snobberies Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
snobberies ka kya matlab hota hai
दंभ
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snobberies शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
अभिमान- अस्मिता, अहं, अहंकार, अहंभाव, अहम्मन्यता, आत्मश्लाघा, गर्व, घमंड, दर्प, दंभ, मद, मान, मिथ्याभिमान।
रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥।
हालाँकि सागर राज उसका दंभ वहीं ख़त्म कर सकते थे लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसे वीर से वह द्वंद्व करने में असमर्थ हैं तथा दुंदुभि को गिरियों के राजा हिमवान के पास जाने को कहा।
यद्यपि वह भारतीय ज्ञान और विज्ञान का प्रशंसक था, उसने यहाँ के शिक्षित वर्गों और विशेषकर ब्राह्मणों की संकीर्णता की चर्चा भी की हैः- 'ये घमण्डी, गर्वीले, दंभी तथा संकीर्ण प्रवृत्ति के हैं।
अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान।
सेवासदन में नारी जीवन की समस्याओं के साथ-साथ समाज के धर्माचार्यों, मठाधीशों, धनपतियों, सुधारकों के आडंबर, दंभ, ढोंग, पाखंड, चरित्रहीनता, दहेज-प्रथा, बेमेल विवाह, पुलिस की घूसखोरी, वेश्यागमन, मनुष्य के दोहरे चरित्र, साम्प्रदायिक द्वेष आदि सामाजिक विकृतियों का विवरण मिलता है।
জজজ
उनके उपन्यासों में जहाँ नारी मनोविज्ञान की सूक्ष्म अभिव्यक्ति और नारी के स्वभाव उसके दर्प, दंभ, द्वंद और उसकी दासता का बखूबी चित्रण किया हुआ है वहीँ उनकी कथाओं में पारिवारिक प्रेम संबंधों की उत्कृष्टता दृष्टिगोचर होती है।
पहाड़ से महान दुंदुभि को अपने बल पर इतना दंभ हो गया कि उसने सागर राज को द्वंद्व युद्ध के लिये ललकारा।
इन साधनों के सहायक साधन हैं : राष्ट्रीय या वर्गप्रतीकों की पूजा, उत्तेजक संगीत का प्रसार, दंभ या घृणा की भावनाएँ उभारनेवाले भाषण, आज्ञापालन की आदत डालने के लिए समस्त राष्ट्र को सैन्य शिक्षा देना, विद्यालयों के लिए पुस्तकें तैयार करना, अबौद्धिक विचारधारा का प्रचार, राजनीतिज्ञों, पत्रकारों तथा विद्वानों को घूस देकर उनका मुँह बंद करना।
मदमस्त वालि ने पहले तो दंभी दुंदुभि को समझाने की कोशिश की परन्तु जब वह नहीं माना तो वालि द्वंद्व के लिए राज़ी हो गया और दुंदुभि को बड़ी सरलता से हराकर उसका वध कर दिया।
भेद-भाव, ऊँच-नीच की प्रवृत्ति, आडंबर और दंभ की दुर्भावना सब इसी सामरस्य के अभाव से उत्पन्न होती हैं जिससे जीवन दु:खमय और अभिशापग्रस्त हो जाता है।
पेशवा बालाजी बाजीराव का अनुज रघुनाथराव महत्वाकांक्षी तथा साहसी तो था; किंतु साथ ही स्वार्थी, लालची और दंभी भी था।
इसके अंतर्गत श्रद्धालु प्रभु को अपने केश समर्पित करते हैं जिससे अभिप्राय है कि वे केशों के साथ अपना दंभ व घमंड छोड़ देते है ओर मानव योनी मे जन्म ओर सम्सत पिढी की तरफ से कृतज्ञता हेतु केश समर्पिण किया जाता हैं ।