shidder Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
shidder ka kya matlab hota hai
थरथराहट
Noun:
स्फुरण, थरथराहट, चौंक, कंपकंपी,
Verb:
घृणा दिखलाना, थरथराना, काँप उठना, काँपना, थरथरना,
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shidder शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
सीओपीडी में दीर्घ अवधि उपयोग सुरक्षित दिखते हैं इसके विपरीत प्रभावों में थरथराहट और दिल में धड़कन का बढ़नाशामिल है।
ऊर्जा, स्फुरणा, गर्मी, प्रकाश से भरे-पूरे रहने, अन्यों तक उसे फैलाने, दूसरों को अपना जैसा बनाने, ऊध्वर्गामी-आदशर्निष्ठ रहने, यज्ञीय चेतना के वाहन बनने की प्रेरणा के स्रोत।
2.ब्रह्मचारिणी - जड़ में ज्ञान का प्रस्फुरण, चेतना का संचार भगवती के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है।
पेशियों के स्फुरण (twitching) और ऐंठन से रोगी उग्र हो उठता है।
संगीतमयी प्रकृति जब गुनगुना उठती है लोकगीतों का स्फुरण हो उठना स्वाभाविक ही है।
अन्य लक्षणों में शरीर में अस्पष्ट ऐंठन (हिस्टीरिकल फिट) या शरीर के किसी अंग में ऐंठन, थरथराहट, बोलने की शक्ति का नष्ट होना, निगलने तथा श्वास लेते समय दम घुटना, गले या आमशय में 'गोला' बनता, बहरापन, हँसने या चिल्लाने का दौरा आदि है।
इससे मालूम होता है, कपिल ने आसुरि के सामने साक्षात् उपस्थित होकर उपदेश नहीं दिया अपितु आसुरि के ज्ञान में इनके प्रतिपादित सिद्धान्तों का स्फुरण हुआ, अत: ये 'आसुरि' के गुरु कहलाए।
इसके दुष्प्रभाव के चलते अनुपस्थित रूपों को देखना, बुरा सोचना, नकारात्मक विचार, चलते समय गजीर जाना, जिव्हा-नेत्र-भ्रू में स्फुरण, मुख से लालास्त्राव तथा हाथ-,पैर इधर-उधर फेंकना आदि पागलपन के लक्षण पैदा हो जाते है।
इससे व्यग्रता, आत्महत्या का दौरा, कंपोन्माद, मतिभ्रम, थरथराहट और संभावित ह्रदय गति के रुकने जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
सृष्टि के आदि में सर्वप्रथम ओंकाररूपी प्रणव का ही स्फुरण होता है।
अपनी मनश्चेतना, मानसिक अनुभूति या अंतर्दृष्टि के आधार पर हुए आध्यात्मिक स्फुरण या दिव्य प्रकाश को ही वर्णन का आधार बनाया गया है।
इस बीमारी के चलते पशुओं में तेज बुखार, थरथराहट, आंख से दिखना बंद हो जाता है।
क्षेमराज ने विमर्श को "अकृत्रिममाहम इति विस्फुरणम्" (पराप्रावेशिका, पृ.2) स्वाभाविक अहं रूपी स्फुरण कहा है।
वहीं रहते हुए उनके अन्दर कवित्व-शक्ति का प्रस्फुरण हुआ और वे संस्कृत में पद्य-रचना करने लगे।
विश्व परमशिव से अभिन्न है, यह शिव का स्फुरणमात्र है।
* लुण्ठित व्यंजन (trill consonant) ऐसा व्यंजन वर्ण होता है जिसमें मुँह के एक सक्रीय उच्चारण स्थान और किसी अन्य स्थिर उच्चारण स्थान के बीच कंपकंपी या थरथराहट कर के व्यंजन की ध्वनि पैदा की जाती है।
उत्क्षिप्त व्यंजनों (flap consonants) में भी किसी उच्चारण स्थान को हिलाकर किसी अन्य उच्चारण स्थान से मारा जाता है लेकिन इनमें ध्वनि के लिए ऐसा केवल एक बार करा जाता है और किसी प्रकार की कम्पन या थरथराहट नहीं करी जाती।
यदि ऐसा न हुआ तो धुरी के घूमते ही उसमें थरथराहट पैदा होगी और धुरी को तोलन खराब हो जायगा।
उन्माद प्राय: कामवृत्ति संबंधी अनुभूतियों का पुन:स्फुरण होता है।
ज्ञानेश्वरी में स्फुरणरूप से अथवा बीजरूप से व्यक्त होनेवाला स्फूर्तिवाद ज्ञानेश्वर द्वारा उनके अमृतानुभव नामक एक छोटे ग्रंथ में विशद रूप से प्रतिपादित है।