mim Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
mim ka kya matlab hota hai
मुझको
Pronoun:
इसे, इस को, उस को, उसे,
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mim शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यह ईरान, अफ़ग़ानिस्तान, ताजिकिस्तान की राजभाषा है और इसे ७.५ करोड़ लोग बोलते हैं।
इसे बाईं से दाईं ओर लिखा जाता है।
यह द्वार बहुत सुन्दर है और इस को भैंस के सींगो व विभिन्न आकार के पत्थरों से सजाया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
इस कोड के द्वारा नेपोलियन ने फ्रांस में सार्वलौकिक कानून पद्धति की स्थापना की।
इस कोणीय मान को काल के अंतराल से भाग देने पर निजी गति ज्ञात हो जाती हैं।
इस कारण से वे इसे फ़ारसी कहते थे और यही नाम भारत में भी प्रयुक्त होता है।
प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खिंची होती है (कुछ वर्णों के ऊपर रेखा नहीं होती है) इसे शिरोरेखा कहते हैं।
ब्रिटेन रूस के इस को अपने उपनिवेश भारत की तरफ रूस के बढ़ते क़दम बढ़ाने की तरह देखने लगा।
इस कोणधारी वन के प्रमुख वृक्ष सीडर, पाइन, हेमलाक तथा साइप्रस हैं।
आखिर ऐसा क्यों होता है, इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो इतिहास में उपलब्ध नहीं है पर इस को लेकर एक कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है।
इसके कारण इसे छोटे पैमानों पर युद्ध का भी सामना करना पड़ा है।
इस कोणीय दृष्टिसूत्र की दिशा की तारक गति को त्रैज्य वेग (Radial velocity) कहते हैं।
बर्तानवी लोग इस को "हमारा प्रशिया" कह कर बुलाते थे।
आमतौर पर इस रूप में इसे ऐसे संदर्भित किया जाता हैं: पुरानी, मध्य और नई (आधुनिक) अवधि।
इस कोर की बागडोर गांधी ने थामी।
इसे नागरी के नाम से भी जाना जाता है।
राष्ट्रपति के समक्ष यह विधेयक आने पर वह इस को संसद को वापस भेज सकता है या स्वीकृति दे सकता है या अनिस्चित काल हेतु रोक सकता है।
कुछ यूनिक्स संस्करणों पहले से ही इस को संबोधित किया है।
भारत में इसे फ़ारसी कहा जाता है।
इसे हिन्द-यूरोपीय भाषा परिवार की हिन्द-ईरानी शाखा की ईरानी भाषाओं की उपशाखा के पश्चिमी विभाग में वर्गीकृत किया जाता है।
इसे 'शुद्ध हिन्दी' भी कहते हैं।
यह ४५ फ़ीसद पकिस्तानियों की मातृभाषा जब कि ७० फ़ीसद पाकिस्तानी इस को बोलना जानते हैं।
ऋ — इसका उच्चारण संस्कृत में /r̩/ था मगर आधुनिक हिन्दी में इसे /ɻɪ/ उच्चारित किया जाता है ।
सेठ गोविन्ददास इसे राष्ट्रीय लिपि घोषित करने के पक्ष में थे।
अअऐनज पंजाबी भी भाग गई और राजनैतिक फ़ायदे के लिए इस को हिमाचल प्रदेश में हिंदी का एक लहजा बताया गया जब कि हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली बोली पंजाबी का अंगीठी लहजा है।
कौन पहल करे ! गुजराती कहेगा ‘हमारी लिपि तो बड़ी सुन्दर सलोनी आसान है, इसे कैसे छोडूंगा?’ बीच में अभी एक नया पक्ष और निकल के आया है, वह ये, कुछ लोग कहते हैं कि देवनागरी खुद ही अभी अधूरी है, कठिन है; मैं भी यह मानता हूँ कि इसमें सुधार होना चाहिए।