ईसाई धर्मशास्त्र Meaning in English
ईसाई धर्मशास्त्र शब्द का अंग्रेजी अर्थ : christian Theology
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ईसाई-धर्मशास्त्र हिंदी उपयोग और उदाहरण
आचारशास्त्र का स्वतंत्र अस्तित्व करीब-करीब समाप्त हो गया और नैतिक प्रश्नों का विवेचन ईसाई धर्मशास्त्र की कुछ वादग्रस्त समस्याओं में शाब्दिक ऊहापोह तक ही सीमित रह गया।
ईसाई धर्मशास्त्र के अनुसार, स्वर्ग के पतन का कारण केवल मनुष्यों के द्वारा हुआ है, क्योंकि मनुष्यों ने परमेश्वर का पालन नहीं किया ('लेकिन अच्छे और बुरे ज्ञान वृक्ष को खाना नहीं चाहिए'), परिणामस्वरूप तब से सभी मानव जाति का जन्म चरित्रों की दुष्टता के साथ होने लगा (वास्तविक पाप)।
अपने पहले विवाहित नाम रोजालीन केंड्रिक के तहत, उन्होंने ईसाई धर्मशास्त्र के पहलुओं के बारे में कई किताबें लिखीं।
उन्होंने 1963 में हूल विश्वविद्यालय से ईसाई धर्मशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री हासिल की, 1986 में ईसाई धर्म से इस्लाम में धर्म परिवर्तन किया।
19 मई - रवि ज़चरियास ,(26 मार्च 1946 - 19 मई 2020) एक भारतीय मूल के कनाडाई-अमेरिकी ईसाई धर्मशास्त्री थे ।
इसके फलस्वरूप पुरानी शैली के बहुत से तत्वों का पुनर्जन्म हुआ और अफलातून तथा अरस्तू के मुख्य सिद्धांतों को ईसाई धर्मशास्त्र में सम्मानपूर्ण स्थान मिला।
जैन ग्रंथ ईसाई धर्मशास्त्र में धार्मिक सिद्धांतों या विश्वासों के समर्थन में लिखे गए निबंधों को सामूहिक रूप में अपोलोजेटिक्स (Apologetics) का नाम दिया गया।
उसने लैटिन साहित्य तथा ईसाई धर्मशास्त्रों का अध्ययन किया।
"" ईसाई धर्मशास्त्र के अनुसार, स्वर्ग के पतन का कारण केवल मनुष्यों के द्वारा हुआ है, क्योंकि मनुष्यों ने परमेश्वर का पालन नहीं किया ('लेकिन अच्छे और बुरे ज्ञान वृक्ष को खाना नहीं चाहिए'), परिणामस्वरूप तब से सभी मानव जाति का जन्म चरित्रों की दुष्टता के साथ होने लगा (वास्तविक पाप)।
ऍचआइवी-सम्बंधित जानकारी ईसाई धर्मशास्त्र में धार्मिक सिद्धांतों या विश्वासों के समर्थन में लिखे गए निबंधों को सामूहिक रूप में आपत्तिखंडन (apologetics / अपोलोजेटिक्स) का नाम दिया गया।
"" इसके फलस्वरूप पुरानी शैली के बहुत से तत्वों का पुनर्जन्म हुआ और अफलातून तथा अरस्तू के मुख्य सिद्धांतों को ईसाई धर्मशास्त्र में सम्मानपूर्ण स्थान मिला।
प्राचीन यूनान व रोम में राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण के लिये दर्शनशास्त्र, नीतिशास्त्र, तर्कशास्त्र, इतिहास व विधि की अवधारणाओं को आधार बनाया गया था किन्तु मध्यकाल में मुख्यतः ईसाई धर्मशास्त्रीय दृष्टिकोण को राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण का आधार बनाया गया।
पस्ताफ़ारी मानते हैं कि समुद्री लुटेरों के 'चोर और बहिष्कृत' होने की धारणा मध्ययुग में ईसाई धर्मशास्त्रियों द्वारा और आज अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ द्वारा फैलाई जा रही झूठी सूचना का नतीजा है।