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preverb Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


preverb ka kya matlab hota hai


कहावत

Noun:

जनप्रवाद, लोकोक्ति, कहावत,



preverb शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



परिमार्जित खड़ीबोली; मुहावरों, लोकोक्तियों, देशज तथा विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग।

किसी भाषा के मानक रूप का अर्थ है, उस भाषा का वह रूप जो उच्चारण, रूप-रचना, वाक्य-रचना, शब्द और शब्द-रचना, अर्थ, मुहावरे, लोकोक्तियाँ, प्रयोग तथा लेखन आदि की दृष्टि से, उस भाषा के सभी नहीं तो अधिकांश सुशिक्षित लोगों द्वारा शुद्ध माना जाता है।

मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग सुन्दरता से हुआ है।

बजाय इनके, वह अपने "दिमाग को किसी भी सुपर-कंप्यूटर से ज्यादा पैनी अथवा तेज बताते" (जिसे बतौर लोकोक्ति में कहा जाता रहा है कि चाचा चौधरी का दिमाग कंप्यूटर से भी तेज चलता है ![4] ), और एक लकड़ी की छड़ी रखते, जिसे मुसीबत में वह उद्दंड बदमाशों की पिटाई कर डालते।

अफवाह- गप्प, किंवदंती, जनश्रुति, जनप्रवाद

टीकाकार ने स्वयं कहा है कि आवंती में केवल रकार व लोकोक्तियों का बाहुल्य होता है और प्राच्या में स्वार्थिक ककार का।

Mantra#Mahawakja कथा, कहानी, लोकोक्ति, गान, भजन, कविता या अन्य मौखिक (अलिखित) साधनों द्वारा सांस्कृतिक तत्वों और परम्परा का संचार वाचिक परम्परा (oral tradition) कहलाती है।

यहां के लोक साहित्य में लोकोक्तियाँ, मुहावरे तथा पहेलियाँ (आंण) आज भी प्रचलन में है।

लोकोक्ति वाक्यांश न होकर स्वतंत्र वाक्य होते हैं।

टाटा परिवार बहुत अधिक प्रचलित और लोगों के मुँहचढ़े वाक्य लोकोक्ति के तौर पर जाने जाते हैं।

मुहावरे का उपयोग क्रिया के अनुसार बदल जाता है लेकिन लोकोक्ति का प्रयोग करते समय इसे बिना बदलाव के रखा जाता है।

एक जनप्रवाद है कि नागेश भट्ट को सं. 1772 वि. में जयपुर राज में अश्वमेघ यज्ञ के अवसर पर आमंत्रित किया गया था।

बारबरा जी. वाकर ने पवित्र वीर्य के इन मिसालों को शोधपत्र द वुमेन डिक्शनरी ऑफ सिंबल्स एण्ड सेक्रेट ऑब्जेक्ट में लिखा है कि ये मिथक और लोकोक्तियां यह दिखाती हैं कि पूर्व पितृसत्तात्मक समाज में शासन महिलाओं द्वारा होता था, जो बाद में मर्दाना संस्कृति का पूरक बन गया।

भावार्थ - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमात्मा कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात कबीर वाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के माध्यम से वर्णन करते हैं।

"जहाँ न पहुँचे रवि, वहाँ पहुँचे कवि" लोकोक्ति प्रसिद्ध है।

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