विच्छिन्न,विच्छेदकारी Meaning in English
विच्छिन्न,विच्छेदकारी शब्द का अंग्रेजी अर्थ : discrete dissection
ऐसे ही कुछ और शब्द
असतत रूप सेविवेकाधीन
विवेकाधीन शक्ति
विवेक रहित
भेदभाव
लिंग के आधार पर भेद भाव
भेदभाव पूर्ण
भेदभावपूर्ण
भेदमय यकृत्
भेदभावपूर्ण प्रोत्साहन
भेदभाव पूर्ण रूप से
की चर्चा चलाना
के बारे में चर्चा करना
चर्चा चलाना
विचार विमर्श करना
विच्छिन्न,विच्छेदकारी हिंदी उपयोग और उदाहरण
उनका लक्ष्मी के साथ अविच्छिन्न संबंध है।
डॉ॰ भगत सिंह के अनुसार कुमाँऊनी में लिखित साहित्य की परंपरा १९वीं शताब्दी से मिलती हैं और यह परंपरा प्रथम कवि गुमानी पंत से लेकर आज तक अविच्छिन्न रूप से चली आ रही है।
कुछ इतिहासकारों का कहना है कि 'तपतीसम्वरणम्', 'सुभद्राधनंजयम्', 'विच्छिन्नाभिषेकम्' आदि संस्कृत नाटक तथा 'आश्चर्यमंजरी' नाम के गद्य ग्रंथ के रचयिता कोई कुलशेखर राजा थे।
इन लक्षणों के सद्भाव का समाधान समुचित रूप से यही मानकर किया जा सकता है कि प्राकृत भाषाओं में उनका आगमन प्राचीनतम आर्य जातियों की बोलियों से अविच्छिन्न परंपरा द्वारा चला आया है।
तब से यह उपाधि उनके नाम के साथ अविच्छिन्न रूप से जुड़ी हुई स्वयं अलंकृत हो रही है।
किंतु आधुनिक प्रवृति बगीचा भीतर लाने की है, जिससे भीतर और बाहर के बीच विभाजन की योजना के सभी पुराने प्रयासों से उत्कृष्ट है, क्योंकि इससे घर के भीतर रहें या बाहर, प्रकृति की उपस्थिति के कारण आनंद, उल्लास और शांत मनोभाव अविच्छिन्न रहते हैं।
इसके कारण हैं कलिलकणों के आकार और प्रकाश के तरंगदैर्घ्य में समानता तथा वितरित पदार्थ के वर्तनांक और प्रकाश के तरंगदैर्घ्य में समानता तथा विपरित पदार्थ के वर्तनांक का अविच्छिन्न माध्यम के वर्तनांक से अधिक होना।
उन्होंने आसेतु हिमालय संपूर्ण भरत की यात्रा की और चार मठों की स्थापना करके पूरे देश को सांस्कृतिक, धार्मिक, दार्शनिक, आध्यात्मिक तथा भौगोलिक एकता के अविच्छिन्न सूत्र में बाँध दिया।
शब्दार्थ अविरल का अर्थ होता है अविच्छिन्न।
उनका सबसे महत्वपूर्ण पत्र 'ऐड्रेस टु दि डेविल' है, जिसमें सैटन का संबंध बंधुत्व तथा मानवता के अविच्छिन्न सौहार्द से है।
इसे अविच्छिन्न उत्तराधिकार प्राप्त है और इसकी एक सार्वमुद्रा होती है।
13वीं-4वीं शताब्दियों में चेक भाषा, जो प्राहा नामक प्रदेश की उपभाषा थी, साहित्यिक भाषा के पद पर आसीन हुई और उस समय से वह अविच्छिन्न रूप से साहित्यिक कृतियों में प्रयुक्त होती रही।
परस्त्री और परपुरुष का परस्पर प्रेम किन परिस्थितियों में उत्पन्न होता है, बढ़ता है और विच्छिन्न होता है, किस प्रकार परदारेच्छा पूरी की जा सकती है, और व्यभिचारी से स्त्रियों की रक्षा कैसे हो सकती है, यही इस अधिकरण का मुख्य प्रतिपाद्य विषय है।