propagandas Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
propagandas ka kya matlab hota hai
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Noun:
कल्पना, सिद्धांता, प्रचार,
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propagandas शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
मानवीय कल्पना, चिंतन-क्षमता, अंतर्दृष्टि की क्षमता जहाँ तक उस समय के दार्शनिकों, मनीषियों या ऋषियों को पहुँचा सकीं उन्होंने पहुँचने का भरसक प्रयत्न किया।
तेरापंथी जैन साधु जैन सिद्धांतानुसार अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह आदि पाँच महाव्रतों का पालन करते हैं।
धर्म ( पालि : धम्म ) भारतीय संस्कृति और भारतीय दर्शन की प्रमुख संकल्पना है।
पर्याप्त साधनों के होते हुए भी यह नहीं कहा जा सकता कि कल्पनामिश्रित चित्र निश्चित रूप से शुद्ध या सत्य ही होगा।
कुछ वाष्पित्र लोफलर श्वार्टज़कॉफ़ (Loffler-schwartzkopff) के सिद्धांतानुसार काम करते हैं।
बहुभाषी पर्यायकोशों में एतिहासिक और तुलनात्मक भाषाविज्ञान के सहयोग सहायता द्वारा स्रोतभाषा के कल्पनानिदिप्ट रूप अंगीकृत होते हैं।
साध्यवाद के सिद्धांतानुसार संसार में सर्वत्र एक सप्रयोजन व्यवस्था है।
अंत में कहा यह गया कि हमारी श्रेष्ठ परिकल्पना के आधार पर जो कुछ हम समझ सके, वह यह है।
स्थैतिकी के सिद्धांतानुसार उन बलों के कारण, ढाँचे के विविध अवयवों पर आनेवाले प्रतिबलों की गणना भी बड़ी सावधानी से करनी होती है, जिससे ढाँचा सब प्रकार से सुदृढ़ और निरापद बन जाए।
सरवास्तिव विद्यालय के अभ्यर्थ पित्त के विपरीत थेरावाद्दी अभिमम्मा पितक में, औपचारिक सिद्धांतांकन अनुपस्थित है, और धर्मों की औपचारिक स्थिति का सवाल एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है।
ब्रह्म की परिकल्पना वेदान्त दर्शन का केन्द्रीय स्तम्भ है और हिन्दू धर्म की विश्व को अनुपम देन है।
इसलिए उपयुक्त कमी का ध्यान रखकर कुछ विद्वान् कहते हैं कि इतिहास की संपूर्णता असाध्य सी है, फिर भी यदि हमारा अनुभव और ज्ञान प्रचुर हो, ऐतिहासिक सामग्री की जाँच-पड़ताल को हमारी कला तर्कप्रतिष्ठत हो तथा कल्पना संयत और विकसित हो तो अतीत का हमारा चित्र अधिक मानवीय और प्रामाणिक हो सकता है।
प्रकृति के प्रत्येक रूप में एक नियंत्रक देवता की कल्पना करते-करते वैदिक आर्य बहुदेववादी हो गए थे।
सहस्रं वक्ति सिद्धांतान् सार्धश्लोक शतद्वयान्॥।
हम लोग जो उनके सिद्धांतां के संबध में जानते हैं वे "शिह शिह" या हिय शिह की दस समस्याएँ, ओर अर्ह-शिह-यि-शिह या कुं-सुन-लुं. और अन्य तार्किकों की 21 समस्याएँ हैं।
वेदाचार, वैष्णवाचार, शैवाचार, दक्षिणचार, वामाचार, सिद्धांताचार और कौलाचार ये पूर्वोल्लिखित भावत्रय से संबद्ध सात आचार हैं।
इन सब पक्षों के मूल में कल्पना का प्राधान्य है, निश्चयात्मक प्रमाण अनुपलब्ध हैं।
इस सिद्धांतानुसार त्रिविमीय चतुष्फलकीय के केंद्र में कार्बन परमाणु स्थित रहता है और इसकी चारों संयोजकताएँ चतुष्फलक के चारों छोरों की ओर अभिमुख होती हैं।
संक्षेप में, वेदों में इस संसार में दृश्यमान एवं प्रकट प्राकृतिक शक्तियों के स्वरूप को समझने, उन्हें अपनी कल्पनानुसार विभिन्न देवताओं का जामा पहनाकर उनकी आराधना करने, उन्हें तुष्ट करने तथा उनसे सांसारिक सफलता व संपन्नता एवं सुरक्षा पाने के प्रयत्न किए गए थे।
सृष्टि के उद्गम एवं उसकी रचना के संबंध में गहन चिंतन तथा स्वयंफूर्त कल्पना से उपजे रूपांकन को विविध बिंबों और प्रतीकों के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।
नरक व उसमें मिलने वाली यातनाओं की कल्पना तक नहीं की गई थी।
इस कारण समाजमूलक चिकित्साविज्ञान (social medicine) के सिद्धांतानुसार रोग की कारणमाला की विभिन्न लड़ियों का ज्ञान मनुष्य के शरीर, मन तथा समाजगत दोषों के अध्ययन से प्राप्त होता है और उनके दूर करने के प्रयास से ही रोग के निरोधन में सहायता मिलती है।
ये सभी ताम्र-मुद्राएँ हैं, जो मुद्रा-शास्र के सिद्धांतानुसार अधिक दूर तक प्रवास नहीं करते।
सारांश यह है कि इतिहास की रचना में पर्याप्त सामग्री, वैज्ञानिक ढंग से उसकी जाँच, उससे प्राप्त ज्ञान का महत्व समझने के विवेक के साथ ही साथ ऐतिहासक कल्पना की शक्ति तथा सजीव चित्रण की क्षमता की आवश्यकता है।