palki Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
palki ka kya matlab hota hai
उंगलियों
Noun:
पाकी,
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palki शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
कुल मिलाकर नादिरा ने 63 फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें श्री चार सौ बीस, दिल अपना और प्रीत पराई, पाकीज़ा, जूली और सागर जैसी फ़िल्में शामिल हैं।
|1971 || पाकीज़ा || ||।
लेकिन राज कुमार कभी भी किसी ख़ास इमेज में नहीं बंधे इसलिये अपनी इन फ़िल्मो की कामयाबी के बाद भी उन्होंने 'हमराज़- 1967', 'नीलकमल- 1968', 'मेरे हूजूर- 1968', 'हीर रांझा- 1970' और 'पाकीज़ा- 1971' में रूमानी भूमिका भी स्वीकार की जो उनके फ़िल्मी चरित्र से मेल नहीं खाती थी इसके बावजूद भी राज कुमार यहाँ दर्शकों का दिल जीतने में सफल रहे।
इस मुद्रा को अंगूठे और तर्जनी के पोरों को एक साथ जोड़ कर और शेष उंगलियों को सीधा रख कर, बहुत कुछ अभय और वरद मुद्राओं की तरह, लेकिन अंगूठा तर्जनी का स्पर्श करते हुए इसे बनायी जाती है।
मानव जैसे कुछ प्राणियों में हाथ का अँगूठा मोड़कर अन्य उंगलियों की ओर लाया जा सकता है।
बाकी उंगलियों की एक मुट्ठी बन जाती हैं।
जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं।
इस्लाम में तहारत (पाकी - सफाई) बहुत महत्व है।
खय्याम ने आगे कहा, "लोग 'पाकीज़ा' में सब कुछ देख सुन चुके थे. ऐसे में उमराव जान के संगीत को खास बनाने के लिए मैंने इतिहास पढ़ना शुरू किया."।
उनकी अंतिम छह फिल्में- जबाव, सात फेरे, मेरे अपने, दुश्मन, पाकीज़ा और गोमती के किनारे में से केवल पाकीज़ा में उनकी मुख्य भूमिका थी।
(ऊपरी) भाग में हाथ या उंगलियों की कार्रवाई करने से थन के अंत में दूध वाहिनी खुल जाती हैं और उंगलियों की गतिविधि से वाहिनी में रूका हुआ दूध थन से निकलने लगता है।
दोनों कथानक जालपाकी मध्यस्थता द्वारा जोड़ दिए गये हैं।
कहीं वह पत्र उनकी उंगलियों के पसीने से पुछ न जाए, इस डर से उसे उन्होंने विदूषक को सौंप दिया।
लेकिन अभी साधारण तया दक्षीण एसिया कहने से भुटान, बंगलादेस, भारत, नेपाल, श्रीलंका, मालदीप, पाकीस्तान और अफगानीस्तान को काहाजाता है ए मुल्क दक्षीण एसियाइ सहयोग संगठन (सार्क) में आबद्ध है, बर्मा दक्षिण पुर्वी एसीयाली संगठन आसीयान में आबद्ध और इरान भि अभी तक सार्क में आबद्ध नहीं है।
इसमें हाथ की उंगलियों की कलात्मक गति का महत्व अधिक है।
दोनो अंगूठों से कान पूरी तरह बन्द करके, दो उंगलिओं को माथे पर रख कर, छः उंगलियों को दोनो आँखों पर रख दे।
फ़िल्म पाकीज़ा में राज कुमार का बोला गया एक संवाद “आपके पांव देखे बहुत हसीन हैं इन्हें ज़मीन पर मत उतारियेगा मैले हो जायेगें” इस क़दर लोकप्रिय हुआ कि लोग राज कुमार की आवाज़ की नक़्ल करने लगे।
कल्याणपुर ने मियाँ बीबी राज़ी (1960), बात एक रात की (1962), दिल एक मंदिर (1963), दिल ही तो है (1963), शगुन (1964), जहाँआरा (1964), साँझ और सवेरा ( 1964), नूरजहाँ (1967), साथी (1968) और पाकीज़ा (1971)।
हथेलियां आदि मुद्रा में होती हैं, लेकिन हथेलियों के सामने का हिस्सा ऊपर की ओर और दाहिने और बायें हाथ की उंगलियों के जोड़ छूते हुए नाभि के समतल में स्थित होती हैं।
आमतौर पर दोनों हाथ और उंगलियों से मुद्रा अवस्थाएं बनती हैं।
खय्याम ने बताया कि 'पाकीज़ा' की जबर्दस्त कामयाबी के बाद 'उमराव जान' का संगीत बनाते समय उन्हें बहुत डर लग रहा था.।
उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं।
मुहल्ले में डेरा डाल कर, अपनी बर्फ़ीली उंगलियों से लोगों को छेड़ना शुरू किया।
उन्होंने कहा, "पाकीज़ा और उमराव जान की पृष्ठभूमि एक जैसी थी. 'पाकीज़ा' कमाल अमरोही साहब ने बनाई थी जिसमें मीना कुमारी, अशोक कुमार, राज कुमार थे. इसका संगीत गुलाम मोहम्मद ने दिया था और यह बड़ी हिट फ़िल्म थी. ऐसे में 'उमराव जान' का संगीत बनाते समय मैं बहुत डरा हुआ था और वो मेरे लिए बहुत बड़ी चुनौती थी."।
थन (अक्सर इसे टिट या टिट्स भी कहा जाता है) को हाथों से पकड़कर दबाने से दूध बाहर आने लगता है, दूध निकालने के लिए इस प्रक्रिया को लगातार दोहराना पड़ता है, थन को उंगलियों और अंगूठे के द्वारा ऊपरी सिरे से दबाते हुए नीचे की ओर लाने से दूध निकलने लगता है।
इसे वक्र बांह के साथ किया जा सकता है और हथेली को थोड़ा ऊपर कर दिया जाय या अगर बांह नीचे की ओर हो तो ऊपर की ओर या जरा मुड़ी हुई उंगलियों के साथ हथेली हो. दाहिने हाथ का उपयोग करके अन्य मुद्रा के बिना वरद मुद्रा शायद ही कभी देखी गयी है, ख़ास तौर पर अभय मुद्रा. अक्सर ही वितर्क मुद्रा के साथ इसमें भ्रम हो जाता है, जो इससे बहुत ही मिलता-जुलता है।