respectiveness Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
respectiveness ka kya matlab hota hai
संबंधितता
Noun:
विचारशीलता, गांभीर्य, गंभीरता, संजीदगी,
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respectiveness शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
पांडित्य और प्रतिभा के घनी भवभूति के नाटकों में शास्त्रों का व्यापक ज्ञान, भाषा की प्रौढ़ता, भाव की गरिमा और निरीक्षण की सूक्ष्मता के कारण सरसता के स्थान पर गांभीर्य और उदात्तता विशेष प्राप्त होती है।
वह बोलिंगबुक के गांभीर्य तथा बुद्धिमत्त का परिचय देती है यद्यपि वह बोलिंगबुक के गांभीर्य शून्य दार्शनिक विचारों के आधार पर लिखी गई हैं।
(4) प्रबन्धन, एक विचारशीलता की प्रक्रिया है।
(विचारशीलता कुछ के बारे में "विचारों" की शक्ति के लिए एक दार्शनिक शब्द है।
दया, विचारशीलता और संयम इसके आधार स्तम्भ थे।
उनके शास्त्रीय विवेचन में शास्त्र के गांभीर्य और नूतन प्रतिभा की दृष्टि दिखाई पड़ती है।
इनकी "आप्त मीमांसा" अपने विचार गांभीर्य के लिए विद्वत्समाज में अति प्रसिद्ध है।
इस तरह उनके काव्य में विस्तारगत विशालता और दर्शनगत गुरुत्व भले ही न मिले, पर उनकी भावनाओं की गंभीरता, अनुभूतियों की सूक्ष्मता, बिंबों की स्पष्टता और कल्पना की कमनीयता के फलस्वरूप गांभीर्य और महत्ता अवश्य है।
नैतिक विधिशास्त्र, विधान की विवेचना नैतिक गांभीर्य एवं इसकी पूर्णता की दृष्टि से करता है।
" गानों के बोल के हिसाब से, यील्ड ने 'नो कोड' में दिखाई देने वाले ज्यादा विचारशील लेखन के प्रकार को जारी रखा है, इसके बारे में वेड्डर का कहना है, "जो अतीत में क्रोध था अब वह विचारशीलता में परिवर्तित हो चुका है।
इतिहास की जानकारी में अक्सर अतीत की घटनाओं की जानकारी और ऐतिहासिक विचारशीलता की योग्यताओं, दोनों को शामिल किया जाता है।
संस्कृत का नाटककार कवि हृदय होने के नाते भावों को ही गांभीर्य का जनक समझता है, वह कोरी कलात्मकता को महत्त्व नहीं देता।
इन तीनों में प्रथम उपदेश संबंधी कविता है जो कि गांभीर्य तथा बुद्धिमत्ता का परिचय देती है।
इनके स्वभाव में लालित्य और गांभीर्य का अलौकिक मेल था।
छात्र संसद का आयोजन विद्यार्थियों की देश एवं समाज के प्रति विचारधारा मार्गदर्शित करने हेतु, विचारशीलता विकसित करने के लिए एवं उनके अंदर आत्मविश्वास जागृत करने हेतु किया जा रहा है।
लगभग ५३० ई. पू. में एक यहूदी कवि ने उन्हीं को नायक बनाकर इय्योब नामक ग्रंथ की रचना की थी जो गांभीर्य तथा काव्यात्मक सौंदर्य की दृष्टि से विश्वसाहित्य के ग्रंथरत्नों में से एक है।
इसमें अपनी ऐतिहासिक शोधों के गांभीर्य और साहित्यिक श्रेष्ठता के कारण फेरनाँओं लोपेस (1380-1460) सबसे प्रसिद्ध है।
जहां प्रारंभिक कविताओं में प्रकृति और सौंदर्य के रमणीय चित्र मिलते हैं वहीं दूसरे चरण की कविताओं में छायावाद की सूक्ष्म कल्पनाओं व कोमल भावनाओं के और अंतिम चरण की कविताओं में प्रगतिवाद और विचारशीलता के।