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milting Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


milting ka kya matlab hota hai


पिघलने

Adjective:

कोमल, गलनीय, गलने योग्य, पिघलने योग्य,



milting शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



सीसा कोमल, भारी और द्रुत गलनीय होता है।

स्वर-व्यंजन, कोमल-कठोर, अल्पप्राण-महाप्राण, अनुनासिक्य-अन्तस्थ-उष्म इत्यादि वर्गीकरण भी वैज्ञानिक हैं।

रे, ग, ध, नि जब नीचे खिसकते हैं तब वे कोमल बन जाते हैं और ‘म’ ऊपर पहुँचकर तीव्र बन जाता है।

इन्हीं धातुओं से प्राप्त रोज़ (Rose) दार्सेट (D Arcet) तथा लिचेनबर्ग (Lichtenberg) की धातुएँ भी कम ताप पर गलनीय हैं।

यह रोल धीरे से आरम्भ होगा, ध्‍वनि के तेज स्‍तर तक जितना अधिक संभव हो ऊँचा उठेगा और तब धीरे से मूल कोमलता तक कम हो जाएगा, किन्‍तु सातवीं बीट तक सुनाई देने योग्‍य बना रहेगा।

इन सप्तकों में कोमल और तीव्र स्वर भी गाये जाते हैं, जिन्हें भातखण्डे लिपि में स्वरों के ऊपर खड़ी पाई (म) लगाकर तीव्र तथा स्वरों के नीचे पट पाई (ग) लगाकर कोमल दर्शाया जाता है।

यह बात और है कि किसी ‘थाट’ में कोमल और किसी में तीव्र स्वर होंगे या मिले-जुले स्वर होंगे।

इस तरह सात शुद्ध स्वर, चार कोमल और एक तीव्र मिलकर बारह स्वर तैयार होते हैं।

कोई स्वर अपने नियत स्थान से थो़ड़ा नीचे खिसकता है तो वह कोमल स्वर कहलाता है।

वहीं न का कोमलतर रूप भी है।

असमिया उच्चारण और कोमलता की अपनी अनूठी विशेषताओं के साथ अपने संकर प्रकृति की वजह से एक समृद्ध भाषा है।

आर्य समाज कुछ मिश्रधातुएँ, जो सरलता से निम्न ताप पर ही पिघल जाती हैं, गलनीय धातु (Fusible alloy) कही जाती हैं।

गंधक ज्वलनशीलता का तत्व, लवण अदाह्यता और स्थिरता का तत्व एवं पारा वाष्पशीलता और गलनीयता का तत्व माना जाता था।

उसे जोड़ी जानेवाली धातुओं की अपेक्षा अधिक गलनीय अवश्य होना चाहिए।

इनकी कोमलता और तीव्रता बनी रहती है।

इन सातों में से सा और प तो शुद्ध स्वर कहलते हैं, क्योंकि इनका कोई भेद नहीं होता; पर शेष पाचों स्वर दो प्रकार के होते हैं - कोमल और तीव्र।

संगीत में वह शब्द जिसका कोई निश्चित रूप हो और जिसकी कोमलता या तीव्रता अथवा उतार-चढ़ाव आदि का, सुनते ही, सहज में अनुमान हो सके, स्वर कहलाता है।

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