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vedanta Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


vedanta ka kya matlab hota hai


वेदांत

(संस्कृत से 'वेद के अंत के लिए'

Noun:

वेदांत,



vedanta शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने निर्गुण भक्ति के स्वरूप के बारे में प्रश्न उठाए हैं तथा प्रतिपादित किया है कि संतों की निर्गुण भक्ति का अपना स्वरूप है जिसको वेदांत दर्शन के सन्दर्भ में व्याख्यायित नहीं किया जा सकता।

उनके प्रारम्भिक विश्वासों को ब्रह्म समाज ने जो एक निराकार ईश्वर में विश्वास और मूर्ति पूजा का प्रतिवाद करता था, ने प्रभावित किया और सुव्यवस्थित, युक्तिसंगत, अद्वैतवादी अवधारणाओं , धर्मशास्त्र ,वेदांत और उपनिषदों के एक चयनात्मक और आधुनिक ढंग से अध्यन पर प्रोत्साहित किया।

बस वह सनातनधर्मी परिवार में जन्मा हो, वेदांत, मीमांसा, चार्वाक, जैन, बौद्ध, आदि किसी भी दर्शन को मानता हो बस उसके सनातनी होने के लिए पर्याप्त है।

संत मे भी ज्ञानेश्वर महाराज, तुकाराम महाराज आदि. संत पुरुषोने वेदांत के ऊपर बहुत ग्रंथ लिखे है आज भी लोग संतो के उपदेशो के अनुकरण करते है।

जैन धर्म, अद्वैत वेदांत के मोनिस्ट संप्रदाय और शैव सम्रदाय के अन्तर में योग का लक्ष्य मोक्ष का रूप लेता है, जो सभी सांसारिक कष्ट एवं जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति प्राप्त करना है, उस क्षण में परम ब्रह्मण के साथ समरूपता का एक एहसास है।

इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों- शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्द और ज्योतिष के अध्ययन और उपांगों जिनमें छः शास्त्र- पूर्वमीमांसा, वैशेषिक, न्याय, योग, सांख्य, और वेदांत व दस उपनिषद्- ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडुक्य, ऐतरेय, तैतिरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक आते हैं।

विज्ञान भी सनातन सत्य को पकड़ने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है किंतु वेदांत में उल्लेखित जिस सनातन सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता नजर आ रहा है।

शंकराचार्य के वेदांत की भाँति भगवन्माय: का विवर्त, अर्थात् असत् कार्य अथवा मिथ्या विलास नहीं है।

इसीलिए लौकायतिक आदि जड़वादी दर्शनों की भाँति सांख्य न केवल जड़ पदार्थ ही मानता है और न अनेक वेदांत संप्रदायों की भाँति वह केवल चिन्मात्र ब्रह्म या आत्मा को ही जगत् का मूल मानता है।

AC भक्तिवेदांत स्वामी महाराज प्रभुपाद।

इस अनीश्वरवाद, प्रकृति पुरुष द्वैतवाद, (प्रकृति) परिणामवाद आदि तथाकथित वेद विरुद्ध सिद्धांतों के कारण वेदबाह्य कहकर इसका खंडन करने वाले वेदांत भाष्यकार शंकराचार्य को भी ब्रह्मसूत्र 2.1.3 के भाष्य में लिखना ही पड़ा कि "अध्यात्मविषयक अनेक स्मृतियों के होने पर भी सांख्य योग स्मृतियों के ही निराकरण में प्रयत्न किया गया।

कबीर आदि संतों की दार्शनिक विवेचना करते समय आचार्य रामचन्‍द्र शुक्ल ने यह मान्‍यता स्‍थापित की है कि उन्‍होंने निराकार ईश्‍वर के लिए भारतीय वेदांत का पल्‍ला पकड़ा है।

कैप्टन विक्रम जब मेजर बने और उनका तबादला पटना हो गया तो सावित्री बाई के जीवन को एक नयी दिशा मिली, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में संस्कृत नाटक, वेदांत, उपनिषद और हिन्दू धर्म पर गहन अध्ययन किया।

कैप्टन विक्रम जब मेजर बने और उनका तबादला पटना हो गया तो सावित्री बाई के जीवन को एक नयी दिशा मिली, उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में संस्कृत नाटक, वेदांत, उपनिषद और हिन्दू धर्म पर गहन अध्ययन किया।

बस वह सनातनधर्मी परिवार में जन्मा हो, वेदांत, मीमांसा, चार्वाक, जैन, बौद्ध, आदि किसी भी दर्शन को मानता हो बस उसके सनातनी होने के लिए पर्याप्त है।

संत मे भी ज्ञानेश्वर महाराज, तुकाराम महाराज आदि. संत पुरुषोने वेदांत के ऊपर बहुत ग्रंथ लिखे है आज भी लोग संतो के उपदेशो के अनुकरण करते है।

