहां मूक चलचित्र के द्वारा इस उद्योग की स्थापना की थी।
• कहानी ‘बेजुबान दोस्त‘ का प्रख्यात अभिनेता अनुपम खेर की मुम्बई स्थित संस्था ‘एक्टर प्रिपेयर्ज‘ द्वारा वर्ष 2013 में शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में दो बार मंचन।
यह किला भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857) का मूक गवाह है।
अंग्रेजी सरकार द्वारा भारत के स्वतंत्रता सैनानियों पर किए गए अत्याचारों की मूक गवाह इस जेल की नींव 1897 में रखी गई थी।
भेरूजी के सुपुत्र श्री गौतमजी छाजेङ बेजुबान निरीह और मूक प्राणियों के लिए चूण चुबग्गा इकट्ठा करने -करवाने में अपनी महती भूमिका आज भी निभाते हैं , उनका यह प्रयास प्रशंसनीय है ।
रारा 130A बेजुबान इश्क () 2015 की जशवंत गंगानी द्वारा निर्देशित और सीजे गडारा और दिनेश लिखिया द्वारा निर्मित हिन्दी रोमांटिक फिल्म है।
मूक फिल्मों के दौर में फिल्मों के सीनों का फिल्मांकन दिन में ही पूर्ण कर लिया जाता था क्योंकि कृत्रिम रौशनी का प्रयोग असंभव था।
खूंटे पर बंधा प्यासा बैल उसे मजे से हलुआ खाते देख रहा था लेकिन वह बेजुबान कुछ बोल न सका।
विचार आत्मा की मूक या अध्वन्यात्मक बातचीत है और वही शब्द जब ध्वन्यात्मक होकर होठों पर प्रकट होती है तो उसे भाषा की संज्ञा देते हैं।
कई सिरफिरे तो खजाने के लिए यहीं बेगुनाह बेजुबान पशुओं की बलि तक चढाते आए हैं।
(समयः 12 बजे से सात बजे तक)- पुलिस स्मारक के पास मूक बधिर विद्यालय के अहाते में विभिन्न देशों की प्यारी गुड़ियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं।
भारत भी मानो मूक बना हुआ यथावत जैसा दिखाई देने लगा था और इनके चाहने वालों एवं प्रार्थनाओं के बाद देखने के लिए एक के बाद एक, हस्ती देखने के लिए आती थीं।
सालों बाद, बलवंत की पत्नी अभी भी जिंदा है लेकिन आघात ने उसे बेजुबान छोड़ दिया है।
दलित अधिकारों की रक्षा के लिए, उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, प्रबुद्ध भारत और जनता जैसी पांच पत्रिकाएं निकालीं।
मुजफ्फर नगरके निवासी मुरली सिंह (स्पीच थैरेपिसट) ने मूक-बधिर की शिक्षा में महत्वपूर्ण योग्यता हासिल की और जनपद के सैकड़ों युवा को जागरूक किया आज मुजफ्फर नगर के सैकड़ों युवा मूक बधिर की शिक्षा में प्रशिक्षण लेकर देश के सरमस्त राज्यों में कार्यरत है।
हालांकि, संगीत निर्देशक जयकिशन पर फिल्माए गए गाने विशेष रूप से मुकेश संख्या "ऐ प्यारे दिल बेजुबान" काफी लोकप्रिय हुए और आज भी सुने जाते हैं।
पहली मूक बंगाली फीचर फिल्म, बिल्वमंगल, 1919 में निर्मित हुई थी और पहली बंगाली टॉकी, जमाई षष्ठी, 1931 में रिलीज हुई थी।