paleontology Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
paleontology ka kya matlab hota hai
जीवाश्मिकी
Noun:
जीवाश्म विज्ञान,
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paleontology शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
लेकिन जीवाश्मिकी को जैविकी की एक शाखा नहीं माना जा सकता है, क्योंकि जीवाश्मिकी के अध्ययन की सामग्री और उसके संग्रह का ढंग जैविकी के अध्ययन की सामग्री और उसके संग्रह के ढंग से सर्वथा भिन्न हैं।
यदि सैद्धांतिक दृष्टि से देखा जाए, तो जीवाश्मिकी का अभ्युदय पृथ्वी पर जीव के प्रादुर्भाव के साथ साथ प्रारंभ हो जाता है, परंतु भौमिकीय आधार पर केवल इतना ही कहा सकता है कि पृथ्वी पर संपूर्ण जीव के इतिहास के आधे, या उससे भी कम के, जीवों के अभिलेख हमें मिलते हैं।
जीवाश्मिकी और जैविकी ।
भूपर्पटी के अवसादी शैलों में मिलनेवाले ये जीवाश्म ही, जीवाश्मिकी के अध्ययन के आधार हैं।
जीवाश्म विज्ञान कई शाखाओं में विभक्त किया गया है।
पुरातत्व विज्ञान लगभग 28 लाख साल पहले पूर्वी अफ्रीका में पत्थर के औज़ारों के विकास से लेकर हाल के दशकों तक (पुरातत्व, जीवाश्म विज्ञान नहीं है) का अध्ययन करता है।
जीवाश्मिकी की परिभाषा देते हुए ट्वेब होफ़ेल और आक ने लिखा है : जीवाश्मिकी वह विज्ञान है, जो आदिम पौधें तथा जंतुओं के अश्मीभूत अवशेषों द्वारा प्रकट भूतकालीन भूगर्भिक युगों के जीवनकी व्याख्या करता है।
मोटे तौर पर जीवाश्म विज्ञान के अधार पर निम्नलिखि चार मुख्य प्राणी तथा पादप जातीय महाकल्प स्थापित किए जा सकते हैं :।
जीवविज्ञानी जीवाश्मिकी में इसलिए अत्यधिक अभिरुचि रखते हैं कि इसका जीवविकास जैसे विषय से निकट संबंध है।
* जीवाश्मिकी या जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी (Paleontology), भौमिकी की वह शाखा है जिसका संबंध भौमिकीय युगों के उन प्राणियों और पादपों के अवशेषों से है जो अब भूपर्पटी के शैलों में ही पाए जाते हैं।
जैविकी के अंतर्गत वर्तमान जीवित प्राणियों और पादपों का अध्ययन किया जाता है, जब कि जीवाश्मिकी में भौमिकीय युगों के उन जीवों और पादपों का अध्ययन किया जाता है जो कभी जीवित थे और अब जीवाश्म के रूप में ही प्राप्य हैं।
इस प्रकार यह स्पष्ट है कि जीवाश्म विज्ञान आदिकालीन जीवजंतुओं का, उने अश्मीभूत अवशेषों के आधार पर अध्ययन करता है।
जीवाश्मिकी और जातिवृत्त (Phylogeny) ।
अत: जीवाश्मिकी इस धारणा की पुष्टि करता है कि जीवविकास शनै: शनै: तथा क्रमश: होनेवाले परिवर्तनों के परिणामस्वरूप हुआ।
वास्तव में बिना जीवाश्मों के स्तरित-शैल-भौमिकी, एक प्रकार से, व्यावहारिक जीवाश्मिकी है।
जीवाश्मों को निश्चित नाम देना जीवाश्म विज्ञानी के लिए इसलिए महत्व का है कि जीवाश्मों में वह अधिक यथार्थ विभेद कर सके।
जीवाश्मिकी और भौमिकी ।
यही कारण है कि जीवाश्म विज्ञान स्तरित शैलविज्ञान का मेरुदंड कहलाता है।
* जीवाश्मिकी या जीवाश्म विज्ञान या पैलेन्टोलॉजी (Paleontology), भौमिकी की वह शाखा है जिसका संबंध भौमिकीय युगों के उन प्राणियों और पादपों के अवशेषों से है जो अब भूपर्पटी के शैलों में ही पाए जाते हैं।
आधुनिक समय में जीवाश्मिकी की कुछ अन्य प्रमुख शाखाओं का भी विकास हुआ है, जिनके अध्ययन का क्षेत्र क्रमश: अति लघु जीव और जीवाश्म मानव हैं।
जीवाश्म विज्ञान का अध्ययन जीवविज्ञान की नई शाखा है और इसका विकास गत 200 वर्षों से ही अधिक हुआ है।
जीवाश्म विज्ञानियों ने डायनासोर के अब तक 500 विभिन्न वंशों और 1000 से अधिक प्रजातियों की पहचान की है और इनके अवशेष पृथ्वी के हर महाद्वीप पर पाये जाते हैं।
अत: हम देखते हैं कि स्तरित शैलविज्ञानी का काम बिना जीवाश्म विज्ञान की सहायता के नहीं चल सकता।
जीवाश्मिकी की जिस शाखा के अंतर्गत कशेरुक जीवाश्मों का अध्ययन किया जाता है उसे कशेरुकी जीवाश्म विज्ञान (Vertebrate paleontology) कहते हैं।
जीवाश्म विज्ञान की शाखाएँ और उनका क्षेत्र ।
व्यापक दायरे में पुरातत्व विज्ञान पर अनुशासनिक शोध जैसे यह मानव विज्ञान, इतिहास, कला इतिहास, क्लासिक्स, मानव जाति विज्ञान, भूगोल, भूविज्ञान, भाषा विज्ञान, लाक्षणिकता, भौतिक विज्ञान, सूचना विज्ञान, रसायन विज्ञान, सांख्यिकी, paleoecology, जीवाश्म विज्ञान, paleozoology, paleoethnobotany और paleobotany पर निर्भर करता है।
यह निश्चित करना कि किस स्थान पर जीवाश्मिकी को जैविकी (biology) से पृथक् किया जा सकता है, प्राय: असंभव सा है।
जीवाश्म अभिलेख इंगित करते हैं कि पक्षियों का प्रादुर्भाव जुरासिक काल के दौरान थेरोपोड डायनासोर से हुआ था और अधिकतर जीवाश्म विज्ञानी पक्षियों को डायनासोरों के आज तक जीवित वंशज मानते हैं।