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sustentive Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


sustentive ka kya matlab hota hai


संज्ञा

Noun:

विशेष्य, संज्ञा,

Adjective:

पुष्ट आधारवाला, वस्तु-संबंधी, स्वतंत्र, पृथक सत्ता का,



sustentive शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



निर्विकल्पक- इस प्रत्यक्ष में वस्तु के स्वरूप मात्र का भान होता है, उसकी विषयभूत, में परस्पर संबंध का मान नहीं होता; अतएव इस प्रत्यक्ष की विषयता विशेषणता विशेष्यता और संसर्गता से विलक्षण होती है और वह विलक्षण विषयता ही इस प्रत्यक्ष का लक्षण है।

विशेषणों में ओकारान्त शब्द विशेष्य के लिंग, कारक के तिर्यक् रूप और वचन के अनुरूप बदलते हैं, जैसे सुठो छोकरो, सुठा छोकरा, सुठी छोकरी, सुठ्यनि छोकर्युनि खे।

कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है।

संस्कृत > सम् + सुट् + 'कृ करणे' + क्त, ('सम्पर्युपेभ्यः करोतौ भूषणे' इस सूत्र से 'भूषण' अर्थ में 'सुट्' या सकार का आगम/ 'भूते' इस सूत्र से भूतकाल(past) को द्योतित करने के लिए संज्ञा अर्थ में क्त-प्रत्यय /कृ-धातु 'करणे' या 'Doing' अर्थ में) अर्थात् विभूूूूषित, समलंकृत(well-decorated) या संस्कारयुक्त (well-cutured)।

जिस समास का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास कहलाता है।

यह अभाव विशिष्ट आधार का ज्ञान प्रत्यक्ष जैसा हो, किंतु विशेष्य-विशेषण-भाव नामक एक अलग संनिकर्ष से होता है।

(9) संज्ञात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)।

(ख) विशेषण विशेष्य के पहले होता है।

विशेषण विशेष्य-के पहले लगता है।

यद्यपि हिन्दी के प्रथम किशोरोपयोगी ज्ञानकोश (अपूर्ण) को श्री श्रीनारायण चतुर्वेदी तथा पं० कृष्ण वल्लभ द्विवेदि द्वारा विश्वभारती अभिधान दिया गया तो भी ज्ञान कोश, ज्ञानदीपिका, विश्वदर्शन, विश्वविद्यालयभण्डार आदि संज्ञाओं का प्रयोग भी ज्ञानकोश के लिये हुआ है।

अतः जो शब्द उनके नियमों की पकड़ में न आ सके, उनको देशी संज्ञा दी गयी।

ज्ञान के सभी क्षेत्रों में अलंकारें की सामग्री ली जाती है, जैसे व्याकरण के आधार पर क्रियामूलक भाविक और विशेष्य-विशेषण-मूलक अलंकारों का प्रयोग होता है।

1960, संज्ञानात्मक चिकित्सा -- आरोन टी बैक।

ब्रिटिश अंग्रेजी में खेल की गतिविधियाँ सामान्य संज्ञा "खेल" के रूप में चिह्नित हैं।

और उसे लिंगादि का वाच्य तथा शब्दबोध में मुख्य विशेष्य मानते हैं।

इनमे अच्छा, तीन और नई शब्द विशेषण है जो विशेष्य की विशेषता बतलाते।

वास्तव में मंत्र या ऋचा का संबंध वेद से है परंतु उपनिषदों की हमत्ता दर्शाने के लिए इन संज्ञाओं का उपयोग यहाँ भी कतिपय विद्वानों द्वारा किया जाता है।

विकास मनोविज्ञान में जीवन भर घटित होनेवाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम शामिल हैं।

इसकी विषयता विशेषणता-प्रकारता, विशेष्यता और संसर्गता के भेद से तीन प्रकार की होती है।

सप्ताह के दिनों के नाम ग्रहों की संज्ञाओं के आधार पर रखे गए हैं अर्थात जो नाम ग्रहों के हैं, वही नाम इन दिनों के भी हैं।

बहुव्रीहि में समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद ही किसी अन्य संज्ञादि का विशेषण होता है।

विशेष्यनिघ्न वर्ग में विशेष्या- नुसारी लिंगादि में प्रयुक्त होनेवाले नामपदों का संग्रह है।

संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं।

1967, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान -- उल्रिक नाइजर।

और भक्तों के समूह को भक्तों की संज्ञा दी जाती है।

संयोग, संयुक्तसमवाय, संयुक्तसमवेतसमवाय, समवाय, समवेतसमवाय, विशेषणविशेष्यभाव।

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