इस अनीश्वरवाद, प्रकृति पुरुष द्वैतवाद, (प्रकृति) परिणामवाद आदि तथाकथित वेद विरुद्ध सिद्धांतों के कारण वेदबाह्य कहकर इसका खंडन करने वाले वेदांत भाष्यकार शंकराचार्य को भी ब्रह्मसूत्र 2.1.3 के भाष्य में लिखना ही पड़ा कि "अध्यात्मविषयक अनेक स्मृतियों के होने पर भी सांख्य योग स्मृतियों के ही निराकरण में प्रयत्न किया गया।

संत-संप्रदाय वेदांत दर्शन से प्रभावित थे और निर्गुण भक्ति की साधना तथा प्रचार करते थे।

जो ईश्वर यानी शिव जी तथा वेदोक्त बातों जैसे न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत पर विश्वास करता है, उसे आस्तिक माना जाता है; जो नहीं करता वह नास्तिक है।

जो ईश्वर यानी शिव जी तथा वेदोक्त बातों जैसे न्याय, वैशेषिक, सांख्य, योग, मीमांसा और वेदांत पर विश्वास करता है, उसे आस्तिक माना जाता है; जो नहीं करता वह नास्तिक है।

विज्ञान भी सनातन सत्य को पकड़ने में अभी तक कामयाब नहीं हुआ है किंतु वेदांत में उल्लेखित जिस सनातन सत्य की महिमा का वर्णन किया गया है विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता नजर आ रहा है।

इसीलिए लौकायतिक आदि जड़वादी दर्शनों की भाँति सांख्य न केवल जड़ पदार्थ ही मानता है और न अनेक वेदांत संप्रदायों की भाँति वह केवल चिन्मात्र ब्रह्म या आत्मा को ही जगत् का मूल मानता है।

संत-संप्रदाय वेदांत दर्शन से प्रभावित थे और निर्गुण भक्ति की साधना तथा प्रचार करते थे।

शंकराचार्य के वेदांत की भाँति भगवन्माय: का विवर्त, अर्थात् असत् कार्य अथवा मिथ्या विलास नहीं है।

जैन धर्म, अद्वैत वेदांत के मोनिस्ट संप्रदाय और शैव सम्रदाय के अन्तर में योग का लक्ष्य मोक्ष का रूप लेता है, जो सभी सांसारिक कष्ट एवं जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार) से मुक्ति प्राप्त करना है, उस क्षण में परम ब्रह्मण के साथ समरूपता का एक एहसास है।

इसको पढ़ाने के लिए छः अंगों- शिक्षा, कल्प, निरुक्त, व्याकरण, छन्द और ज्योतिष के अध्ययन और उपांगों जिनमें छः शास्त्र- पूर्वमीमांसा, वैशेषिक, न्याय, योग, सांख्य, और वेदांत व दस उपनिषद्- ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडुक्य, ऐतरेय, तैतिरेय, छान्दोग्य और बृहदारण्यक आते हैं।

vedanta's Usage Examples:

Max Muller used it particularly in connexion with the Vedanta philosophy for the correlative of ignorance or nescience (Gifford lectures, 1892, c. ix.).


Thus, advaita Vedanta has no desire to claim an illusory " oneness " in the realm of vyavahAra.


As the chief authority of their tenets, the Nimavats recognize the Bhagavata-purana; though several works, ascribed to Nimbarka - partly of a devotional character and partly expository of Vedanta topics - are still extant, Adherents of this sect are fairly numerous in northern India, their frontal mark consisting of the usual two perpendicular white lines, with, however, a circular black spot between them.


the Vedanta aphorisms), the Gita, the Rigveda and many Upanishads.


Madh y a Acharya, another distinguished Vedanta teacher and founder of a Vaishnava sect, born in Kanara in A.D.


Whilst Sankara's chief title to fame rests on his philosophical works, as the upholder of the strict monistic theory of Vedanta, he doubtless played an important part in the partial remodelling of the Hindu system of belief at a time when Buddhism was rapidly losing ground in India.


In northern India, the professed followers of Sankara are mainly limited to certain classes of mendicants and ascetics, although the tenets of this great Vedanta teacher may be said virtually to constitute the creed of intelligent Brahmans generally.


So great were his learning and piety that he was regarded as an incarnation of Siva, and his works (commentaries on the Vedanta Sutras, the Bhagavad Gita and the Upanishads) exercised a permanent influence on Hindu thought.


His great achievement was the perfecting of the Mimansa or Vedanta philosophy.


" India is waiting for her own divinely appointed apostle, who, whether Brahmin or non-Brahmin, shall connect Christianity with India's religious past, and present it as the true Vedanta or completion of the Veda and thus make it capable of appealing to the Hindu religious nature."



vedanta's Meaning':

(from the Sanskrit for `end of the Veda'

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