cremor Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
cremor ka kya matlab hota hai
क्रेमोर
Noun:
स्पंदन,
People Also Search:
cremsincrena
crenate
crenated
crenation
crenations
crenature
crenatures
crenel
crenelate
crenelated
crenelates
crenelating
crenelation
crenelations
cremor शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
एरेसिबो वेधशाला पर 300 मीटर की रेडियो दूरबीन का प्रयोग कर ग्रह पर रेडियो तरंगों के स्पंदन प्रसारित किए गए और गूँज ने अल्फा और बीटा क्षेत्रों से नामित दो अत्यधिक परावर्तक क्षेत्रों का पता लगाया।
जब ऊर्जा लेजर माध्यम में पम्प की गई ऊर्जा वांछित स्तर पर संग्रहित हो, तब स्पंदन को छोड़ते हुए 'क्यू' को अनुकूल परिस्थितियों में (इलेक्ट्रो या एकौस्टो-ऑप्टिकली) समायोजित किया जाता है Iइसका परिणाम उच्च शक्तियों में होता है, जैसा की इस लेजर की औसत शक्ति (जहाँ वो CW विधि में चल रहा हो) को एक छोटे समयावधि में रखा जाता है I।
अंतरराष्ट्रीय स्पंदन कथा सम्मान (२०१४)।
वस्तुत: स्पंदन सिद्धांत सभी स्थितियों का यथार्थ उत्तर नहीं देता।
यह किस्म मतसोनी (Matsoni) कहलाती है, इसकी शुरुआत लेक्टोकोकस लैक्टिक उपप्रजाति क्रेमोरिस (Lactococcus lactis subsp. cremoris) और एसिटोबेक्टर ओरियनटेलिस प्रजाति (Acetobacter orientalis species) से हुई और इसमें अद्वितीय, विस्कास और शहद जैसे गुण होते हैं।
चेतना को जिन मनोवैज्ञानिकों ने जड़ पदार्थ की क्रियाओं के परिणाम के रूप में समझाने की चेष्टा की है अर्थात् जिन्होंने इसे शारीरिक क्रियाओं, स्नायुओं के स्पंदन आदि का परिणाम माना है, उन्होंने चेतना की उपस्थिति को ही समाप्त कर दिया है।
धीमी गति से रेत निस्पंदन।
लेज़रों के कुछ प्रकार, जैसे कि डाई लेसरों और कम्पन युक्त ठोस अवस्था वाली लेज़र विस्तृत किस्म वाले तरंगदैर्घ्य का प्रकाश उत्पादन कर सकते हैं, यह गुण छोटे स्पंदन वाली प्रकाश के उत्पादन के लिए उन्हें कुछ फेम्तो सेकंड्स (femtoseconds) (10−15स) में.उपयुक्त बनाता है,।
तापजनित रंग के परिवर्तन का कारण सामान्यत: स्पंदन (Plusation) सिद्धांत कल्पित किया गया है, जिसका आशय है कि सेफिइड तारों के तल में आवर्तन से वृद्धि तथा ्ह्रास होता है, जिससे तारा क्रमानुसार फैलता तथा सिकुड़ता रहता है।
भाव का प्रभाव, वैसे भी, सर्वप्रथम हृदय के स्पंदनों में ही लक्षित होता है।
ऊपर फेंकना, नीचे फेंकना, सिकुड़ना, फैलाना तथा (अन्य प्रकार के) गमन, जैसे भ्रमण, स्पंदन, रेचन, आदि, ये पाँच "कर्म" के भेद हैं।
(ख) आयोजनात्- जड़ होने से परमाणुओं में आद्य स्पन्दन नहीं हो सकता और बिना स्पंदन के परमाणु द्वयणुक आदि नहीं बना सकते. जड़ होने से अदृष्ट भी स्वयं परमाणुओं में गतिसंचार नहीं कर सकता. अतः परमाणुओं में आद्यस्पन्दन का संचार करने के लिए तथा उन्हें द्वयणुकादि बनाने के लिए चेतन ईश्वर की आवश्यकता है।
भौतिक भूगोल -- इसके भिन्न भिन्न शास्त्रीय अंग स्थलाकृति, हिम-क्रिया-विज्ञान, तटीय स्थल रचना, भूस्पंदनशास्त्र, समुद्र विज्ञान, वायु विज्ञान, मृत्तिका विज्ञान, जीव विज्ञान, चिकित्सा या भैषजिक भूगोल तथा पुरालिपि शास्त्र हैं।
नाड़ी स्पंदन, रक्तदाब, शरीर का भार व व्यायाम सहनशीलता आदि सब कुछ व्यक्ति के आकार, आयु व लिंग के लिए सामान्य मानकों के अनुसार होना चाहिए।