sangho Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
sangho ka kya matlab hota hai
सांघो
Noun:
सांगो,
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sangho शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
गुरु सांदीपन से शिक्षा लेकर अल्पकाल में ही सांगोपांग वेदों को कंठस्थ कर लिया तथा गुरुदक्षिणा के रूप में उनके मृत पुत्रों को यमलोक से लाकर गुरु को प्रदान किया।
जिस प्रकार यूरोप में घनवादियों (क्यूब्रिस्ट्स) ने अभिनयकौशल के लिए व्यायाम का विधान किया है वैसे ही भरत ने भी अभिनय का ऐसा विस्तृत विवरण दिया है कि अभिनय के संबंध में संसार में किसी देश में अभिनय कला का वैसा सांगोपांग निरूपण नहीं हुआ।
१. यो विध्याच्चतुरो वेदान् सांगोपनिषदो द्विज:।
उदाहरणार्थ अग्निष्टोमीय पशु पुरोडाशादि पूर्वोक्त विषयों का पूर्णज्ञाता व्यक्ति ही सांगोपांग धर्मानुष्ठान कर सकता है, जिसकी विवेचना "मीमांसा दर्शन" में जैमिनि ने की है।
प्रवर्ग्य काण्डम् -- इसमें सांगोपाङ्ग प्रवर्ग्यकर्म।
জজজ
एक विशाल वेद का सांगोपांग अध्ययन उनके सामर्थ्य से बाहर हो जायेगा।
इसमें नाट्यशास्त्र, संगीत-शास्त्र, छन्दशास्त्र, अलंकार, रस आदि सभी का सांगोपांग प्रतिपादन किया गया है।
इसमें सर्वप्रथम रस सिद्धांत की चर्चा तथा इसके प्रसिद्ध सूत्र -'विभावानुभाव संचारीभाव संयोगद्रस निष्पति:" की स्थापना की गयी है| इसमें नाट्यशास्त्र, संगीतशास्त्र, छंदशास्त्र, अलंकार, रस आदि सभी का सांगोपांग प्रतिपादन किया गया है।
उसमें संध्या, सूर्य, चंद्रमा, रात्रि, प्रदोष, अंधकार, दिन, प्रात:काल, मध्याह्न, मृगया, पर्वत, ऋतु, वन, सागर, संयोग, विप्रलंभ, मुनि, स्वर्ग, नगर, यज्ञ, संग्राम, यात्रा और विवाह आदि का यथासंभव सांगोपांग वर्णन होना चाहिए (साहित्यदर्पण, परिच्छेद 6,315-324)।
तालुक उत्तरी सोलापुर, दक्षिण सोलापुर, अक्कलकोत, बरशी, मंगलवेधा, पंढरपुर, सांगोला, मालसिरस, मोहोल, माधा और कर्मला हैं ।
पितृधर्म, पुत्रधर्म, मातृधर्म, गुरुधर्म, शिष्यधर्म, भ्रातृधर्म, मित्रधर्म, पतिधर्म, पत्नीधर्म, शत्रुधर्म प्रभृति जागतिक सम्बन्धों के विश्लेषण के साथ ही साथ सेवक-सेव्य, पूजक-पूज्य, एवं आराधक-आर्राध्य के आचरणीय कर्तव्यों का सांगोपांग वर्णन इस ग्रन्थ में प्राप्त होता है।
इस खण्डकाव्य में कवि ने अपनी प्रिया को सबोधित कर छह ऋतुओं का छह सर्गों में सांगोपांग वर्णन किया है।
नाट्य के भेद तथा कलेवर का सांगोपांग विवरण १८वें और १९वें अध्याय में देकर २०वें वृत्ति विवेचन किया है।