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sapor Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


sapor ka kya matlab hota hai


सपोर

Noun:

कल्पना, वाष्प, भाप,



sapor शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:

मानवीय कल्पना, चिंतन-क्षमता, अंतर्दृष्टि की क्षमता जहाँ तक उस समय के दार्शनिकों, मनीषियों या ऋषियों को पहुँचा सकीं उन्होंने पहुँचने का भरसक प्रयत्न किया।



बाक्स पाचक, वाष्प-पाचक व उष्मा भंडारक प्रकार के एवं भोजन पाचक, सामुदायिक पाचक आदि प्रकार के सौर-पाचक विकसित किए जा चुके हैं।

पृथ्वी का लगभग 71% सतह को 1.460 पीटा टन (पीटी) (1021 किलोग्राम) जल से आच्छदित है जो अधिकतर महासागरों और अन्य बड़े जल निकायों का हिस्सा होता है इसके अतिरिक्त, 1.6% भूमिगत जल एक्वीफर और 0.001% जल वाष्प और बादल (इनका गठन हवा में जल के निलंबित ठोस और द्रव कणों से होता है) के रूप में पाया जाता है।

धर्म ( पालि : धम्म ) भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की प्रमुख संकल्पना है।

पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा।

बहुभाषी पर्यायकोशों में एतिहासिक और तुलनात्मक भाषाविज्ञान के सहयोग सहायता द्वारा स्रोतभाषा के कल्पनानिदिप्ट रूप अंगीकृत होते हैं।

अंत में कहा यह गया कि हमारी श्रेष्ठ परिकल्पना के आधार पर जो कुछ हम समझ सके, वह यह है।

जल लगातार एक चक्र में घूमता रहता है जिसे जलचक्र कहते है, इसमे वाष्पीकरण या ट्रांस्पिरेशन, वर्षा और बह कर सागर में पहुॅचना शामिल है।

सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है।

बर्फ भी रंगहीन लगती है और जल वाष्प मूलतः एक गैस के रूप में अदृश्य होता है।

आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है।

ब्रह्म की परिकल्पना वेदान्त दर्शन का केन्द्रीय स्तम्भ है और हिन्दू धर्म की विश्व को अनुपम देन है।

यह वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प की मात्र से बनती है और यह पृथ्वी से वाष्पीकरण के विभिन्न रूपों द्वारा वायुमंडल में पहुंचती है।

इसलिए उपयुक्त कमी का ध्यान रखकर कुछ विद्वान् कहते हैं कि इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है।

प्रकृति के प्रत्येक रूप में एक नियंत्रक देवता की कल्पना करते-करते वैदिक आर्य बहुदेववादी हो गए थे।

जल पृथ्वी पर कई अलग अलग रूपों में मिलता है: आसमान में जल वाष्प और बादल; समुद्र में समुद्री जल और कभी कभी हिमशैल; पहाड़ों में हिमनद और नदियां ; और तरल रूप में भूमि पर एक्वीफर के रूप में।

सतही वाष्पीकरण से उत्पन्न जल वाष्प परिसंचरण तरीको द्वारा वातावरण में पहुँचाया जाता है।

ये क्षेत्र प्रायः विरल आबादी, नगण्य वनस्पति, पतो की जगह काटें, जल के स्त्रोतों की कमी, जलापूर्ति से अधिक वाष्पीकरण हैं।

हवा जल वाष्प को स्थल के ऊपर उसी दर से उड़ा ले जाती है जिस गति से यह बहकर सागर में पहँचता है लगभग 36 Tt (1012 किलोग्राम) प्रति वर्ष।

भूमि पर 107 Tt वर्षा के अलावा, वाष्पीकरण 71 Tt प्रति वर्ष का अतिरिक्त योगदान देता है।

इन सब पक्षों के मूल में कल्पना का प्राधान्य है, निश्चयात्मक प्रमाण अनुपलब्ध हैं।

संक्षेप में, वेदों में इस संसार में दृश्यमान एवं प्रकट प्राकृतिक शक्तियों के स्वरूप को समझने, उन्हें अपनी कल्पनानुसार विभिन्न देवताओं का जामा पहनाकर उनकी आराधना करने, उन्हें तुष्ट करने तथा उनसे सांसारिक सफलता व संपन्नता एवं सुरक्षा पाने के प्रयत्न किए गए थे।

सृष्टि के उद्‍गम एवं उसकी रचना के संबंध में गहन चिंतन तथा स्वयंफूर्त कल्पना से उपजे रूपांकन को विविध बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।

नरक व उसमें मिलने वाली यातनाओं की कल्पना तक नहीं की गई थी।

किन्तु वाष्प आदि से चलने वाली मशीनों के आविष्कार से यह स्थिति बदल गयी जिससे औद्योगिक क्रान्ति का सूत्रपात हुआ।

जब वायुमंडलीय स्थितियों के कारण गर्म, आर्द्र हवा ऊपर की ओर जाती है, तो यह वाष्प सघन हो वर्षा के रूप में पुनः सतह पर आ जाती हैं।

sapor's Usage Examples:

The first ten were written in 337, the following twelve in 344, and the last in 345.1 The author was early known as hakkima pharsaya ("the Persian sage"), was a subject of Sapor II., and was probably of heathen parentage and himself a convert from heathenism.


it was taken by Sapor (Shapur) II., and became the capital of an autonomous province of the Sassanian Empire, until it fell into the hands of the Arabs (c. 640), under whom it regained its autonomy.


It was enlarged and strengthened by Constantius II., in whose reign it was taken of ter a long siege by Shapur (Sapor) II., king of Persia.


At first, it seems, Odainath attempted to propitiate the Parthian monarch Shaptir (Sapor) I.; but when his gifts were contemptuously rejected (Petr.


As a writer he is chiefly known as the reputed author of a collection of martyrologies which cover the reigns of Sapor II., Yazdegerd I.


He had already become master of the horse when in 383 he was sent by Theodosius (379-395) at the head of an embassy to the Persian king, Sapor III.


It was heroically defended against Shapur (Sapor) II., who unsuccessfully besieged it thrice.


This gigantic work, the line of which may still be traced throughout its course, was formerly called the Khandak Sabur or " Sapor's trench," being ascribed to the Sassanian king, Shapur I.


It was taken by Tigranes and destroyed by the Persian king Shapur (Sapor) I.


Accordingly when Sapor II.



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