unmagnanimous Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
unmagnanimous ka kya matlab hota hai
Adjective:
महामना, उदारचरित, महानुभाव, सदाशय, उदार,
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unmagnanimous शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
आधुनिक शिक्षा के केंद्र काशी विश्वविद्यालय की स्थापना महामना मदनमोहन मालवीय ने १९१६ ई. में की।
काशी में महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित हिंदू विश्वविद्यालय में एक बड़ा जलसा हो रहा था।
बाद में काशीनरेश द्वारा प्रदत्त भूमि पर महामना द्वारा एकत्रित धन से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ।
उस जमाने में वनस्पति शास्त्र की पुस्तकों को साहित्य की श्रेणी में नहीं रखा जाता था (अब भी नहीं रखा जाता है) इस वजह से यह पुस्तक भी इतनी प्रसिद्ध नहीं हो पाई, परन्तु बनारस हिन्दू विश्व विध्यालय के महामना पं मदन मोहन मालवीय ने इन्द्र जी को निमंत्रण दिया कि वे काशी आवें और वनस्पति शास्त्र में सहाय़ता करें।
कवि ने रघुवंशी राजाओं को निमित्त बनाकर उदारचरित पुरुषों का स्वभाव पाठकों के सम्मुख रखा है, जो निम्नलिखित प्रकार से है-।
महामना एक्सप्रेस – आधुनिक सुविधाओं युक्त रेलगाड़ी है|।
व्याकरण सन् १८९८ में काशी में ऍनी बेसेण्ट द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय के सहयोग से सेण्ट्रल हिन्दू कालेज का निर्माण एक वृहद् कालेज "काशी हिन्दू विश्वविद्यालय" के केन्द्र के स्वरूप में कमच्छा, बनारस में हुआ।
महामना मदनमोहन मालवीय ने उन्हें काशी में गायत्री मंत्र की दीक्षा दी थी।
आसनसोल जेल में वे पं. जवाहरलाल नेहरू की माता श्रीमती स्वरूपरानी नेहरू, श्री रफी अहमद किदवई, महामना मदनमोहन मालवीय जी, देवदास गाँधी जैसी हस्तियों के साथ रहे व वहाँ से एक मूलमंत्र सीखा जो मालवीय जी ने दिया था कि जन-जन की साझेदारी बढ़ाने के लिए हर व्यक्ति के अंशदान से, मुट्ठी फण्ड से रचनात्मक प्रवृत्तियाँ चलाना।
रघुवंश काव्य में कालिदास ने रघुवंशी राजाओं को निमित्त बनाकर उदारचरित पुरुषों का स्वभाव पाठकों के सम्मुख रखा है।
१० अक्टूवर १९१० को काशी में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का प्रथम अधिवेशन महामना मालवीय जी की अध्यक्षता में हुआ और टण्डन जी सम्मेलन के मंत्री नियुक्त हुए।
इस विश्वविद्यालय की स्थापना (वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय एक्ट, एक्ट क्रमांक 16, सन् 1915) महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय द्वारा सन् 1916 में बसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी।
डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय, पुरुषोत्तमदास टंडन, जैसी विभूतियों ने पूज्य देवरहा बाबा के समय-समय पर दर्शन कर अपने को कृतार्थ अनुभव किया था।
वरूणो वारुणो वृक्षः पुष्कराक्षो महामनाः।
वर्ष 2015-16 विश्वविद्यालय की स्थापना का शताब्दी वर्ष था जिसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों, उत्सवों व प्रतियोगिताओं एवं 25 दिसम्बर को महामना मालवीय जी की जयनवती-उत्सव का आयोजन कर मनाया गया।