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prevenancy Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


prevenancy ka kya matlab hota hai


पूर्व आन पूर्व

Noun:

भावपूर्णता, सार्थकता,



prevenancy शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है।

इसके लिए प्रभावपूर्णता एवं कुशलता में संतुलन रखना होता है।

राम के चरित्र का अनुकरण करके कृष्ण-चरित्र को समझ सकें, इसी में ज्ञान की सार्थकता है।

उसकी इस दानशीलता के कारण ही उसकी उपाधि ‘मघवन्’ (ऐश्वर्यवान्) की सार्थकता है।

हिंदी शब्दसागर की भूमिका के रूप में लिखा गया उनका इतिहास आज भी अपनी सार्थकता बनाए हुए है।

संतोष है अपना अभिप्राय स्पष्ट कर पाता हूं...(दादा कॉमरेड, संस्करण’ 59, पृ.4) अपने लेखकीय सरोकारों पर और विस्तार से टिप्पणी करते हुए बाद में उन्होंने लिखा, ‘मनुष्य के पूर्ण विकास और मुक्ति के लिए संघर्ष करना ही लेखक की सार्थकता है।

प्रभावपूर्णता एवं कौशल दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।

छंदों की विविधता, विचारों और भावों का संयम और भाषा की प्रभावपूर्णता अपकी कविता के विशेष गुण है।

साधारणतया उच्च कार्य कुशलता के साथ उच्च प्रभावपूर्णता होती है जो कि सभी प्रबंधकों का लक्ष्य होता है।

कमजोर प्रबंधन प्रभावपूर्णता एवं कार्यकुशल दोनाें की कमी के कारण होता है।

जहाँ महाकाव्यों में कृत्रिमता तथा आदर्शोन्मुख प्रवृत्ति की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है, आधुनिक उपन्यासकार जीवन की विशृंखलताओं का नग्न चित्रण प्रस्तुत करने में ही अपनी कला की सार्थकता देखता है।

कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि देहरा शब्द स्वयं में सार्थकता लिए हुए है, इसको डेरा का अपभ्रंश रूप नहीं माना जा सकता है।

यह कार्यकुशलता लेकिन प्रभावपूर्णता की कमी की स्थिति है क्योंकि माल बाजार में नहीं पहुँच पाया।

पर प्रेम की सार्थकता उन्होंने मिलन के उल्लासपूर्ण क्षणों से अधिक विरह की अन्तश्चेतनामूलक पीड़ा में तलाश की।

लहरों के राजहंस में और भी जटिल प्रश्नों को उठाते हुए जीवन की सार्थकता, भौतिक जीवन और अध्यात्मिक जीवन के द्वन्द, दूसरों के द्वारा अपने मत को दुनिया पर थोपने का आग्रह जैसे विषय उठाये गए हैं।

प्रभावपूर्णता बनाम कुशलता ।

वास्तव में रेखाचित्र की शैली में प्रभावोत्पादक ढंग से लिखे जाने में ही रिपोर्ताज की सार्थकता है।

ईश्वरवादी एक युक्ति यह दिया करते हैं कि इस भौतिक संसार में सभी वस्तुओं के अंतर्गत और समस्त सृष्टि में, नियम और उद्देश्य सार्थकता पाई जाती है।

किंतु जड़ बाह्यथार्थवाद भोग्य होने के कारण किसी चेतन भोक्ता के अभाव में अपार्थक या अर्थशून्य अथवा निष्प्रयोजन है, अत: उसकी सार्थकता के लिए सांख्य चेतन पुरुष या आत्मा को भी मानने के कारण अध्यात्मवादी दर्शन है।

यहां का वातावरण देखकर इसके नाम की सार्थकता का अहसास होता है।

लेकिन बगैर प्रभावपूर्णता के उच्च कार्य कुशलता पर अनावश्यक रूप से जोर देना भी अवांछनीय है।

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