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resentence Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


resentence ka kya matlab hota hai


फिर से सजा

Noun:

बोल, सूक्ति, अपराधी ठहराना, मुजरिम ठहराना, अदालत का फ़ैसला, दंड, सज़ा, वाक्य,

Verb:

मुंह में ढक़ेलना, शिकार बनाना, अपराधी ठहराना, मुजरिम ठहराना, सज़ा देना, फ़ैसला सुनाना,



resentence शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



हिन्दी और इसकी बोलियाँ सम्पूर्ण भारत के विविध राज्यों में बोली जाती हैं।

यही कारण है कि मुक्तकाव्यों में सूक्तियों और सुभाषितों की प्राप्ति प्रचुरता से होती है।

संस्कृत की एक सूक्ति में तांबूल के गुणवर्णन में कहा है - वह वातध्न, कृमिनाशक, कफदोषदूरक, (मुख की) दुर्गंध का नाशकर्ता और कामग्नि संदीपक है।

स्थान-स्थान पर सूक्तियाँ इस बारीकी के साथ दी गई हैं कि प्रभावोत्पादन में वे दूनी वृद्धि कर देती हैं।

बहुत से वाक्य तो सूक्ति रूप में प्रयुक्त हुए हैं।

राजशेखर ने जह्लण की सूक्तिमुक्तावली में लिखा है:।

यह खड़ीबोली पर आधारित है, जो दिल्ली और उसके आस-पास के क्षेत्रों में बोली जाती थी।

विषयवस्तु के रुचिकर होने और अल्प-समय-साध्य होने के गुणों के कारण इसकी गाथाएँ, वर्णन, नाट्यगीतियाँ (जाब की पुस्तक) भविष्यवाणियाँ, सूक्तियाँ, लघु कथाएँ (रूथ के अध्ययन की कथा) सभी ने मिलकर एक सावयव आकार-प्रकार धारण कर लिया था।

भारत में हिन्दी, विभिन्न भारतीय राज्यों की 14 आधिकारिक भाषाओं और क्षेत्र की बोलियों का उपयोग करने वाले लगभग 1 अरब लोगों में से अधिकांश की दूसरी भाषा है।

अपभ्रंश का जो भी कथ्य रूप था - वही आधुनिक बोलियों में विकसित हुआ।

'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।

29. दिनकर की सूक्तियाँ (1964)।

इसकी नाटकीयता, इसके सुन्दर कथोपकथन, इसकी काव्य-सौन्दर्य से भरी उपमाएँ और स्थान-स्थान पर प्रयुक्त हुई समयोचित सूक्तियाँ; और इन सबसे बढ़कर विविध प्रसंगों की ध्वन्यात्मकता इतनी अद्भुत है कि इन दृष्टियों से देखने पर संस्कृत के भी अन्य नाटक अभिज्ञान शाकुन्तल से टक्कर नहीं ले सकते; फिर अन्य भाषाओं का तो कहना ही क्या ! तो यहीं सबसे ज्यादा अच्छा है।

अरबी एवं फ़ारसी साहित्य में भारत (हिन्द) में बोली जाने वाली भाषाओं के लिए 'ज़बान-ए-हिन्दी' पद का उपयोग हुआ है।

शुक्ल जी की सूक्तियाँ अत्यंत अर्थगर्भ होती हैं।

ईरानी भाषा के प्राचीनतम ग्रंथ अवेस्ता की सूक्तियां ऋग्वेद से मिलती जुलती हैं।

प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तरह बोला जाता था।

इसके अतिरिक्त भारत, पाकिस्तान और अन्य देशों में 14 करोड़ 10 लाख लोगों द्वारा बोली जाने वाली उर्दू, व्याकरण के आधार पर हिन्दी के समान है, एवं दोनों ही हिन्दुस्तानी भाषा की परस्पर-सुबोध्य रूप हैं।

19वीं शताब्दी तक, कुछ लोगो को निर्विवाद तत्व की सच्चाई पर शक था, इसके बजाए बहस इस बात पर केंद्रित थी कि क्या यह एक सूक्ति की तरह आवश्यक है, या क्या यह एक सिद्धांत है जो अन्य सूक्तियो से प्राप्त किया जा सकता है।

भारत और अन्य देशों में भी लोग हिन्दी बोलते, पढ़ते और लिखते हैं।

एथनोलॉग के अनुसार हिन्दी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है।

गाए जाने वाले काव्यों में प्रमुख हैं: प्रेम गीत, कार्य गीत, शिशुओं के गीत, सूक्तियों, कहावतें और पहेलियाँ।

फ़िजी, मॉरिशस, गयाना, सूरीनाम, नेपाल और संयुक्त अरब अमीरात में भी हिन्दी या इसकी मान्य बोलियों का उपयोग करने वाले लोगों की बड़ी संख्या मौजूद है।

भारत आने के बाद अरबी-फ़ारसी बोलने वालों ने 'ज़बान-ए-हिन्दी', 'हिन्दी ज़बान' अथवा 'हिन्दी' का प्रयोग दिल्ली-आगरा के चारों ओर बोली जाने वाली भाषा के अर्थ में किया।

जाम्बवती विजय आज एक अप्राप्य रचना है जिसका उल्लेख राजशेखर नामक व्यक्ति ने जह्लण की सूक्ति मुक्तावली में किया है।

हिन्दी संवैधानिक रूप से भारत की राजभाषा और भारत की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है।

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