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thether Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


thether ka kya matlab hota hai


पगहा

Conjunction:

यदि,



thether शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:

यदि चन्द्रगुप्त का मंत्री कौटिल्य अर्थशास्त्र का रचनाकार होता तो 'अर्थशास्त्र' में उसका कहीं-न-कहीं कुछ जिक्र करता ही।

आलोचक वीरेन नंदा के अनुसार, पगहा जोरी-जोरी रे घाटो ‘झारखंडी जनमानस खासकर नारी संवेदना की अभिव्यक्ति का अनूठा दस्तावेज है और इसमें आदिवासी समाज का प्रामाणिक एवं मर्मस्पर्शी चित्रण है।

सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्र-गान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है।



पगहा जोरी-जोरी रे घाटो की कहानियां ।

हिंदी में यह क्रांति न आती यदि यूनिकोड न होता! (अगस्त २०१५ ; बालेन्दु शर्मा दाधीच)।

यदि इच्छा-शक्ति हो तो संस्कृत को हिब्रू की भाँति पुनः प्रचलित भाषा भी बनाया जा सकता है।

(३) चन्द्रगुप्त मौर्य का मंत्री कौटिल्य यदि 'अर्थशास्त्र' का रचनाकार होता तो उसके सूत्र एवं उक्तियाँ बड़े राज्यों के संबंध में होते, परन्तु 'अर्थशास्त्र' के उद्धरण एवं उक्तियाँ लघु एवं मध्यम राज्यों के लिये सम्बोधित हैं।

यदि शुरुआती शून्यों को हटा दिया जाय तो इन्हें केवल ८ बिट के द्वारा भी निरूपित किया जा सकता है और कहीं कोई भ्रम या कांफ्लिक्ट नहीं होगा।

हमारे लिए यदि कोई सर्व-मान्य लिपि स्वीकार करना संभव है तो वह देवनागरी है।

केन्द्र और राज्यों और अन्तर-राज्यीय पत्र-व्यवहार के लिए, यदि कोई राज्य ऐसी मांग करे, तो हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं का होना आवश्यक है।

यदि इस प्रकाश का वर्णपट प्राप्त करें तो वर्णपट का झुकाव लाल रंग की ओर अधिक होता है।

यदि यह 'ट्, ठ्, ड्, ढ्' ध्वनियों से पहले न आए तो इसका उच्चारण आजकल हिंदी में तालव्य (श) होता है।

डॉ रोज केरकेट्टा के कहानी संग्रह पगहा जोरी-जोरी रे घाटो .का विमोचन।

यदि बाँग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका शीर्षक "बन्दे मातरम्" होना चाहिये "वन्दे मातरम्" नहीं।

पगहा जोरी-जोरी रे घाटो (कतार में लौटती हुई चिड़िया) 2011 में प्रकाशित सुख्यात हिंदी कथाकार रोज केरकेट्टा की कहानियों का पहला संग्रह है।

आदिवासी साहित्य की अध्येता और समीक्षक डॉ. सावित्री बड़ाईक कहती हैं, पगहा जोरी-जोरी रे घाटो की ‘कहानियों में झारखण्ड के रस और गंध की उपस्थिति है।

यदि अन्य आकाश गंगाओं में प्रेक्षक भेजे जाएँ तो वे भी यही पाएंगे कि इस ब्रह्मांड के केंद्र बिंदु हैं, बाकी आकाश गंगाएँ हमसे दूर भागती जा रही हैं।

यदि उसके बाद कुछ है तो तुरंत यह प्रश्न सामने आ जाता है कि वह कुछ कहाँ तक है और उसके बाद क्या है? इसीलिए हमने इस ब्रह्मांड को अनादि और अनंत माना।

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