satyagraha Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
satyagraha ka kya matlab hota hai
सत्याग्रह
ब्रिटिश शासन का विरोध करने और राजनीतिक सुधारों को तेज करने के लिए महात्मा गांधी द्वारा भारत में अहिंसक प्रतिरोध का रूप शुरू किया गया
Noun:
सविनय अवज्ञा, सत्याग्रह,
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satyagraha शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उन्होंने इसके लिये बापू की अनुमति प्राप्त की और वे राजकोट पहुँचते ही सविनय अवज्ञा के अभियोग में नजरबंद कर ली गर्इं।
दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने के लिए अपनी रजामन्दी दे दी।
इसलिए उन्होंने सत्याग्रह (Satyagraha), की तर्ज पर "काफिर (Kaffir)s " .का उदाहरण देते हुए भारतीयों से अध्यादेश का विरोध करने का आग्रह किया।
इस सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की।
गांधी जी ने भी 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान किया।
सन् १९३० में छात्रों के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल होने पर पाबंदी लगाने के चलते कुछ समय के लिए अलग हो गए थे।
स्वराज और नमक सत्याग्रह (नमक मार्च) ।
सबसे पहले गान्धी जी ने प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिये संघर्ष हेतु सत्याग्रह करना आरम्भ किया।
बारडोली सत्याग्रह, भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान वर्ष 1928 में गुजरात में हुआ एक प्रमुख किसान आंदोलन था, जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ने किया ।
उन्होंने कांग्रेस वकिंग कमेटी के सदस्य के रूप में सविनय अवज्ञा आंदोलन में सन् १९६० और १९३२ में जेलयात्रा की।
वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया।
गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये लवण कर के विरोध में 1930 में नमक सत्याग्रह और इसके बाद 1942 में अंग्रेजो भारत छोड़ो आन्दोलन से विशेष विख्याति प्राप्त की।
नेहरू, महात्मा गांधी के सक्रिय लेकिन शांतिपूर्ण, सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति खासे आकर्षित हुए।
'दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास' मूलतः गुजराती में 'दक्षिण आफ्रिकाना सत्याग्रहनो इतिहास' नाम से 26 नवंबर 1923 को, जब वे यरवदा जेल में थे, लिखना शुरू किया।
गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि १९१८ में चम्पारन सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह में मिली हालांकि अपने निर्वाह के लिए जरूरी खाद्य फसलों की बजाए नील (indigo) नकद पैसा देने वाली खाद्य फसलों की खेती वाले आंदोलन भी महत्वपूर्ण रहे।
सन् १९३० में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के सिलसिले में बस्ती में गिरफ्तार हुए और कारावास का दण्ड मिला।
इसके बाद गांधी जी ने मार्च १९३० में नमक पर कर लगाए जाने के विरोध में नया सत्याग्रह चलाया जिसे १२ मार्च से ६ अप्रेल तक नमक आंदोलन के याद में ४०० किलोमीटर (२४८ मील) तक का सफर अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया ताकि स्वयं नमक उत्पन्न किया जा सके।
इसके बाद 1914 में जातरा भगत के नेतृत्व में लगभग छब्बीस हजार आदिवासियों ने फिर से ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह किया था जिससे प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने आजादी के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया था।
1850 के करीब ऑस्ट्रेलिया में एक स्वर्ण दौड़ शुरू हुई और यूरेका कठघरे के विद्रोहीयों द्वारा, 1854 में, लाइसेंस शुल्क के खिलाफ सविनय अवज्ञा इसकी शुरूआती अभिव्यक्ति थी।
१९४२ में भारत छोड़ो आंदोलन के क्षेत्र में एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन और हमलों द्वारा चिह्नित किया गया था जो गांधी द्वारा बुलाया गया था।
यहां से हजारों सत्याग्रहियों को जेल भेजा गया था।
गाँधी जी द्वारा मौलिक रूप से लिखित पुस्तकें चार हैं-- हिंद स्वराज, दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास, सत्य के प्रयोग (आत्मकथा), तथा गीता पदार्थ कोश सहित संपूर्ण गीता की टीका।
सरकार ने इस सत्याग्रह आंदोलन को कुचलने के लिए कठोर कदम उठाए, पर अंतत: विवश होकर उसे किसानों की मांगों को मानना पड़ा।
केरल के गांधी समर्थक श्री केलप्पन ने महात्मा की आज्ञा से इस प्रथा के विरूद्ध आवाज उठायी और अंततः इसके लिये सन् १९३३ ई0 में सविनय अवज्ञा प्रारम्भ की गयी।
सन् १९२९ में बंगाल में सविनय अवज्ञा आंदोलन का संचालन किया।
वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, उनकी इस अवधारणा की नींव सम्पूर्ण अहिंसा के सिद्धान्त पर रखी गयी थी जिसने भारत को भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम दिलाकर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकारों एवं स्वतन्त्रता के प्रति आन्दोलन के लिये प्रेरित किया।
satyagraha's Meaning':
the form of nonviolent resistance initiated in India by Mahatma Gandhi in order to oppose British rule and to hasten political reforms