shudra Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
shudra ka kya matlab hota hai
शूद्र
Noun:
शूद्र,
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shudra शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
वैकल्पिक व्याख्या यह भी है कि पुरुषसूक्त के अलावा ऋग्वेद में अन्य कहीं भी "शूद्र" शब्द का प्रयोग ही नहीं हुआ है, अतः कुछ विद्वानों का मानना है कि पुरुष सूक्त'' उत्तर- ऋग्वैदिक काल का एक संयोजन था, जो एक दमनकारी और शोषक वर्ग संरचना को पहले से ही अस्तित्व में होने को निरूपित।
उसके दरबार में नौ रत्न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि, आर्यभट्ट, विशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, विष्णुशर्मा और भास्कराचार्य उल्लेखनीय थे।
कृष्णदास शूद्रवर्ण के थे।
चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
विष्णुपुराण में सौराष्ट्र में शूद्रों का राज्य बताया गया है, 'सौराष्ट्र विषयांश्च शूद्राद्याभोक्ष्यन्ति'।
शूद्र - "सेवक या सेवा प्रदान करने वाली प्रजाति" में अधिकतर गैर-प्रदूषित कार्यो में लगे शारीरिक और कृषक श्रमिक शामिल हैं।
इनमें मुचकर्ण, ब्राह्मणक और शूद्रक मुख्य थे।
शतपथ ब्राह्मण में वर्ण क्रम -ब्राह्मण, वैश्य, राजन्य व शूद्र है।
आदित्या: क्षत्रियास्तेषां विशस्च मरुतस्तथा, अश्विनौ तु स्मृतौ शूद्रौ तपस्युग्रे समास्थितौ, स्मृतास्त्वन्गिरसौ देवा ब्राहमणा इति निश्चय:, इत्येतत सर्व देवानां चातुर्वर्नेयं प्रकीर्तितम।
कृष्णदास शूद्रवर्ण के थे।
मछुआरे रघु भी शूद्र थे।
इसलेख में संस्कृत शब्द 'क्षत्रिय', वैदिक काल के समाज के सन्दर्भ में वर्णित है जब पूरा समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र नामक चार वर्गों में विभक्त था।
शूद्रों के सम्बन्ध में श्रुति का यह स्पष्ट निर्णय है कि वे मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उपनिषदों ने शूद्रों के ऊपर से यह बन्धन हटा दिया एवं उनके मोक्ष प्राप्ति की मान्यता स्वीकार कर ली गई।
मछुआरे रघु भी शूद्र थे।
इनमें मुचकर्ण, ब्राह्मणक और शूद्रक मुख्य थे।
यह बात दूसरी है कि वह सोम पायी है, अपने अपूजकों का अपने आयुध वज्र से वध करता है, शूद्रों को अधोगति प्रदान करने वाला अथवा अपने अपूजकों को नरक प्रदान करने वाला है, फिर भी वह अपने अन्य सद्गुणों के कारण सर्वथा पूजनीय है।
आदित्या: क्षत्रियास्तेषां विशस्च मरुतस्तथा, अश्विनौ तु स्मृतौ शूद्रौ तपस्युग्रे समास्थितौ, स्मृतास्त्वन्गिरसौ देवा ब्राहमणा इति निश्चय:, इत्येतत सर्व देवानां चातुर्वर्नेयं प्रकीर्तितम।
उसके दरबार में नौ रत्न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि, आर्यभट्ट, विशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, विष्णुशर्मा और भास्कराचार्य उल्लेखनीय थे।
आदित्यगण क्षत्रिय देवता, मरुदगण वैश्य देवता, अश्विनी गण शूद्र देवता, और अंगिरस ब्राहमण देवता माने गए हैं।
इसलेख में संस्कृत शब्द 'क्षत्रिय', वैदिक काल के समाज के सन्दर्भ में वर्णित है जब पूरा समाज ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र नामक चार वर्गों में विभक्त था।
आदित्यगण क्षत्रिय देवता, मरुदगण वैश्य देवता, अश्विनी गण शूद्र देवता, और अंगिरस ब्राहमण देवता माने गए हैं।
विष्णुपुराण में सौराष्ट्र में शूद्रों का राज्य बताया गया है, 'सौराष्ट्र विषयांश्च शूद्राद्याभोक्ष्यन्ति'।
वर्तमान ब्राह्मणवादी परंपरा का क्रम - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र, धर्मशास्त्र काल के बाद स्थिर हो गया।
चार प्रमुख वर्ण थे - ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र।
यह बात दूसरी है कि वह सोम पायी है, अपने अपूजकों का अपने आयुध वज्र से वध करता है, शूद्रों को अधोगति प्रदान करने वाला अथवा अपने अपूजकों को नरक प्रदान करने वाला है, फिर भी वह अपने अन्य सद्गुणों के कारण सर्वथा पूजनीय है।
शूद्रों के सम्बन्ध में श्रुति का यह स्पष्ट निर्णय है कि वे मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकते हैं परन्तु उपनिषदों ने शूद्रों के ऊपर से यह बन्धन हटा दिया एवं उनके मोक्ष प्राप्ति की मान्यता स्वीकार कर ली गई।
Synonyms:
Hindu, Sudra, Hindustani, sudra, Hindoo, shudra,
Antonyms:
nonreligious person,