spritely Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
spritely ka kya matlab hota hai
स्प्रीटली ढंग से
Noun:
पिशाच, वेताल, प्रेत,
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spritely शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
मध्यकाल के प्रारम्भ होने से कलिंग पर सोमवंशी राजा महाशिव गुप्त ययाति द्वितीय सन् 931 ई० में गद्दी पर बैठा तथा कलिंग के इतिहास को गौरवमयी बनाने हेतु ओडिशा में भगवान जगन्नाथ के मुक्तेश्वर, सिद्धेश्वर, वरूणेश्वर, केदारेश्वर, वेताल, सिसरेश्वर, मारकण्डेश्वर, बराही व खिच्चाकेश्वरी आदि मन्दिरों सहित कुल 38 मन्दिरों का निर्माण करवाया।
प्रतिसर्गपर्व के द्वितीय खण्ड के २३ अध्यायों में वेताल-विक्रम-सम्वाद के रूप में कथा-प्रबन्ध है, वह अत्यन्त रमणीय तथा मोहक है, रोचकता के कारण ही यह कथा-प्रबन्ध गुणाढ्य की ‘बृहत्कथा’, क्षेमेन्द्र की ‘बृहत्कथा-मंजरी, सोमदेव के ‘कथासरित्सागर’ आदि में वेतालपंचविंशति के रूप में संगृहीत हुआ है।
“चित्रोत्पला वेत्रवपी करमोदा पिशाचिका।
कहानी की शुरुआत में प्रिविट ड्राईव में एक तमपिशाच आता है।
पिशाच, एक और अलौकिक प्राणी।
आगे जाकर उन्हे तम-पिशाच, अपने गुप्त कलाओ के नये टीचर, प्रोफेसर ल्यूपिन, हैग्रिड के जानवर बग-बीक, आदि के बारे में पता चलता है।
कादम्बरी में विदिशा में, कथासरित्सागर में शोभावती तथा वेतालपंचविंशति में वर्धन नामक नगर में शूद्रक के राजा होने का उल्लेख है।
कालिका पुराण में भैरव को नंदी, भृंगी, महाकाल, वेताल की तरह भैरव को शिवजी का एक गण बताया गया है जिसका वाहन कुत्ता है।
इसपर रहस्यमयी और शैतानी तमपिशाच (सुधीर दीक्षित द्वारा अनुवदित उपन्यास में 'दमपिशाच' तथा मूल रूप से 'डिमेंटर') पहरेदारी करते हैं, जो क़ैदियों की ख़ुशियाँ और अच्छी भावनाएँ चूसते रहते है (मौका मिलने पर वो क़ैदियों की आत्मा भी चूस सकते हैं)।
वेताल पंचविंशति (बैतालपचीसी) ।
• क्रत्या, निऋति, यातुधान, ससरपरी आदि के रूप मे अपकरी शक्तियो अर्थात, राछसों, पिशाच एवं अप्सराओ का जिक्र दिखाई पडता है।
सहस्रों वर्षो तक रुद्र पिशाच बन कर कुकर्मो का प्रायश्चित्त करने के उपरांत ही उसे मुक्ति मिलती है।
आठ सिद्धियाँ (पुराणों की)- अंजन, गुटका, पादुका, धातु-भेद, वेताल, वज्र, रसायन, योगिनी।
इतना ही नहीं, वेताल पंचविंशति या बेताल पच्चीसी की 25 कहानियाँ तथा पंचतंत्र की भी अनेक कहानियाँ इसमें मिल जाती हैं।
भूत पिशाच निकट नहि आवै।
शब्दार्थ पिशाच काल्पनिक प्राणी है जो जीवित प्राणियों के जीवन-सार खाकर जीवित रहते हैं आमतौर पर उनका खून पीकर. हालांकि विशिष्ट रूप से इनका वर्णन मरे हुए किन्तु अलौकिक रूप से अनुप्राणित जीवों के रूप में किया गया, कुछ अप्रचलित परम्पराएं विश्वास करती थीं कि पिशाच (रक्त चूषक) जीवित लोग थे।
सोमदेव : कथासरित्सागर, वेतालपञ्चविंशतिका (GRETIL)।
शहर का सर्वोच्च बिंदु वेताल टेकडी (समुद्रतल से 800 मी) है और शहर के पास का सिंहगड किले की ऊचाँई 1300 मी. है।
इसका दक्षिणी रूप अधिक लोकप्रिय हुआ. सिंहासन बत्तीसी भी वेताल पच्चीसी या वेतालपंचविंशति की भांति बहुत लोकप्रिय हुआ।
लोककथाओं के अनुसार, पिशाच अक्सर अपने प्रियजनों से मिला करते थे और अपने जीवन-काल में जहां वे रहते थे वहां के पड़ोसियों के अनिष्ट अथवा उनकी मृत्यु के कारण बन जाते थे।
वेताल-विक्रम-संवाद के रूप में इसमें रमणीय कथा-प्रबन्ध है।