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brahmanical Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


brahmanical ka kya matlab hota hai


ब्राह्माण

Adjective:

ब्राह्मणवादी,



brahmanical शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



दूसरे ही दिन सुबह होने पर ब्राह्माण ने बछड़े को बधिया करने का कार्य शुरू किया और बछड़े ने ब्राह्माण की हत्या कर दी, जिससे उसे ब्रह्मा हत्या का पाप लग गया।

वर्तमान ब्राह्मणवादी परंपरा का क्रम - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र, धर्मशास्त्र काल के बाद स्थिर हो गया।

बौद्ध खगोलविज्ञान के अनुसार ब्राह्माण्ड का एक पूरा चक्र चार स्थितियों- शून्य, स्वरूप, अवधि और विध्वंस - से मिलकर बनता है।

पुजारियों ने बताया कि बनैली राज स्टेट द्वारा उक्त मंदिर और आसपास का परिसर ब्राह्माणों को पूजन के लिए दिया गया।

इसकी भूमिका में डॉ॰ धर्मवीर लिखते हैं- “ इसमें मैंने कबीर के ब्राह्मणवादी समीक्षकों को समझना चाहा है।

ब्राह्मणवादी मूल्यों के इन मूर्खतापूर्ण और अतर्कसंगत छायाओं के तहत समतावादी और उपलक्ष्य समाज की कोई भी कल्पना नहीं की जा सकती।

दाक्षिणात्म संन्यासी गौड़ ब्राह्माणों को संन्यास दीक्षा देने से सर्वथा विरत रहते थे।

इससे क्रोधित बछड़े ने कहा कि वह ब्राह्माण की हत्या कर देगा।

हजारीप्रसाद द्विवेदी के कबीर संबंधी विश्लेषण को ब्राह्मणवादी आलोचक की राजनीति के तौर पर पढ़ा गया है।

वहां के ब्राह्माणों ने उसे महापाप करार दिया था।

दूसरे ग्रंथ में भण्डारकर ने मौर्य काल के प्रारम्भ से गुप्त साम्राज्य के समापन चरण तक का ब्योरा दिया है जब गुप्तों के अधीन ब्राह्मणवादी विचारधारा का पुनरुत्थान हुआ और जिसकी अभिव्यक्ति गुप्त कालीन धर्म, कला और साहित्य में प्रतिबिंबित होती है।

कई ने सामंत और ब्राह्मणवादी मूल्यों को कायम रखने के लिए उन्हें आलोचना की, जो कुछ हद तक सच हो सकते हैं।

बौद्ध पाल वंश के बाद, एक हिंदू राजा, आदिसुरा पांच ब्राह्मणों और उनके पांच परिचारकों को कन्नौज से लाया था, उनका उद्देश्य ब्राह्मणों के लिए पहले से ही उस क्षेत्र में शिक्षा प्रदान करना था, जिसे वे अज्ञानी मानते थे, और पारंपरिक रूढ़िवादी ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म को पुनर्जीवित करते थे।

किवदंती के अनुसार रात के समय ब्राह्माण देव शर्मा के आश्रम में गाय का बछड़ा गौ माता से बात कर रहा था कि सुबह ब्राह्माण उसे बधिया करेगा।

कुछ विद्वानों का मानना है कि श्रीनिवास ने जाति के अध्ययन में ब्राह्मणवादी या उच्च जाति का दृष्टिकोण अपनाया है।

ब्राह्मणवादी मिथक का दावा है कि परशुराम जोकि महाविष्‍णु के अवतार थे उन्‍होंने अपने फरसे को समुद्र में फेंका. परिणामस्‍वरूप केरल की भूमि जल में से उभरी.[5]।

इस बौद्ध परंपरा और इसे छोड़ने से उनके इंकार के कारण वृहद ब्राह्मणवादी समाज में एझावाओं को जाति बहिष्कृत कर दिया गया।

किसी समय संघ पर मराठा और ब्राह्मणवादी होने का आरोप लगाया जाता था; पर उत्तर प्रदेश के प्रो॰ राजेन्द्र सिंह और कर्नाटकवासी सुदर्शन जी के सरसंघचालक बनने के बाद इन लोगों के मुंह सिल गये।

ऋषि वैशम्पायन द्वारा वर्णित एक कथा प्रचलित है जो इल्वल से सम्बन्धित है.एक बार इल्वल ने इंद्र के समान प्रतापी पुत्र की प्राप्ति के लिए एक ब्राह्माण (ऋषि) से प्रार्थना की।

घूमते-घूमते भोलेनाथ पार्वती सहित सोमसर (कपाल मोचन) तालाब के निकट देव शर्मा नामक एक ब्राह्माण के घर ठहरे।

brahmanical's Usage Examples:

Thus, so far from sectarianism being a mere modern development of Brahmanism, it actually goes back to beyond the formulation of the Brahmanical creed.


The actual proportion of the total population of India (294 millions) included under the name of "Hindus" has been computed in the census report for 1901 at something like 70% (206 millions); the remaining 30% being made up partly of the followers of foreign creeds, such as Mahommedans, Parsees, Christians and Jews, partly of the votaries of indigenous forms of belief which have at various times separated from the main stock, and developed into independent systems, such as Buddhism, Jainism and Sikhism; and partly of isolated hill and jungle tribes, such as the Santals, Bhils (Bhilla) and Kols, whose crude animistic tendencies have hitherto kept them, either wholly or for the most part, outside the pale of the Brahmanical community.


HINDUISM, a term generally employed to comprehend the social institutions, past and present, of the Hindus who form the great majority of the people of India; as well as the multitudinous crop of their religious beliefs which has grown up, in the course of many centuries, on the foundation of the Brahmanical scriptures.


On the other hand there are various offshoots from orthodox Hinduism, the distinguishing feature of which, in their earlier history at least, is the obliteration of caste distinctions and the rejection of the Brahmanical hierarchy.


The Chinese traveller, Hsuan Tsang, in the 7th century, found 20 Buddhist temples with 3000 monks at Ajodhya among a large Brahmanical population.


The origin of this kingdom, famous alike in the political and religious history of India, is lost in the mists of antiquity; and though the Brahmanical Puranas give lists of its rulers extending back to remote ages before the Christian era, the first authentic dynasty is that of the Saisunaga, founded by Sisunaga (c. 600 B.C.), whose capital was at Rajagaha (Rajgir) in the hills near Gaya; and the first king of this dynasty of whom anything is known was Bimbisara (c. 528 B.C.), who by conquests and matrimonial alliances laid the foundations of the greatness of the kingdom.


400; his successor Hsiian Tsang, about 650, states that it then contained twenty Buddhist monasteries and five Brahmanical temples.


The higher castes murmured, and many of them left him, for he taught that the Brahmanical threads must be broken; but the lower orders rejoiced and flocked in numbers to his standard.


For many centuries the culture and development of the Hindus depended mainly on the interaction of the old Brahmanical religion and Buddhism.


Passing to later times, we can watch a theory of monotheism rising, and dying down again, during what our scholars distinguish as the Brahmanical period of Indian religion.



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