tacitness Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
tacitness ka kya matlab hota hai
मौन
Adjective:
बेअदब, उद्दंड,
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tacitness शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वह अक्सर अपने प्राधिकारियों के प्रति बेअदब और विद्रोही रहता है, हालांकि वह एक विश्वसनीय सहयोगी और सक्षम कार्यकर्ता है।
अन्य शिक्षा के प्रमुख केन्द्र विक्रमशिला और उद्दंडपुर थे।
मैडम का पति बेअदब आदमी है, जो उसे ऐसे "तुच्छ" के साथ रिश्ता रखने पर चौंकता है, और उन दोनों की शादी में बहुत कम खुशी है।
सं. 1246 में दुआबे के हिंदू जमींदारों की उद्दंडता का दमन किया।
लड़के लड़कियों को प्राय: मूर्ख समझते हैं और लड़कियाँ लड़को का उद्दंड तथा फूहड़ समझती हैं।
आकाश, जो अपने निजी जीवन में बेअदब आदमी है, जल्दबाजी में शालीनी (प्रीति जिंटा) नाम की एक लड़की से प्यार का इजहार करता है।
दौड़ के बाद, दोनों को उनके संबंधित स्कूलों द्वारा सम्मानित किया जाता है जिससे शेखर बेअदब और अहंकारी हो जाता है।
बजाय इनके, वह अपने "दिमाग को किसी भी सुपर-कंप्यूटर से ज्यादा पैनी अथवा तेज बताते" (जिसे बतौर लोकोक्ति में कहा जाता रहा है कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है ![4] ), और एक लकड़ी की छड़ी रखते, जिसे मुसीबत में वह उद्दंड बदमाशों की पिटाई कर डालते।
दर्रे की दुर्गमता और इस प्रदेश के उद्दंड निविसियों के कारण इस मार्ग से सबके लिए बहुत साल तक प्रवेश सहज न था।
दुबारा कार्यभार सँभालने के पश्चात् उसने उद्दंड अमीरों को नियंत्रित करने का प्रयास किया।
इसका मुख्य उद्देश्य उनके उद्दंड क्रिया—कलापों को नियंत्रित करना था।
भेड़िया बेहद बुद्धिमान, व्यावहार कुशल एवं मानवीय गुणों से परिपूर्ण है तो कोबी अपनी पशु बुद्धि, उद्दंडता, आक्रामक और गुस्सैल स्वभाव के कारण कुख्यात है।
2005 एशेज़ श्रृंखला के दौरान ली ने कई उद्दंड पारी खेली और एक बल्लेबाज के रूप में विश्वास दिलाया।
'मोम के मोती' (१९५४) में रजनी पनिक्कर ने पुरूषों की उद्दंड कामुकता और इससे उत्पन्न सामाजिक वातावरण में नौकरीपेशा नारी की समस्याओं को उजागर किया है।
ग्रीक सुखांत नाटक का उदय भी दियोनिसस देवता की पूजा से ही हुआ, परंतु इस पूजा का आयोजन जाड़े में न होकर वसंत में होता था और पुजारियों का जुलूस वैसे ही उद्दंडता तथा अश्लीलता का प्रदर्शन करता था जैसा भारत में होली के अवसर पर प्राय: देखने में आता है।
" अद्यतन को विश्वसनीय बनाने के लिए लैनडन की धृष्टताओं और व्यवहार को उपन्यास की तुलना में और बुरा बनाना पड़ा. स्पार्क्स लिखते हैं, "1950 के दशक में किशोर लड़कों के व्यवहार को जरा हल्की "बेअदबी" माना जाता था, जबकि 1990 के दशक में किशोर लड़कों के व्यवहार को पूरी 'बेअदबी'" समझा गया।
सामने तू अपनी उद्दंडता दिखाना छोड दे वरना तुझे मेरे भी क्रोध का सामना करना पडेगा”।