wardrum Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
wardrum ka kya matlab hota hai
वार्डरम
Noun:
कान का परदा, ढोल,
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wardrum शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
लोकसंगीत में रसिया, ढोला, आल्हा, लावणी, चौबोला, बहल–तबील, भगत आदि संगीत भी समय –समय पर सुनने को मिलता है।
ऐसा पाया गया है कि जब परिस्थितियां अनुकूल हों तो कान की झिल्ली (कान का परदा) के पीछे मौजूद निष्क्रिय जीवाणु की संख्या बढ़ने लगती है, जिससे मध्य कान में मौजूद तरल पदार्थ में संक्रमण हो जाता है।
राज्य में प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता की कुछ साइटें शामिल हैं, जैसे लोथल और ढोलवीरा लोथल को दुनिया के पहले बंदरगाहों में से एक माना जाता है।
वर्तमान में भी ब्रज के लोक संगीत में ढोल मृदंग, झांझ, मंजीरा, ढप, नगाड़ा, पखावज, एकतारा आदि वाद्य यंत्रों का प्रचलन है।
प्राचीन शहर ढोलवीरा, सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित भारत की सबसे बड़ी और सबसे प्रमुख पुरातात्विक स्थलों में से एक है।
सगतपुरा का देवनारायण मंदिर, पारोली में चंवलेश्वर मंदिर, मीराबाई का आश्रम व ढोला का सगस जी(भूत), कोठाज का श्री चारभुजा जी का मंदिर देखने योग्य हैं।
गोरखपुर के लोग हारमोनियम, ढोलक, मंजीरा, मृदंग, नगाडा, थाली आदि का संगीत-वाद्ययन्त्रों के रूप में भरपूर उपयोग करते हैं।
दूसरे दिन सुबह से ही लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि लगाते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।
अतः ध्वनिशास्त्रीय और वादन कला आधारित अध्ययनों में तबले की समानता तीनों वाद्यों के साथ स्थापित की जा सकती है; पखावज की तरह का "दायाँ", नक्कारे की तरह आकार वाला "बायाँ", ढोलक की तरह गमक वाला प्रयोग, तीनों प्राप्त होते हैं।
लेकिन इससे होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी की शान में कमी नहीं आती।
बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं।
कई बार कान का परदा फट जाता है, जिससे पस कान के बाहर बहने लगता है, लेकिन फटा हुआ कान का परदा जल्दी ठीक भी हो सकता है।
उनके चिह्न थे एक नर गेंगनिहेस्सू पक्षी, एक ढोल और फेंकने की या शिकार करने की लकडियाँ . यह अभी स्पष्ट नहीं है कि वह ऐतिहासिक रूप से राजा थे या नहीं . शायद वह सिर्फ एक नेता थे जो अपने सलाह की शक्ति से समाज को अपने छोटे भाई डकोडनू के द्वारा चलाते थे।
दूसरे दिन, जिसे प्रमुखतः धुलेंडी व धुरड्डी, धुरखेल या धूलिवंदन इसके अन्य नाम हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है।