pingle Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
pingle ka kya matlab hota hai
पिंगल
Adjective:
शुद्ध, अमिश्रित, इकलौता, पृथक, अविवाहित, अकेला, एक,
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pingle शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उन्होंने गहन रंग प्रकंपन का प्रभाव उत्पन्न करने के लिए, मिश्रित और विशुद्ध अमिश्रित रंगों के आंशिक “खंडित” ब्रश स्पर्शों का उपयोग किया, न कि परंपरागत हल्के सम्मिश्र या छायायुक्त स्पर्शों का.।
ह्स्विकी दो प्रकार की होती है अमिश्रित ह्विस्की (straight whiskey) तथा विशेष गुणयुक्त संमिश्रित ह्विस्की (blended whiskey)।
परंतु इसके अंतर्गत प्राचीन हस्तलेखों और मुद्रित ग्रथो के आधार पर जब शब्दसंकलन होता है तब उभयविध आधारग्रंथों की प्रामाणिकता और पाठशुद्धि आवश्यक होती है।
भारत मे ब्रिटिश राज के दौरान भी यह प्रचलन मे रहा, इस दौरान इसका वजन 11.66 ग्राम था और इसके भार का 91,7% तक शुद्ध चांदी थी।
इसमें शुद्ध संस्कृत और शुद्ध फ़ारसी-अरबी दोनों के शब्द कम होते हैं और तद्भव शब्द अधिक।
(३) अनावश्यक वर्ण (ऋ, ॠ, लृ, ॡ, ष)— बहुत से लोग इनका शुद्ध उच्चारण नहीं कर पाते।
उसमें शब्दों के सही उच्चारण का संकेत-चिह्नों से विशुद्ध और परिनिष्ठित बोध भी कराया है।
* क) उच्चाणमसूचक संकेतचिह्नों के माध्यम से शब्दों के स्वरों व्यंजनों का पूर्णतः शुद्ध और परिनिष्ठित उच्चारण स्वरूप बताना और स्वराघात बलगात का निर्देश करते हुए यतासम्भव उच्चार्य अंश के अक्षरों की बद्धता और अबद्धता का परिचय देना;।
परन्तु इसका शुद्ध उच्चारण जिह्वा को मूर्धा (मुँह की छत. जहाँ से 'ट' का उच्चार करते हैं) पर लगा कर न की तरह का अनुनासिक स्वर निकालकर होता है।
ऋ -- वर्तमान में, स्थानीय भाषाओं के प्रभाव से इसका अशुद्ध उच्चारण किया जाता है।
(ङ) विशुद्ध शस्त्रीय वाङमय (शस्त्र) के प्राचीन स्तर से हटकर आज के कोश वैज्ञानिक अथवा विज्ञानकल्प रचनाप्रक्रिया के स्तर पर पहुँच गए।
इसे 'शुद्ध हिन्दी' भी कहते हैं।
जिस हिन्दी में अरबी, फ़ारसी और अंग्रेजी के शब्द लगभग पूर्ण रूप से हटा कर तत्सम शब्दों को ही प्रयोग में लाया जाता है, उसे "शुद्ध हिन्दी" या "मानकीकृत हिन्दी" कहते हैं।
इनके वंशज प्राय: अमिश्रित अवस्था में आज भी अंडमान में हैं1 इनके अतिरिक्त नाटा कद, काला रंग और ऊन सरीखे बालवाली काडर, इरला और पणियन जैसी दक्षिण भारत की वन्य जातियों में तथा उत्तरपूर्व की कुछ नागा जनजातियों में निग्रिटो मानव जाति का मिश्रण परिलक्षित है।
इस प्रकार का मत शुद्ध रूप से बहु-ईश्वरवादी कहा जा सकता है।
वास्तव में मंत्र तथा ब्राह्मण का एकत्र मिश्रण ही 'कृष्ण यजुः' के कृष्णत्व का कारण है तथा मंत्रों का विशुद्ध एवं अमिश्रित रूप ही 'शुक्ल यजुष्' के शुक्लत्व का कारण है।
उसमें एक पात्र विशिष्ट मनोवृत्ति का प्रतिनिधि बनकर उभरता है और वह मनोवृत्ति एकदम प्रत्यक्ष तथा परिपूर्ण और अमिश्रित होती है।
गीत का मुखड़ा विशुद्ध संस्कृत में इस प्रकार है: "वन्दे मातरम् ! सुजलां सुफलां मलयज शीतलाम्, शस्य श्यामलाम् मातरम्।