pepping Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
pepping ka kya matlab hota hai
झाँक
Noun:
चुस्ती, सजीवता, उत्साह, जोश, सरगर्मी,
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pepping शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
यह एक ऐसी ही जनता की आकांक्षा और प्रेरणा तथा जय और पराजय है जिसका वर्णन बाइबिल में अद्भुत सजीवता के साथ किया गया है।
★ हृदय की धमनियों में अवरोधवाले रोगियों को गौझरण अर्क सेवन से हृदय के दर्द में राहत मिलती है | अर्क 2 से 6 ढक्कन तक समान मात्रा में पानी मिलाकर ले सकते हैं | सुबह खाली पेट शाम को भोजन से पहले लेना चाहिए | हृदय दर्द बंद हो कर चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है तथा बेहद खर्चीली बाईपास सर्जरी से मुक्ति मिलती है |।
यह एक महत्वपूर्ण एवं व्यावसायिक रूप से सफल फ़िल्म रही, जिसने दुनिया भर कुल US"129 मिलियन बटोरा एवं बक़ौल ब्रैन्डन ग्रे, जिसने "उसका ओहदा युवा धड़कनों वाली फ़िल्मों की मलिका तक पहुंचा दिया." स्टीव रोड्स के शब्दों में "लोहान एक बार फिर अपना जलवा बिखेरती हैं" "चुस्ती से लिखी हुई पटकथा उसकी बुद्धिमत्ता भरी कॉमेडी से पूरी तरह मेल खाती है।
भारतीय नाट्यशास्त्र में इसका उल्लेख ना होते हुए भी नाटक में स्वाभाविकता , औचित्य तथा सजीवता की प्रतिष्ठा के लिए देशकाल वातावरण का उचित ध्यान रखा जाता है।
संतरे के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है, चुस्ती-फुर्ती बढ़ती है, त्वचा में निखार आता है तथा सौंदर्य में वृद्धि होती है।
९) रिट्ज (२००९ का शुभारंभ) मारुति स्विफ्ट, टाटा विस्टा, हुंडई ग्रैंड आई १0, होंडा चुस्ती, निसान माइक्रा, रेनॉल्ट पल्स और टोयोटा इटियोस लिवा के साथ प्रतिस्पर्धी है।
अन्य कोई भी महत्वपूर्ण कारक, जैसे, अस्थि घनत्व, कॉलेस्ट्राल स्तरों, वसा के मापनों, अधिकतम आक्सीजन उपभोग, या अन्य कोई भी कारक जो बढ़ी हुई चुस्ती का संकेत हो, प्रभावित नहीं हुए. अन्वेषकों ने पेशियों की कार्यशक्ति में भी कोई लाभ नहीं पाया, जिससे उन्होंने यह समझा कि जीएच पेशियों की वृद्धि को न बढ़ाकर केवल शरीर को पेशियों में अधिक पानी जमा करने देता है।
निम्नवर्गीय संस्कृति की बात करता है जो प्रवाव, प्रवजन और गतिशीलता के परिणामस्वरूप उभरती है वे व्यक्ति जो इन प्रक्रियाओ के फलस्वरूप पिछड़ जाते हैं वे निम्न वर्ग के सदस्य होते हें वे एक अलग प्रकार के व्यवहार को विकसित कर लेते हैं जो विशिष्ट रूप से कठोरता, चुस्ती, उत्तेजना, भाग्य और स्वायतत्ता जैस गुणों पर आधारित होता है।
यहां के खुशनुमा मौसम के साथ-साथ सजीवता से भरा जीवन मसूरी को देश के उन हिल स्टेशनों में शुमार करता है जहां लोग सबसे अधिक जाना पसंद करते हैं।
3. जो कोमलकांत पदावली, भावानुकूल शब्द-चयन, सार्थक अलंकार-योजना, धारावाही प्रवाह, संगीतात्मकता एवं सजीवता सूर की भाषा में है, उसे देखकर तो यही कहना पड़ता है कि सूर ने ही सर्व प्रथम ब्रजभाषा को साहित्यिक रूप दिया है।
हाथ से शुरुआत होने वाले रोगियों को हाथ से किए जाने वाले चुस्ती और कुशलता वाले कामों में कठिनाई महसूस होती है, जैसे कि एक कमीज़ की बटन लगाना, लेखन, या ताले में चाबी घुमाना. कभी-कभी, लक्षण काफ़ी लंबे समय तक या रोग की पूरी अवधि के दौरान एक ही अंग तक सीमित रहते हैं; यह एकअंगीय पेशीशोष (मोनोमिलिक एमियोट्रॉफ़ी) के रूप में जाना जाता है।
कविता से कम विकसित अवस्था में भी गद्य की विशष्ट शक्ति को पहचानकर अरस्तु ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ रेटॉरिक में उसे प्रतीति परसुएशन, दूसरों को अपने विचारों से प्रभावित करने की भाषा कहा था, जिसके मुख्य तत्त्व हैं-विचारों का तर्कसंगत क्रम, वर्णन की सजीवता, कल्पना, चित्रयोजना, सहजता, लय, व्यक्तिवैचित्र्य, उक्ति-सौंदर्य, ओज, संयम।
इस युग की ग्रीक कविता में मौलिकता तथा सजीवता का अभास है और अधिकांश काव्यसेवी साधारण श्रेणी के हैं।
वर्णनों की सजीवता, आगत प्रसर्गों की स्वाभाविकता, शैली का माधुर्य तथा भाव और भाषा की दृष्टि से 'रघुवंश' संस्कृतमहाकाव्यों में अनुपम है।
एक दंतकथा के अनुसार एक आलसभरी दोपहर को यह निराला पौधा कलड़ी नामक इथियोपियाई गड़रिये की नज़र में तब आया, जब उसने अपने पशुओं के व्यवहार में अचानक चुस्ती और फुर्ती देखी।
शरीर सुविधा की दृष्टि से उसकी अनुपयोगिता भी हो सकती है; पर भावना की दृष्टि से कमर में बँधी हुई पेटी, चुस्ती, मुस्तैदी, निरालस्यता, स्फूर्ति, तैयारी एवं र्कत्तव्य-पालन के लिए तत्परता का प्रतिनिधित्व करती है।
चंद्रावली नाटिका के यमुना-वर्णन में अवश्य सजीवता है तथा उसकी उपमाएं और उत्प्रेक्षाएं नवीनता लिए हुए हैं-।
दूसरा सिद्धांत आलोक और छाया का है जिसके बिना सजीवता नहीं आ सकती।
भूषण के साहित्य में सजीवता, स्फूर्ति व उमंग का भाव है।
अप्सराओं सहित अन्य शिल्प विधान रुढिगत हैं, जिसमें सजीवता और भावाभिव्यक्ति का अभाव माना जाता है।
बोलियों में सजीवता और व्यंजनाशक्ति पर्याप्त है।
आजकल अभिनेता के लिए यह आवश्यक माना जाने लगा है कि वह अपनी कल्पना का प्रयोग करके नाटक के भाव की प्रत्येक परिस्थिति में अपने अभिनय का ऐसा संश्लिष्ट संयोजन करे कि उससे नाटक में कुछ विशेष चेतना और सजीवता उत्पन्न हो।
आवेदकों को कठोर शारीरिक चुस्ती, लिखित, मौखिक और मनोवैज्ञानिक परीक्षण भी पास करनी होती है यह सुनिश्चित करने के लिए कि वे केवल पर्याप्त मात्रा में शारीरिक रूप से ही फिट नहीं हैं, बल्कि मनोवैज्ञानिक रूप से सामरिक ओपरेशन के लिए भी उपयुक्त हैं।