unworkability Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
unworkability ka kya matlab hota hai
असाध्यता
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unworkability शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
निदान का सैद्धांतिक सूत्र पञ्चनिदान तथा रोगों की साध्य-असाध्यता का विशद वर्णन प्राप्त होता है।
यद्यपि स्टीवेंस-जॉन्सन सिंड्रोम वायरस-जनित संक्रमण, असाध्यता अथवा दवाओं से होने वाली गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया से हो सकता है, फिर भी इसका प्रधान कारण एंटीबायोटिक व सल्फा औषधियों का प्रयोग होता है।
इनमें से अधिकांश लोगों की मौत अवसरवादी संक्रमणों से या प्रतिरोध तंत्र की बढ़ती विफलता से जुड़ी असाध्यताओं के कारण होती है।
असाध्यता के नैदानिक व्यवहार पर अनेक कारकों का प्रभाव पड़ता है, जिनमें प्लुरल गुहिका की सतत मेसोथेलियल सतह, जो अपपर्णित कोशिकाओं के माध्यम से स्थानीय मेटास्टैसिस का समर्थन करती है, अंतःस्थ ऊतक व प्लुरल गुहिका के भीतर स्थित अन्य अंगों तक आक्रमण, तथा एस्बेस्टस से संपर्क और रोग के विकास के बीच अत्यधिक लंबा विलंबिता काल शामिल हैं।
सभी रोगों का कारण, सम्प्राप्ति, भेद, साध्य-असाध्यता, चिकित्सा सूत्र एवं निदान विषयक अन्य विषयों के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन मिलता है।
জজজ
प्राथमिक हाइपरपैराथाइरोडिज़म और असाध्यता मामलों के बारे में 90% अति-कैल्शियम रक्तता का कारण हो सकते हैं।
व्याधि का मूल रूप, वेदना, उपदेश, छाया, प्रतिच्छाया, स्वप्न, भूताधिकार, मार्ग में आरिष्ट जनक वस्तु को देखना, इन्द्रिय एवं इन्द्रिय विषय से सम्बधित शुभ-अशुभ लक्षणों को जानना एवं रोग के साध्य, असाध्यता एवं रोगी के जीवन मृत्यु के निर्णय में इन अरिष्ट लक्षणों का योगदान इन विषयों का इन्द्रिय स्थान में बुद्धिगम्य शब्दों में सुन्दर वर्णन प्राप्त होता है।
ज्वर, रक्तपित्त, गुल्म, प्रमेह, कुष्ठ, आदि रोगों की संख्या, भेद, कारण, लक्षण, साध्य-असाध्यता तथा चिकित्सा सूत्र का सरल एवं सुबोध भाषा में वर्णन प्राप्त होता है।
रोग से अत्यंत सतोषप्रद या आंशिक मुक्ति, अथवा रोग की असाध्यता, पक्षाधात के प्रसार और तीव्रता पर निर्भर है।
7. अरिष्ट वर्ग या रोगों का वह लक्षण जिससे रोग की साध्य-असाध्यता एवं मृत्यु का ज्ञान होता है, इसका विस्तृत वर्णन है।
यह संक्रमण, स्वतः-प्रतिरक्षित रोग, या असाध्यता के कारण हो सकता है।
जठरांत्र रक्तस्राव (उल्टी में रक्त आना) की उपस्थिति, निगलने में कठिनाई, भूख का अभाव (भूख में कमी), अनजाने में की गयी वजन की कमी, उदर संबंधी सूजन और लगातार उल्टी होना पेप्टिक अल्सर रोग या असाध्यता के सूचक हैं और यह आवश्यक जांच-पड़तालों को आवश्यक बनाता है।
हाल ही में अपच के आक्रमण से प्रभावित 55 वर्ष से अधिक उम्र के लोग या खतरे के संकेत वाले लोगों की अविलंब जांच दर्शन (इंडोस्कोपी) के द्वारा की जानी चाहिए. यह पेप्टिक अल्सर रोग, औषधि से संबंधित व्रणोत्पत्ति (फोड़ा), असाध्यता और अन्य अधिक दुर्लभ कारणों को असंभव बनाएगा.।