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scriptory Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


scriptory ka kya matlab hota hai


पटकथा

Noun:

हस्तलेख, शास्र, धर्म-पुस्तक, हस्तलिपि, लेख, वेद,



scriptory शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



१२ वी सदी के दौर के अन्त मे हिन्दुस्तानी शास्रीय संगीत से ही दक्षिणी कर्नाटक संगीत विभाजित हुआ।

उन्होंने कहा- "अब इस मृत सिंहासन का शास्रोक्त विधि से अंतिम संस्कार कर दिया जाना चाहिए।

शास्रीय संगीत के पद, ख़याल, ध्रुपद आदि का जन्म ब्रजभूमि में होने के कारण इन सबकी भाषा ब्रज है और ध्रुपद का विषय समग्र रूप ब्रज का रास ही है।

कवींद्राचार्य के संग्रह में ब्रह्मव्याकरण, यमव्याकरण, वरुणव्याकरण, सौम्यव्याकरण और शब्दतर्कव्याकरण के हस्तलेख थे जिनके बारे में आज विशेष ज्ञान नहीं है।

इसके अतिरिक्त ५ व्यक्तियों के नाम लिखे गये ४६ पत्र, कई चित्र एवं हस्तलेख तथा कुछ अन्य सामग्री भी दी गयी हैं।

ज्योतिषी को अपने ज्योतिष ज्ञान पर नही, बल्कि पूरे ज्योतिष शास्र पर संदेह होने लगा।

बहुत सारे शास्रों का ज्ञाता था।

बृहत्कथा श्लोकसंग्रह को विद्वान् बृहत्कथा की नेपाली वाचना मानते हैं किंतु इसका केवल हस्तलेख ही नेपाल में मिला है, अन्य कोई नेपाली प्रभाव इसमें दिखाई नहीं पड़ता।

उन्होंने जब उससे पूछा कि क्या शास्रों में किसी भी स्थिति में धर्म से विमुख होने को कहा गया है तो तपस्वी एकदम चुप हो गया।

"कूचिमारतंत्र" का हस्तलेख मद्रास से उपलब्ध हुआ है जिसे ग्रंथकार "उपनिषद्" का नाम देता है और जिस कारण उसमें प्रतिपादित अधिकरण "औपनिषदिक" नाम से प्रख्यात हुआ।

हिन्दी भाषा में यह 'पाण्डुलिपि', 'हस्तलेख', 'हस्तलिपि' इत्यादि नामों से प्रसिद्ध है ।

उन्हें इसका हस्तलेख मिला था इण्डिया हाउस के आफिस में।

इन्साइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका के अनुसार १२२४ ईं में कंठस्थ की जानेवाली 'लातिन' शब्दसूची के हस्तलेख के लिये जान गारलैंडिया ने इस (डिक्शनरी) शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किया गया था।

शास्रों में कहा गया है कि मनुष्य को अपने कर्म से मुँह नहीं मोड़ना चाहिए।

मुख्य मंडप, मंडप और महामंडप के साथ साथ इसका आधार-योजना, रुप, ऊँचाई, उठाव, अलंकरण तथा आकार शास्रीय पद्धति का उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है।

1904 ई. में तंजोर के एक पंडित ने भट्टस्वामी के अपूर्ण भाष्य के साथ अर्थशास्त्र का हस्तलेख मैसूर राज्य पुस्तकालय के अध्यक्ष श्री आर. शाम शास्त्री को दिया।

स्थापित होते ही सभा ने यह लक्ष्य किया कि प्राचीन विद्वानों के हस्तलेख नगरों और देहातों में लोगों के बेठनों में बँधे बँधे नष्ट हो रहे हैं।

इसके पश्चात् इस ग्रंथ के दो हस्तलेख म्यूनिख लाइब्रेरी में प्राप्त हुए और एक संभवत: कलकत्ता में।

*(1) दोनों संग्रहों की प्रतियाँ उनके संग्रहकारों के हस्तलेखों में नहीं हैं, इसलिए संग्रहकारों की कृतियों उनकी प्रतियों के पूर्व की होगीं।

परंतु इसके अंतर्गत प्राचीन हस्तलेखों और मुद्रित ग्रथो के आधार पर जब शब्दसंकलन होता है तब उभयविध आधारग्रंथों की प्रामाणिकता और पाठशुद्धि आवश्यक होती है।

हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख १३७३ ई. का प्राप्त है।

उनके शस्र ज्ञान और शास्र ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी।

वे राज-काज से बचा समय अकसर शास्रों के अध्ययन में लगाते थे और इसी ध्येय से उन्होंने राजमहल के एक हिस्से में विशाल पुस्तकालय बनवा रखा था।

गत एक शताब्दी में धमार के श्रेष्ठ गायक नारायण शास्री, धर्मदास के पुत्र बहराम खाँ, पं॰ लक्ष्मणदास, गिद्धौर वाले मोहम्मद अली खाँ, आलम खाँ, आगरे के गुलाम अब्बास खाँ और उदयपुर के डागर बंधु आदि हुए हैं।

वह राजा से बोला- "ज्योतिष शास्र कहता है कि कमलचिन्ह जिसके पाँवों में मौजूद हों वह व्यक्ति राजा होगा ही मगर यह सरासर असत्य है।

अगर उनके पाँवों पर कमल चिन्ह नहीं हुआ तो मैं समूचे ज्योतिष शास्र को झूठा समझूंगा और मान लूंगा कि मेरा ज्योतिष अध्ययन बेकार चला गया।

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