taperness Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
taperness ka kya matlab hota hai
तपता
Noun:
कुतूहल, आतुरता, तृष्णा, उत्सुकता,
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taperness शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
नीहार जीवन के उषाकाल की ही रचना है, जिसमें सत्य कुहाजाल में छिपा रह कर भी मोहक और कुतूहलपूर्ण प्रतीत होती है।
उसकी परिधि में अद्भुत एवं अतिप्राकृत तत्त्व के लिये अधिक अवकाश रहता है और कुतूहल की संभावना भी महाकाव्य में अपेक्षाकृत अधिक रहती है।
प्रेय को छोड़कर श्रेय की ओर बढ़ने की आतुरता उपनिषदों के समय जगी, तब मोक्ष के सामने ग्रहस्थ जीवन निस्सार हो गया एवं जब लोग जीवन से आनंद लेने के बजाय उससे पीठ फेरकर संन्यास लेने लगे।
(4) इसके अतिरिक्त त्रासदी के वस्तुसंगठन के अन्य गुण -- पूर्वापरक्रम, संभाव्यता तथा कुतूहल—भी महाकाव्य में यथावत् विद्यमान रहते हैं।
अधरों की आतुरता में ही जब आभासित हो प्याला,।
कथा के रस में व्याघात उत्पन्न नहीं होता, वरन पाठक एक नयी उपलब्धि पर मन ही मन और तृप्त होता हुआ और सामग्री की अपेक्षा में आतुरतापूर्वक आगे पढता चलता है।
आश्चर्य- अचरज, अचंभा, वैकल्य, विस्मय, कुतूहल, कौतूक, हैरानी, कमाल, गजब।
(ख) अंनंगरंग (कल्याणमल्ल कृत):- मुस्लिम शासक लोदीवंशावतंश अहमदखान के पुत्र लाडखान के कुतूहलार्थ भूपमुनि के रूप में प्रसिद्ध कलाविदग्ध कल्याणमल्ल ने इस ग्रन्थ का प्रणयन किया था।
सोलह वर्ष की उम्र में उन्होने स्कूल छोड़ दिया, पर उनकी पढ़ने-लिखने की आतुरता नहीं छूटी।
हेनर फोर्ड ने 15 वर्ष की उम्र तक स्कूल में शिक्षा पाई और वे खेत पर भी काम करते रहे, किंतु इन्हें आरंभ से ही सब प्रकार के यंत्रों के प्रति कुतूहल और आकर्षण रहा।
प्यासे बंदरों की जलाशय में कूद कर अपनी प्यास बुझाने की आतुरता को देख कर वानरराज ने उन्हें रुकने की चेतावनी दी, क्योंकि वे उस नये स्थान से अनभिज्ञ था।
कायरता और आतुरता साहस से संबंधित हैं अरस्तू, कुछ पुण्य के संबंध में ज्यादतियों या घाटे के रूप में कई दोष देखा. कुछ व्यवहार और कार्रवाई - जैसे ईर्ष्या, हत्या, और चोरी - वह सुनहरा मतलब (दर्शन) के संबंध में एक घाटा / अतिरिक्त का कोई सवाल ही साथ, अपने आप में गलत के रूप में देखा था।
यूं ही कुतूहलवश 'दीक्षा' के कुछ पन्ने पलटे और फिर उस पुस्तक ने ऐसा intrigue किया कि दोनों दिन पूरी शाम उसे पढ़कर ही ख़त्म किया।
कल्याणमल्ल कृत अनंगरंग:- मुस्लिम शासक लोदीवंशावतंश अहमदखान के पुत्र लाडखान के कुतूहलार्थ भूपमुनि के रूप में प्रसिद्ध कलाविदग्ध कल्याणमल्ल ने इस ग्रन्थ का प्रणयन किया था।
(३) बाह्य अनुभव को यथावत् ग्रहण करने की आतुरता।
इस बढ़ी हुई खुमारी के साथ, वह शख्स अब यास्मीन को पाने बेचैन होता है और इसी आतुरता वह दोनों उस रात हमबिस्तर होते हैं।
मध्ययुग के अद्वितीय गणितज्ञ भास्कराचार्य द्वितीय ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक सिद्धान्तशिरोमणि (लीलावती, बीजगणित, गोलाध्याय, ग्रहगणितम्) एवं करण कुतूहल में गणित की विभिन्न शाखाओं तथा अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति आदि को एक प्रकार से अंतिम रूप दिया है।
यहाँ की छोटी-छोटी और असाधारण रूप से सँकरी गलियाँ तथा उनमें स्वच्छंद विचरनेवाले साँड़ अपरिचितों के लिए कुतूहल की वस्तु हैं।
कथानक के सभी कुतूहलवर्धक अंग, जैसे स्थितिविपर्यय, अभिज्ञान, संवृति और विवृति, महाकाव्य का भी उत्कर्ष करते हैं।
न्यायकुतूहल और न्यायचंद्रिका के प्रणेता तथा इनसे भिन्न एक प्रसिद्ध वैयाकरण और एक नैयायिक पंडित भी इसी नाम के व्यक्ति हैं।
(ड) केलिकुतूहलम् (पं० मथुराप्रसाद दीक्षित कृत) :- आधुनिक विद्वान् पं० मथुराप्रसाद दीक्षित द्वारा ९४८ श्लोकों एवं १६ तरंगरूप अध्यायों में निबद्ध यह ग्रंथ हिन्दी अनुवाद सहित कृष्णदास अकादमी, वाराणसी से प्रकाशित है।