viduity Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
viduity ka kya matlab hota hai
विडुसिटी
Noun:
असारता, निस्सारता,
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viduity शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है।
सेमल के डोड या फलों की निस्सारता भारतीय कवि परंपरा में बहुत काल से प्रसिद्ध है और यह अनेक अन्योक्तियों का विषय रहा है।
इस सिद्धान्त की निस्सारता या अनुपयोगिता के कारण ही मैक्समूलर ने इसका परित्याग किया था।
इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृत पद की ओर ले जाते हैं।
इसमें सहजावस्था विषयासक्ति से आत्मप्रतीति का अभाव, आत्मपूजा, रामनाम के व्यवसायी, संसार की असारता का विचार, आत्मपरिचय की आवश्यकता का उल्लेख, संसार की असारता और विनाशिता, शरीर की हीनता और अनित्यता, राम राजा का आत्मपरिचय और राम कहानी, ननद और भावज का प्रपंच, गाली शब्द और माया के आखेट खेल का निरूपण किया गया है।
भगवद्गीता तो भारतीय संस्कृति का अनमोल रत्न है जिसके माध्यम से हमें जीवन की असारता, आत्मा की अमरता, निष्काम कर्मवाद आदि की शिक्षा मिलती है।
भरत के पास पास अवधि ज्ञान था| सभी चक्रवर्तियों की तरह भरत भी संसार की असारता जान मुनि बन गए और अंत में मोक्ष गए।
ग्यारहवें सर्ग में वयोवृद्ध मुनि के वेष में इन्द्र के आगमन और उनके द्वारा तपस्या के सांसारिक लक्ष्य की निस्सारता का निदर्शन है जिसके प्रत्युत्तर में अर्जुन लौकिक जीवन के मूल्यों, प्राथमिकताओं का अपना आख्यान रचते हैं।
इन नीति ग्रन्थों में लोक जीवन के व्यवहार में आने वाली बातों पर विचार करने के साथ ही साथ जीवन की असारता का निरूपण कर मानव मात्र को ’मोक्ष’ के साधन का उपदेश भी है।
इसके बावजूद प्राचीन व्यवस्था की विविध खामियों, अमीर वर्ग की आंतरिक निस्सारता तथा उसके विरुद्ध प्रकट तोलस्तोय के विचारों के संदर्भ में लेनिन का कहना है कि "तोलस्तोय की आलोचना में कोई नयी बात नहीं थी।
इस प्रकार मानव जीवन की अनित्यता एवं निस्सारता सिद्ध हो जाती है ।
11. दुनिया की निस्सारता का या खुद अपनी देह से अलग हो जाने का का बोध हुआ हो।
मनुष्य के लिए उचित नहीं है कि हर प्रकार की इच्छा या आकांक्षा को छोड़कर तपस्वी जीवन व्यतीत करे और वस्तुओं की व्यापक असारता पर मनन करे।
विघटन के समय तीनों भाग निस्सारता की स्थिति में नहीं होते बल्कि तीनों ही महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ईश्वर पचीसी में संसार की असारता का चित्रण है।
माया से मुक्ति-अर्थ उसकी निस्सारता बतलायी गयी है तथा माया के मद पर चोटें कि गयी हैं।