sardars Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
sardars ka kya matlab hota hai
सरदारों
Noun:
सारदा,
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sardars शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
दक्षिणेश्वर में आनेवाले शिष्य भक्तों को सारदा देवी अपने बच्चों के रूप में देखती थीं और उनकी बच्चों के समान देखभाल करती थीं।
सामंत सरदारों के अलावा धार्मिक तंत्र के उच्चाधिकारियों विशेषता पूर्व के हाथों में भी विस्तृत शक्तियां आ गई थी।
सारदा देवी का जन्म 22 दिसम्वर 1853 को बंगाल प्रान्त स्थित जयरामबाटी नामक ग्राम के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ।
सालम्बर उप-मंडल में तीन तहसीलें शामिल हैं: लसदिया, सलूंबर और सारदा।
सारदा देवी पवित्र जीवन व्यतीत करते हुए एवं रामकृष्ण की शिष्या की तरह आध्यात्मिक शिक्षा ग्रहण करते हुए अपने दैनिक दायित्व का निर्वाह करने लगीं।
रामकृष्ण सारदा को जगन्माता के रूप में देखते थे।
बहादुर शाह ज़फ़र के साथ शुरुआत से, मुगल सम्राटों की सत्ता में उत्तरोत्तर गिरावट आई और वे कल्पित सरदार बने, जो शुरू में विभिन्न विविध दरबारियों द्वारा और बाद में कई बढ़ते सरदारों द्वारा नियंत्रित थे।
१२०६ में मंगोल जाति के विभिन्न कबीलों के सरदारों ने तेमुजिन को अपनी जाति का सबसे बड़ा मुखिया चुना और उसे सम्मान में "चंगेज खान"(११६२-१२२७) कहना शुरू किया, १२१५ में उस ने किन राज्य की "मध्यवर्ती राजधानी"चुङतू पर कब्जा कर लिया और ह्वांगहो नदी के उत्तर के विशाल उलाकें को हथिया लिया।
उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे।
इन्होंने 1778 ई. में पहाड़िया सरदारों से मिलकर रामगढ़ कैंप पर कब्जा करने वाले अंग्रेजों को खदेड़ कर कैंप को मुक्त कराया।
केरल के लोग सारदा देवी (बांग्ला : সারদা দেবী) भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं।
जिले के अनुसूचित क्षेत्रों में कोटरा, झडोल, लसदिया, सालंबर, सारदा, खेरवाड़ा, ऋषभदेव, और गोगुंडा की पूरी तहसील और गिरवा, मावली और वल्लभनगर तहसील के हिस्से शामिल हैं।
उन्होने बड़े प्यार से सारदा देवी का स्वागत कर उन्हे सहज रूप से ग्रहण किया और गृहस्थी के साथ साथ आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करने की शिक्षा भी दी।
1920- 'श्रीमाँ' के नाम से परिचित सारदा देवी भारत के सुप्रसिद्ध संत स्वामी विवेकानंद के गुरु रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक सहधर्मिणी थीं।
|हेन्नू समसारदा कन्नू।
दलथंबन साही और धारामाल साही उसके बचाव के लिए आये था और बागी सरदारों खदेर दिया।
१९वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश लोगों के आवागमन से पूर्व वर्तमान लौंगत्लाइ ज़िले का क्षेत्र में स्थानीय जनजातीय सरदारों द्वारा शासित होता था, जिनके क्षेत्र एक गाँव या कुछ गाँवों तक सिमित रहते थे।
स्वामी सारदानन्द, श्रीरामकृष्ण लीलाप्रसंग, श्रीरामकृष्ण मठ, नागपुर।
टड़ियावां टड़ियावां में सारदा नहर है।
प्राचीन काल में तमिलों की भूमि पर तीन राजसत्ताओं का शासन था, जिनके मुखिया के रूप में राजा को "वेंधार" कहा गया है और कई जनजातीय सरदारों द्वारा नियंत्रित बड़े कबीलों में विभक्त था, सरदारों को "वेळ" अथवा "वेळिर" कहा गया ह।
इन सरदारों के साथ राव बीका जी ने बीकानेर की स्थापना की।
बलवंत सिंह ने स्थानीय सरदारों की शक्ति को नष्ट करने की नीति अपनायी।
सात अंगूठियाँ सौरॉन ने बौनों के सरदारों को दीं और नौ इंसानों के सरदारों को।
सामन्ती राज्य- रोमन साम्राज्य के पतन के बाद केंद्रीय सत्ता लुप्त हो गई पांचवी शताब्दी ईस्वी से मध्यकाल का आरंभ हुआ जिसमें सारी शक्ति बड़े बड़े जमीदारों जागीरदारों और सामान सरदारों के हाथों में आ गई वैसे छोटे-छोटे राज्यों में राजा जिसकी सर्वोच्च मानी जाती थी परंतु शक्ति सामंत सरदारों के हाथ में ही रही।
भारत की स्वतंत्रता के बाद १९५२ ईस्वी में लुशाई हिल्स स्वायत्त ज़िला परिषद घोषित करके स्थानीय जनजातीय सरदारों की शक्ति छीन ली गयी।
1872 ई. के फलाहारिणी काली पूजा की रात को उन्होंने सारदा की जगन्माता के रूप में पूजा की।