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zoometry Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


zoometry ka kya matlab hota hai


रेखागणित

Noun:

ज्यामिति,



zoometry शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



अंकगणित ज्यामिति या रेखागणित (Geometry) गणित की तीन विशाल शाखाओं में से एक है।

उन्होंने न्यूटन की सर्वसमिकाओं, न्यूटन की विधि, वर्गीकृत घन समतल वक्र (दो चरों में तीन के बहुआयामी पद) की खोज की, परिमित अंतरों के सिद्धांत में महत्वपूर्ण योगदान दिया, वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भिन्नात्मक सूचकांक का प्रयोग किया और डायोफेनताइन समीकरणों के हल को व्युत्पन्न करने के लिए निर्देशांक ज्यामिति का उपयोग किया।

गणित में (और विशेषकर रेखागणित में) बहुत से प्रमेय हैं।

आरम्भ में यह अध्ययन रेखाओं तथा रेखाओं से घिरे क्षेत्रों के गुणों तक ही सीमित रहा, जिसके कारण ज्यामिति का नाम रेखागणित भी है।

बीजगणितीय ज्यामिति (Algebraic geometry) - यह ज्यामितीय समस्याओं पर अमूर्त बिजगणित का प्रयोग करती है।

जलयान या विमान का चालक मार्ग के दिशा-निर्धारण के लिए ज्यामिति का प्रयोग करता है।

19वीं और 20वीं सदी में गणितज्ञों ने गैर इयूक्लिडियन रेखागणित का परीक्षण करना शुरू कर दिया था जिसमें अन्तरिक्ष को समतल के बजाय वक्रित कह सकते है।

नौकरी की खोज में समय को व्यर्थ करना उन्हें रास नहीं आया और वह इस बार रेखागणित के अध्ययन में लग गये।

पृथ्वी- चन्द्रमा-सूर्य ज्यामिति के कारण "चन्द्र दशा" हर २९.५ दिनों में बदलती है।

यह संस्कृत, पालि, प्राकृत, गणित, खगोलशास्त्र, रेखागणित, वैदिक अंकगणित आदि के तो धुरंधर विद्वान थे ही, साथ ही उन्होंने अरबी और फारसी भाषाएँ भी सीखी ताकि इस्लामिक खगोलशास्त्र के ग्रंथों का अध्ययन कर सकें।

मगर यह स्मरण रखना चाहिए कि महान यूनानी ज्यामितिशास्त्री यूक्लिड से पूर्व ही भारत में कई रेखागणितज्ञ ज्यामिति के महत्वपूर्ण नियमों की खोज कर चुके थे, उन रेखागणितज्ञों में बौधायन का नाम सर्वोपरि है।

ज्यामिति का इस्तेमाल खेतों के चारों तरफ की सीमाओं के निर्धारण तथा पिरामिड जैसे स्मारकों के निर्माण में होता था।

१२वां अध्याय, गणित, अंकगणितीय शृंखलाओं तथा ज्यामिति के बारे में है।

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राचार्य रहे सुधाकर द्विवेदी (सन् 1860-1922) ने दीर्घवृतलक्षण, गोलीय रेखागणित, समीकरण मीमांशा एवं चलन-कलन पर मौलिक पुस्तकें लिखीं।

रेखागणित और वास्तुशास्त्र का प्रारंभिक रूप इनमें मिलता है।

उस समय भारत में रेखागणित या ज्यामिति को शुल्व शास्त्रभी कहा जाता था।

ईसा से 300 वर्ष पूर्व तक हमारे पूर्वज समीकरणों को शब्दों में लिखने लगे थे और ज्यामिति विधि द्वारा उनके हल ज्ञात कर लेते थे।

संख्या सिद्धांत, ज्यामिति और विश्लेषण आदि गणित के अन्य बड़े विभाग हैं।

उसके शिष्य पाइथागोरस ने ज्यामिति को यूनानियों के बीच एक मान्य विज्ञान का स्वरूप दिलाकर यूक्लिड और आर्किमिडीज के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त किया।

इसमें साधारण ज्यामितिक आकार हो सकते हैं या फिर देवी देवताओं की आकृतियाँ।

बीजीय रेखागणित (algebraic geometry) का अपने पारंपरिक रूप से आधुनिक रूप में विकास इस बात का एक अच्छा उदहारण है कि गणित का क्षेत्र मोलिक रूप से बदल जाता है, लेकिन यह इस बात को साबित नहीं करता कि पहले सत्यापित किया गया तथ्य किसी भी प्रकार से ग़लत है।

शुद्ध गणित के अंतर्गत, बीजगणित, ज्यामिति और संख्या सिद्धांत आदि आते हैं।

बीजगणित के विकास के फलस्वरूप निर्देशांक ज्यामिति व कैलकुलस का विकास हुआ जिससे गणित की उपयोगिता बहुत बढ़ गयी।

|ज्यामिति || त्रिकोणमिति || अवकल ज्यामिति || टोपोलोजी || फ्रैक्टल ज्यामिति || मापन सिद्धान्त।

गणितपाद में 33 श्लोक हैं, जिनमें आर्यभट ने अंकगणित, बीजगणित और रेखागणित संबंधी कुछ सूत्रों का समावेश किया है।

गणित की कई शाखाएँ हैं : अंकगणित, रेखागणित, त्रिकोणमिति, सांख्यिकी, बीजगणित, कलन, इत्यादि।

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