unstarch Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
unstarch ka kya matlab hota hai
कलफ़
Noun:
हठ, माड़ी, अनाज का सत्व,
Verb:
कलंफ़ लगाना,
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unstarch शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उपर्युक्त दोनों श्लोकों से योग के प्रकार हुए : मंत्रयोग, हठयोग लययोग व राजयोग।
केवल पानी, नमकीन पानी, या अम्लीय पानी में माल को चौबीस घंटे भिगोकर रखने से माड़ी सड़ाकर निकाली जाती है।
इनके हल्के विलयन में माल यको डाल देने से माड़ी शीघ्रातिशीघ्र सड़कर विलय हो जाती और सरलतापूर्वक गरम पानी से धोकर निकाली जा सकती है।
कभी बस्तर में ३६ बोलियां थीं, लेकिन अब गोंडी, हल्बी, भतरी, धुरवी, परजी, माड़ी जैसी गिनी-चुनी बोलियां ही बची हैं।
हठ प्रदीपिका में हठयोग के चार अंगों का वर्णन है- आसन, प्राणायाम, मुद्रा और बन्ध तथा नादानुसधान।
हठयोग पतांजलि के राज योग से काफी अलग है जो सत्कर्म पर केन्द्रित है, भौतिक शरीर की शुद्धि ही मन की, प्राण की और विशिष्ट ऊर्जा की शुद्धि लाती है।
केवल पानी, नमकीन पानी, या अम्लीय पानी में माल को चैबीस घंटे भिगोकर रखने से माड़ी सड़ जाती है, किंतु इस क्रिया में समय अधिक लगता है और कार्य की दक्षता भी अनिश्चित रहती है।
हठ प्रदीपिका पुस्तक में हठ का अर्थ इस प्रकार दिया है-।
हठ का शाब्दिक अर्थ हठपूर्वक किसी कार्य को करने से लिया जाता है।
सूर्य और चन्द्र की समान अवस्था हठयोग है।
शरीर को कार्बोहाइड्रेट्स दो प्रकार से प्राप्त होते है, पहला माड़ी अर्थात स्टार्च तथा दूसरा चीनी अर्थात शुगर।
लाइलपोर शहर के क़याम से पहले यहां पक्का माड़ी नामी क़दीम रिहाइशी इलाक़ा मौजूद था, जिसे आज कल पक्की माड़ी कहा जाता है और वो मौजूदा तारिक़ आबाद के नवाह में वाक़िअ है।
इस दुर्ग का सबसे प्रसिद्ध शासक महाराजा हम्मीर देव चौहान राजस्थान के इतिहास में अपने हठ के कारण काफी प्रसिद्ध रहा है।
हठयोग अपनी कई आधुनिक भिन्नरूपों में एक शैली है जिसे बहुत से लोग "योग" शब्द के साथ जोड़ते है।
मंत्रो लयो हठो राजयोगन्तर्भूमिका क्रमात् ।
गेहूं, ज्वार, मक्का, बाजरा, मोटे अनाज तथा चावल और दाल तथा जड़ो वाली सब्जियो मे पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट्स को माड़ी कहा जाता है।
सबसे पीछे उबलते साबुन के पानी से धोकर माड़ी, अनावश्यक मसाले और निष्क्रिय रंग निकाल दिए जाते हैं।
हठयोग योग, योग की एक विशेष प्रणाली है जिसे 15वीं सदी के भारत में हठ योग प्रदीपिका के संकलक, योगी स्वत्मरमा द्वारा वर्णित किया गया था।
रँगाई में पानी और छपाई में माड़ी (thickening) तथा रंगवाहक उपयुक्त हेते हैं।
रोमदहन के पश्चात्, इनमें, ताने पर लगाई गई माड़ी काटने (desize) की क्रिया भी करनी पड़ती है।
वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं।
पका माड़ी (पकी माड़ी)-१८९०इ के लगभग तारक़आबाद के करीब वाक़ा शहर की सब से क़देम बस्ती)।
इस प्रकार हठयोग वह क्रिया है जिसमें पिंगला और इड़ा नाड़ी के सहारे प्राण को सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश कराकर ब्रहमरन्ध्र में समाधिस्थ किया जाता है।
माड़ी सड़ाकर निकाली जाती है।
सबसे छोटी बहन, कृष्णा हठीसिंग, एक उल्लेखनीय लेखिका बनी और उन्होंने अपने परिवार-जनों से संबंधित कई पुस्तकें लिखीं।
अभिक्रियाशील रंजकों का व्यवहार कते समय सोडियम ऐल्जिनेट (sodium alginate) की माड़ी अधिक उपयुक्त होती है।