southering Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
southering ka kya matlab hota hai
दक्षिणी
Adjective:
दक्खिन, दक्षिण,
People Also Search:
southerlysouthermost
southern
southern arrow wood
southern aster
southern blue flag
southern cabbage butterfly
southern crab apple
southern cross
southern flounder
southern flying squirrel
southern harebell
southern lights
southern live oak
southern red cedar
southering शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
हाल्मिदी शिलालेख एवं बनवसी में मिले एक ५वीं शताब्दी की ताम्र मुद्रा के अनुसार ये राज्य प्रशासन में कन्नड़ भाषा प्रयोग करने वाले प्रथम दृष्टांत बने इन राजवंशों के उपरांत शाही कन्नड़ साम्राज्य बादामी चालुक्य वंश, मान्यखेत के राष्ट्रकूट, और पश्चिमी चालुक्य वंश आये जिन्होंने दक्खिन के बड़े भाग पर शासन किया और राजधानियां वर्तमान कर्नाटक में बनायीं।
बीदर के बहमनी सुल्तान की मृत्यु उपरांत उदय हुए बीजापुर सल्तनत ने जल्दी ही दक्खिन पर अधिकार कर लिया और १७वीं शताब्दी के अंत में मुगल साम्राज्य से मात होने तक बनाये रखा।
अहमदनगर निज़ामशाही सुल्तानों की राजधानी थी, जिन्होंने 1490 ई. में दक्खिन में बहमनी सल्तनत की एक नई शाखा की स्थापना की।
पहलवी-ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न दक्षिण-पूर्व एशिया की लिपियों की समय-रेखा।
दक्षिण एशिया में प्रयोग ।
देवनागरी, भारत, नेपाल, तिब्बत और दक्षिण पूर्व एशिया की लिपियों के ब्राह्मी लिपि परिवार का हिस्सा है।
कुछ मुख्य दक्षिण एशियाई साम्राज्य जिनकी राजभाषा फ़ारसी थी:-।
अनन्त शयनम् अयंगार तो दक्षिण भारतीय भाषाओं के लिए भी देवनागरी की संभावना स्वीकार करते थे।
दक्खिन क्षेत्र खड़ी बोली शैली के विकास का क्षेत्र था।
(2) दक्खिनी - उर्दू-हिन्दी का वह रूप जो हैदराबाद और उसके आसपास की जगहों में बोला जाता है।
ब्राह्मी परिवार की लिपियाँ भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य, Republic of India) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है।
यह दक्षिण एशिया की १७० से अधिक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त हो रही है।
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भारत की भाषायी जनगणना 2001 में बज्जिका, अंगिका, कवारसी, दक्खिनी, कन्नौजी आदि बहुसंख्य बोलियों को हिंदी की श्रेणी से गायब कर दिया गया है जबकि सूचिबद्ध कई बोलियाँ ऐसी है जिनकी संख्या बहुत कम और अनजान है।
लूरी, (या लोरी), दक्षिण पश्चिमी ईरान के प्रांतों में मुख्य रूप से बोली जाती हैं जैसे, लूरिस्तान, कोगिलुये और बोयर-अख़्मद प्रांत, फ़ार्स प्रांत के कुछ पश्चिमी भाग और ख़ूज़स्तान के कुछ भाग।
यह दक्षिण एशिया की 175 से अधिक भाषाओं को लिखने के लिए प्रयुक्त हो रही है।
'देशी', 'भाखा' (भाषा), 'देशना वचन' (विद्यापति), 'हिन्दवी', 'दक्खिनी', 'रेखता', 'आर्यभाषा' (दयानन्द सरस्वती), 'हिन्दुस्तानी', 'खड़ी बोली', 'भारती' आदि हिन्दी के अन्य नाम हैं जो विभिन्न ऐतिहासिक कालखण्डों में एवं विभिन्न सन्दर्भों में प्रयुक्त हुए हैं।
भारत के बाहर, हिन्दी बोलने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में 8,63,077; मॉरीशस में 6,85,170; दक्षिण अफ़्रीका में 8,90,292; यमन में 2,32,760; युगांडा में 1,47,000; सिंगापुर में 5000; नेपाल में 8 लाख; जर्मनी में 30,000 हैं।
ज्ञानेश्वर, एकनाथ, तुकाराम, रामदास प्रभृति भक्त-संतों की हिंदी रचनाओं की भाषा, ब्रज और दक्खिनी हिंदी है।
कर्नाटक राज्य में तीन प्रधान मंडल हैं: तटीय क्षेत्र करावली, पहाड़ी क्षेत्र मालेनाडु जिसमें पश्चिमी घाट आते हैं, तथा तीसरा बयालुसीमी क्षेत्र जहां दक्खिन पठार का क्षेत्र है।
(ख) दक्षिण में इसका प्राचीन नाम "नंदिनागरी" था।
इस तरह देवनागरी लिपि न केवल भारत के अंदर सारे प्रांतवासियों को प्रेम-बंधन में बांधकर सीमोल्लंघन कर दक्षिण-पूर्व एशिया के पुराने वृहत्तर भारतीय परिवार को भी ‘बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय‘ अनुप्राणित कर सकती है तथा विभिन्न देशों को एक अधिक सुचारू और वैज्ञानिक विकल्प प्रदान कर ‘विश्व नागरी‘ की पदवी का दावा इक्कीसवीं सदी में कर सकती है।
इस क्षेत्र के नीचे के पत्थर काले दक्खिन बेसाल्ट व उनके क्षारीय व अम्लीय परिवर्तन हैं।
मैं जब दक्षिण अफ्रीका में था तब से मेरा स्वप्न है कि संस्कृत से निकली हर भाषा की एक लिपि हो, और वह देवनागरी हो।
फ़ारसी भाषा ने पश्चिम एशिया, यूरोप, मध्य एशिया और दक्षिण एशियाई क्षेत्र की कई आधुनिक भाषाओं के निर्माण को प्रभावित किया।
दक्षिण एशिया में तुर्कों-फ़ारसी गज़नवी विजय के बाद, फारसी सबसे पहले इस क्षेत्र में समाविष्ट की गई थी।
(4) दक्खिनी में हिन्दी गद्य:- गेसुदराज कृत"मेराजुलआशिकीन" तथा मूल्ला वजही कृत "सबरस" में प्राचीन दक्खिनी हिन्दी गद्य रुप को देखा जा सकता है।
कहीं तो पाणिनि की सूक्ष्म छानबीन पर आश्चर्य होता हैं, जैसे व्यास नदी के उत्तरी किनारे की बाँगर भूमि में जो पक्के बारामासी कुएँ बनाए जाते थे उनके नामों का उच्चारण किसी दूसरे स्वर में किया जाता था और उसी के दक्खिनी किनारे पर खादर भूमि में हर साल जो कच्चे कुएँ खोद लिए जाते थे उनके नामों का स्वर कुछ भिन्न था।