appellational Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
appellational ka kya matlab hota hai
उपाधि
Noun:
संज्ञा, नाम, पदवी,
People Also Search:
appellationsappellative
appellatively
appellatives
appellor
append
appendage
appendages
appendant
appendectomies
appendectomy
appended
appender
appendicectomies
appendicectomy
appellational शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यद्यपि हिन्दी के प्रथम किशोरोपयोगी ज्ञानकोश (अपूर्ण) को श्री श्रीनारायण चतुर्वेदी तथा पं० कृष्ण वल्लभ द्विवेदि द्वारा विश्वभारती अभिधान दिया गया तो भी ज्ञान कोश, ज्ञानदीपिका, विश्वदर्शन, विश्वविद्यालयभण्डार आदि संज्ञाओं का प्रयोग भी ज्ञानकोश के लिये हुआ है।
यही नाम अंग्रेज़ी सहित अन्य यूरोपीय भाषाओं में प्रयुक्त होता है।
और भक्तों के समूह को भक्तों की संज्ञा दी जाती है।
सप्ताह के दिनों के नाम ग्रहों की संज्ञाओं के आधार पर रखे गए हैं अर्थात जो नाम ग्रहों के हैं, वही नाम इन दिनों के भी हैं।
संस्कृत > सम् + सुट् + 'कृ करणे' + क्त, ('सम्पर्युपेभ्यः करोतौ भूषणे' इस सूत्र से 'भूषण' अर्थ में 'सुट्' या सकार का आगम/ 'भूते' इस सूत्र से भूतकाल(past) को द्योतित करने के लिए संज्ञा अर्थ में क्त-प्रत्यय /कृ-धातु 'करणे' या 'Doing' अर्थ में) अर्थात् विभूूूूषित, समलंकृत(well-decorated) या संस्कारयुक्त (well-cutured)।
वास्तव में मंत्र या ऋचा का संबंध वेद से है परंतु उपनिषदों की हमत्ता दर्शाने के लिए इन संज्ञाओं का उपयोग यहाँ भी कतिपय विद्वानों द्वारा किया जाता है।
(9) संज्ञात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)।
इसका मूल नाम 'पारसी' है पर अरब लोग, जिन्होंने फ़ारस पर सातवीं सदी के अंत तक अधिकार कर लिया था, की वर्णमाला में 'प' अक्षर नहीं होता है।
विनायक (गणेश) के पाँच नाम चुनें और ऐसा कहें :।
चन्द्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने इसी अवहट्ठ को 'पुरानी हिन्दी' नाम दिया।
कौशलपूर्ण मानवीय कार्य को कला की संज्ञा दी जाती है।
अगर सम्भव हो तो गणेश के 108 नाम जपें :।
संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Cognitive psychology)।
श्री महागणपतये नमः . नाम पूजां समर्पयामि .।
अतः जो शब्द उनके नियमों की पकड़ में न आ सके, उनको देशी संज्ञा दी गयी।
संस्कृत में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के कई तरह से शब्द-रूप बनाये जाते हैं, जो व्याकरणिक अर्थ प्रदान करते हैं।
ब्रिटिश अंग्रेजी में खेल की गतिविधियाँ सामान्य संज्ञा "खेल" के रूप में चिह्नित हैं।
एक मत के अनुसार देवनगर (काशी) में प्रचलन के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा।
1967, संज्ञानात्मक मनोविज्ञान -- उल्रिक नाइजर।
1960, संज्ञानात्मक चिकित्सा -- आरोन टी बैक।
देवनागरी या नागरी नाम का प्रयोग "क्यों" प्रारम्भ हुआ और इसका व्युत्पत्तिपरक प्रवृत्तिनिमित्त क्या था- यह अब तक पूर्णतः निश्चित नहीं है।
अफ़गानिस्तान के बाद सिन्धु नदी के इस पार हिन्दुस्तान के पूरे इलाके को प्राचीन फ़ारसी साहित्य में भी 'हिन्द', 'हिन्दुश' के नामों से पुकारा गया है तथा यहाँ की किसी भी वस्तु, भाषा, विचार को विशेषण के रूप में 'हिन्दीक' कहा गया है जिसका मतलब है 'हिन्द का' या 'हिन्द से'।
इसे नागरी के नाम से भी जाना जाता है।
इस कारण से वे इसे फ़ारसी कहते थे और यही नाम भारत में भी प्रयुक्त होता है।
(ख) दक्षिण में इसका प्राचीन नाम "नंदिनागरी" था।
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
विकास मनोविज्ञान में जीवन भर घटित होनेवाले मनोवैज्ञानिक संज्ञानात्मक तथा सामाजिक घटनाक्रम शामिल हैं।