pecunious Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
pecunious ka kya matlab hota hai
दुराग्रही
Adjective:
कृपण, लोभी, कंजूस, दरिद्र,
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pecunious शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
जातक कथा - सीलवा हाथी और लोभी मित्र की कथा।
यह भी रोलिंग, brushing, हिल, लोभी और एक विशेष सुजुकी यामामोटो द्वारा विकसित तकनीक में, जैसे तकनीकों का उपयोग करता है, दबाव व्यक्ति के पीठ, पैर और पैरों पर पैर के साथ लागू किया जाता है।
'मामुँ' उपन्यास में शहरी दुर्वृत्त नाजर नटवर अत्यन्त स्वार्थी और लोभी बनकर भगिनी की सम्पत्ति को अधिकार करने षडयन्त्र में प्रबृत्त होता है।
प्रत्यङ्गहीनान्विकलेन्द्रियांश्च जीर्णातुरादीन् कृपणांश्च दिक्षु।
ये निडर, साहसी, महत्वाकांक्षी, अति लोभी और आक्रामक होते हैं।
गुणों की लोभी संपदाएं अच्छी प्रकार से विचार करने वाले का स्वयमेव वरण करती हैं, अर्थात् उसके पास स्वयं चली आती हैं।
क्षेत्र अभी भी परिवहन सुविधाओ के मामले में कृपण ही है।
संभवत: इस लोभी प्रकृति के कारण ही उसे धननंद कहा गया।
"महावंशटीका" से ज्ञात होता है कि अंतिम नंद कठोर शासक तथा लोभी और कृपण स्वभाव का व्यक्ति था।
इस ट्रायोलोजी ने एक वेस्टर्न नायक और चरवाहे की रूढ़िबद्ध अमेरिकी छवि को फिर से परिभाषित किया, एक बंदूकधारी हत्यारा चरित्र और इनाम लोभी जो एक नायक से अधिक एक खलनायक था और जिसमें एक विशिष्ट नैतिक अस्पष्टता झलकती थी, जो अमेरिकी वेस्टर्न सिनेमा के पारंपरिक हीरो, जैसे जॉन वेन के विपरीत था।
जिस पर यह अनुग्रह उतरता है, वह दरिद्र, दुर्बल, कृपण, असंतुष्ट एवं पिछड़ेपन से ग्रसित नहीं रहता।
एक क्षुद्र वृत्ति की लोभी स्त्री से राष्ट्र-नायिका में जालपा की परिणति प्रेमचंद की कलम की कलात्मकता की पराकाष्ठा है।
"महावंशटीका" से ज्ञात होता है कि अंतिम नंद कठोर शासक तथा लोभी और कृपण स्वभाव का व्यक्ति था।
अर्जुन को उस कृपण स्थिति में रोते देखकर कृष्ण ने उनका ध्यान दिलाया है कि इस प्रकार का क्लैव्य और हृदय की क्षुद्र दुर्बलता अर्जुन जैसे वीर के लिए उचित नहीं।
33|19|तुम्हारे साथ कृपणता से काम लेते है।
पापों को निम्न अनुक्रम में रखा गया है: प्राउड (प्राइड; पासस V, 62-71 पंक्तियां), लेकॉर (लेकर्सनेस;V. 71–74), ईर्ष्या, (एनवी; V. 75–132), रोष (रैथ; V. 133–185), लोभी (लोभ; V. 186–306), लोलुप (लोलुपता; V. 307–385), सुस्त (सुस्ती; V. 386–453) (बी-टेक्स्ट का उपयोग करते हुए).।
आरम्भिक आर्थिक संकटों ने उन्हें कृपण प्रकृति (कंजूस) की अपेक्षा 'दयासागर' ही बनाया।
ऐसे लोभी भौंरे जो फूल के मुरझाते ही बेवफाई के साथ मुँह मोड़ लेते हैं, मनुष्य समाज में कम नहीं है।
दूसरे प्रकार की विशिष्टताएँ ये हैं कि वह कृपणता दिखाए, ईश्वर की प्रसन्नता की चिन्ता से बेपरवाह हो जाए और भली बात को झुठला दे।
जिस राजा के मित्र लोभी, कामी तथा कायर होते हैं, उसका विनाश अवश्यम्भावी हो जाता है।
आम नकारात्मक लक्षणों में नीरस या कुंठित करने वाले प्रभाव और मनोभाव, भाषा में कृपणता (वाक् रोध), आनंद की अनुभूति करने की अक्षमता (विषय सुख का लोप), संबंध स्थापित करने की इच्छा का अभाव (असामाजिकता) और प्रेरणा की कमी (इच्छा शक्ति की कमी) शामिल हैं।
जहाँ हास्य के कारण अर्थ का अनर्थ होने की संभावना हो अथवा अत्यंत करुण प्रसंग हो तो हास्य से बचूँगा अन्यथा मैं प्रसंग गत हास्य का उतना ही स्वागत करता हूँ जितना कि कृपण या कोई भी अनायास आए हुए धन का।
सामान्यतः धन पाकर लोग कृपण, विलासी, अपव्ययी और अहंकारी हो जाते हैं।
इसमें कुछ ऐसी नैतिक बुराइयों की निंदा की गई है जो अज्ञानकालीन समाज में धन के लोभी मालदारों में पाई जाती थीं।