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sermoning Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


sermoning ka kya matlab hota hai


उपदेश

Noun:

समन,



sermoning शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:

(४) लंकावतार (रावण का मलयागिरि पर जाना और शाक्यसिंह के उपदेश से बोधिज्ञान लाभ करना वर्णित है),।

बड़ी संख्या में स्वदेशी जनसंख्या की गणना नहीं हो सकी क्योंकि उनकी स्वदेशी स्थिति फार्म में दाखिल नहीं हुई थी, कारणों के समन्वय के बाद,ABS ने 2001 का सही आँकडा लगभग 460,140 (कुल जनसंख्या का 2.4%) अनुमानित किया।



इसी दृष्टि से ज्ञानमार्ग और कर्ममार्ग, विद्या और अविद्या, संभूति और असंभूति के समन्वय का उपदेश है।

उपनिषदों में सर्वत्र समन्वय की भावना है।

नेहरू ने महात्मा गांधी के उपदेशों के अनुसार अपने परिवार को भी ढाल लिया।

भूगोल एक ओर अन्य श्रृंखलाबद्ध विज्ञानों से प्राप्त ज्ञान का उपयोग उस सीमा तक करता है जहाँ तक वह घटनाओं और विश्लेषणों की समीक्षा तथा उनके संबंधों के यथासंभव समुचित समन्वय करने में सहायक होता है।

पुराणों में वैदिक काल से चले आते हुए सृष्टि आदि सम्बन्धी विचारों, प्राचीन राजाओं और ऋषियों के परम्परागत वृत्तान्तों तथा कहानियों आदि के संग्रह के साथ साथ कल्पित कथाओं की विचित्रता और रोचक वर्णनों द्वारा साम्प्रदायिक या साधारण उपदेश भी मिलते हैं।

काव्य से परम शान्ति मिलती है और कविता से कान्ता के समान उपदेश ग्रहण करने का अवसर मिलता है।

सत्‍य, अहिंसा, करुणा, समन्‍वय और सर्वधर्म समभाव ये भारतीय संस्‍कृति के ऐसे तत्त्व हैं, जिन्‍होंने अनेक बाधाओं के ‍बीच भी हमारी संस्‍कृति की निरन्‍तरता को अक्षुण्ण बनाए रखा है।

बुद्ध ने अपना पहला उपदेश वाराणसी (बनारस) के निकट सारनाथ में दिया और एक ऐसे धर्म की नींव रखी, जो न केवल भारत में, बल्कि चीन व जापान जैसे सुदूर देशों तक भी फैला।

इसकी शैली उपदेशात्मक और सलाहात्मक (instructional) है।

बुद्ध के प्रारंभिक उपदेशों में योग विचारों का सबसे प्राचीन निरंतर अभिव्यक्ति पाया जाता है।

इसी दृष्टि से ज्ञानमार्ग और कर्ममार्ग, विद्या और अविद्या, संभूति और असंभूति के समन्वय का उपदेश है।

उपदेश, नीति और लोकव्यवहार के सूत्र इनमें बड़े ही रमणीय ढंग से प्राप्त हो जाते हैं।

पृथ्वी के किसी स्थानविशेष पर शृंखलाबद्ध भूगोल की शाखाओं के समन्वय को केंद्रित करने का प्रतिफल प्रादेशिक भूगोल है।

कला जीवन को सत्‍यम् शिवम् सुन्‍दरम् से समन्वित करती है।

नौ स्कंधों के भीतर तो जीवब्रह्म की एकता, भक्ति का महत्व, सृष्टिलीला, कपिलदेव का जन्म और अपनी माता के प्रति वैष्णव भावानुसार सांख्यशास्त्र का उपदेश, मन्वंतर और ऋषिवंशावली, अवतार जिसमें ऋषभदेव का भी प्रसंग है, ध्रुव, वेणु, पृथु, प्रह्लाद इत्यादि की कथा, समुद्रमथन आदि अनेक विषय हैं।

इसमें भारतीय शास्त्रीय, भारतीय लोक और पाश्चात्य शास्त्रीय तथा पाश्चात्य लोक का समन्वय देखने को मिलता है।

मूर्त्तिकला, समन्‍वयवादी वास्‍तुकला तथा भित्तिचित्रों की कला के साथ-साथ पर्वतीय कलाओं ने भी भारतीय कला से समृद्ध किया है।

जिन्हें मध्यकाल के संतों ने समन्वित करने की सफल कोशिश की और सभी संप्रदायों को परस्पर आश्रित बताया।

पुराणों का उद्देश्य पुराने वृत्तों का संग्रह करना, कुछ प्राचीन और कुछ कल्पित कथाओं द्वारा उपदेश देना, देवमहिमा तथा तीर्थमहिमा के वर्णन द्वारा जनसाधारण में धर्मबुद्धि स्थिर रखना था।

(इसकी व्‍यवस्‍था एक कॉयर या पर्याप्‍त आकार के, उपयुक्‍त रूप से स्‍थापित तरीके से की जा सकती है, जिसे बैंड आदि के साथ इसके गाने का समन्‍वय करने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।

इस प्रकार ऊर्जा संरक्षण और द्रव्यमान संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है और इस सिद्धांत के द्वारा भौतिकी और रसायन एक दूसरे से संबद्ध हो जाते हैं।

मन्दिर के अन्दर विभिन्न पौराणिक दृश्यों की संगमरमर पर की गई नक्काशी दर्शनीय तो है ही, उन पर गीता व रामायण के उपदेश भी अंकित हैं।

इन्होंने अपने उपदेश स्तंभ, पहाद्, शीलालेख पे लिखाया जो भारत इतिहास के लिया बहुत महातवपूर्ण है।

13. हिन्दू दृष्टि समतावादी एवं समन्वयवादी.।

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