peacocky Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
peacocky ka kya matlab hota hai
मोर
Noun:
शिखंडी, नीलकंठ, मोरनी, मयूर, मोर,
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peacocky शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
इष्टो विशिष्टः शिष्टेष्टः शिखंडी नहुषो वृषः।
भीष्म ने कहा कि पांडव शिखंडी को सामने करके युद्ध लड़े।
चित्रशिखंडी नाम के सात ऋषि इसी रूप में प्रभुध्यान में मग्न रहते थे।
शिखंडी महाभारत का एक पात्र है।
जानकारी के लिए बता दें की शिखंडी काशी नरेश की पुत्री अंबा का ही रूप था, जिन्हें भीष्म को मारने का वरदान मिला था।
और शिखंडी को अपने पूर्व जन्म के अपमान का बदला भी लेना था उसके लिये शिवजी से वरदान भी लिया कि भीष्म कि मृत्यु का कारण बनेगी।
इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।
इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है।
इस दिन यहां नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है।
१०वे दिन के युद्ध में अर्जुन ने शिखंडी को आगे अपने रथ पर बिठाया और शिखंडी को सामने देख कर भीष्म ने अपना धनुष त्याग दिया और अर्जुन ने अपनी बाणवृष्टि से उन्हें बाणों कि शय्या पर सुला दिया।
ग्रंथ की संक्षिप्तता की चरम सीमा का वर्णन उनके शिष्य भास्कर प्रथम (भाष्य , ६०० और) द्वारा अपनी समीक्षाओं में किया गया है और अपने आर्यभटीय भाष्य (१४६५) में नीलकंठ सोमयाजी द्वारा।
धृष्टद्युम्न द्रुपद, द्रौपदी और शिखंडी की पुत्रियाँ द्रुपद की पुत्रियाँ थीं।
विविध प्रकार के रंग बिरंगे पक्षी जैसे धनेश, कठफोड़ा, नीलकंठ, जंगली मुर्गा, मोर, सारस भी यहां देखे जा सकते हैं।
इनके अलावा नहर झरोखा, बाज बहादुर महल, और नीलकंठ महल भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
जंगली मुर्गा, वाज, नीलकंठ, मैगपाई, कौवा, उल्लू, कबूतर, लावा, चील तथा बुलबुल यहाँ के मुख्य पक्षी हैं।
इस क्षेत्र में शेर, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर, घड़ियाल के साथ-साथ कबूतर, फ़ाख्ता, जंगली बत्तख़, तीतर, मोर, कठफोड़वा, नीलकंठ और बटेर पाए जाते हैं।
शिखंडी को सामने कर अर्जुन ने बाणों से इनका शरीर छेद डाला।
उन्होंने बताया कि तुम्हारी सेना में जो शिखंडी है वह अर्धनारीश्वर है।
महाभारत कथा के अनुसार भीष्म द्वारा अपहृता काशीराज की ज्येष्ठ पुत्री अम्बा का ही दूसरा अवतार शिखंडी के रूप में हुआ था।
यह जिला सुखानंद महादेव, ऑक्टरलोनी इमारत, नीलकंठ महादेव, आंतरी माता मंदिर और भादवा माता मंदिर आदि के लिए विख्यात है।
इस प्रकार, अर्जुन ने शिखंडी के पीछे खड़े होकर भीष्म के ऊपर बाण चला दिए।
श्री नीलकंठेश्वर मंदिर ।
कोटा का इतिहास राजा कोटिया भील से शुरू होता है , इन्होंने कोटा में नीलकंठ महादेव मंदिर स्थापित किया, जेत सिंह से युद्ध करते हुए वे शहिद हुए।
3879 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला सुखानंद महादेव, ऑक्टरलोनी इमारत, नीलकंठ महादेव, आंत्री माता मंदिर, जीरन का किला और भादवा माता मंदिर आदि के लिए विख्यात है।