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stylography Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


stylography ka kya matlab hota hai


लेखनी

Noun:

मुद्रण कला,



stylography शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



यद्यपि मुद्रण 16 वीं शताब्दी में ही केरल पहुँची फिर भी मलयालम का मुद्रण कला कार्य देर से ही हुआ।

उन्होंने निश्चय किया कि सामाजिक संदेश के लिए ही लेखनी का उपयोग करेंगे।

पर अब उनका समय आ गया हैं और मैं आन्तरिक रूप से आशा करता हूँ कि आज सुबह इस सभा के सम्मान में जो घण्टा ध्वनि हुई है वह समस्त धर्मान्धता का, तलवार या लेखनी के द्वारा होनेवाले सभी उत्पीड़नों का तथा एक ही लक्ष्य की ओर अग्रसर होने वाले मानवों की पारस्पारिक कटुता का मृत्यु निनाद सिद्ध हो।

कागज़ तथा मुद्रण कला का आविष्कार:-।

मुद्रण कला का आविष्कार होने के पूर्व लेखन कार्य में सूचकाक्षरों का प्रयोग अधिक होने लगा था।

इस प्रकार, मुद्रण कला जर्मनी से आरंभ होकर यूरोपीय देशों में फैल गयी।

विद्वानों का कहना है कि ओड़िआ में पहले तालपत्र पर लौह लेखनी से लिखने की रीति प्रचलित थी और सीधी रेखा खींचने में तालपत्र के कट जाने का डर था।

१६वीं शताब्दी में मुद्रण कला के विकास और रुडोल्फ, राबर्ट रेकार्ड, रेफ़िल नोंवेली तथा क्रेवियस और विद्वानों के प्रयासों से इस विषय ने व्यापकीकृत अंकगणित का रूप धारण कर लिया और १७वीं शताब्दी में प्रतीक पद्धति के परिपूर्ण हो जाने पर बीजगणित का विकास बहुत जोरों से हुआ।

ये लेखनी द्वारा नहीं बल्कि लोक-जिह्वा का सहारा लेकर जन-मानस से निःसृत होकर आज तक जीवित रहे।

१५ वीं सदी मे मुद्रण कला के व्यापक प्रसार के साथ ही सुसज्जित पांडुलिपियों के प्रचलन मे काफ़ी कमी आ गई. फिर भी मुद्रण कला के विस्तार का अर्थ कैलीग्राफी का ख़त्म होना नही था।

परंपरागत कैलीग्राफी मुद्रण कला और गैर-परंपरागत हस्त लेखन से बिल्कुल अलग होती है हालाँकि कैलीग्राफी मे इन दोनों का समावेश हो सकता है।

जो गहराई और तीखापन उनके बुद्धिचातुर्य में था, वही उनकी लेखनी में भी था।

मुद्रण कला पत्रकारिता के क्षेत्र में पुष्पित, पल्लवित, विकसित तथा तकनीकी के रूप में परिवर्तीत हुई है।

इस काल में होने वाले मुद्रण कला के आविष्कार ने भाषा-विकास में महान योगदान दिया।

मुद्रण कला (टाइपोग्राफी)।

अक्षरांकन मुद्रण कला मुद्रण को सजाने, मुद्रण डिजाइन तथा मुद्रण ग्लिफ्स को संशोधित करने की कला एवं तकनीक है।

उर्मिला का जीवन वृत्त और उसकी विरह-वेदना सर्वप्रथम मैथिलीशरण गुप्त जी की लेखनी से साकार हुई हैं।

श्रीकृष्ण जी की बाल-छवि पर लेखनी अनुपम चली।

हृदय की गइराईयों से निकली अनुभूति जब कला का रूप लेती है, कलाकार का अन्‍तर्मन मानो मूर्त ले उठता है चाहे लेखनी उसका माध्‍यम हो या रंगों से भीगी तूलिका या सुरों की पुकार या वाद्यों की झंकार।

ग्रामीण जनता इस प्राचीनतम लिपि को "सीता लेखनी" कहती है।

परंतु दार्शनिकों की गंभीरता उसकी स्वभावजन्य चंचलता के विरुद्ध थी जिसके फलस्वरूप उसने समकालीन दार्शनिक आडंबरों के खंडन मंडन में ही अपनी लेखनी को सक्रिय किया।

अपनी लेखनी के माध्यम से वह सदा अमर रहेंगे।

कन्नड़ और अंग्रेजी भाषा दोनों में इनकी लेखनी समानाधिकार से चलती थी।

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