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out of stock Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


out of stock ka kya matlab hota hai


आउट ऑफ स्टॉक

Adjective:

अनुपलब्ध, अप्राप्य, स्टाक में नहीं,



out of stock शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



उपनषत्स्तुति (शिव रहस्यान्तर्गत, अभी तक अनुपलब्ध है।

वैदिक संस्कृत में क्रियापदों की अवस्था को द्योतित करने वाले दो और लकार हैं : लट् लकार एवं निषेधात्मक लुङ्लकार (Injunctive) (जो लौकिक संस्कृत में केवल निषेधार्थक ‘मा’ से प्रदर्शित होता है और जो लौकिक संस्कृत में पूर्णतः अप्राप्य है।

(4) कुछ वैदिक शब्द लौकिक संस्कृत में अप्राप्य हैं और कुछ नये शब्दों का उद्भव भी हो गया है।

ब्रह्मगुप्त की कृति 'खण्डखाद्यक' की टीका लिखी जो अप्राप्य है।

नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, की एक खोज रिपोर्ट में भी ‘विचारमाला’ व ‘नाम-संकीर्तन’ की अनुपलब्धता का वर्णन है।

संस्कृत का पूर्ण त्रिपिटक अभी अनुपलब्ध है।

यह संपूर्ण अप्राप्य है।

वर्तमान में दोनो अप्राप्य हैं।

इनके अतिरिक्त मीमांसा के प्रसिद्ध आचार्य प्रभाकर के अनुयायी अर्थपत्ति, भाट्टमतानुयायी अनुपलब्धि, पौराणिक सांभविका और ऐतिह्यका तथा तांत्रिक चंष्टिका को भी यथार्थ अनुभव के भेद मानते हैं।

अभाव ज्ञान के लिए मीमांसा में 'अनुपलब्धि' नामक अलग प्रमाण माना गया है।

यह भी विकिपीडिया की तरह मीडियाविकि सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है, इस कारण आप भी इसमें कोई भी सम्पादन कर सकते हैं और अनुपलब्ध शब्दों को जोड़ कर इसे बड़ा कर सकते हैं।

दर्शन के लिए सत्य ज्ञान निरपेक्ष या समग्र का दोषरहित ज्ञान है; विज्ञान की दृष्टि में ऐसा ज्ञान मानव बुद्धि के लिए अप्राप्य है।

रोमन, अरबी एवं अन्य में यह गुण अप्राप्य है।

इन सब पक्षों के मूल में कल्पना का प्राधान्य है, निश्चयात्मक प्रमाण अनुपलब्ध हैं।

९०- (१) देव्युपनिषद् (पद्यात्मक एवं मन्त्रात्मक) (सामवेद) * (२) देव्युपनिषद् (शिवरहस्यान्तर्गत-अनुपलब्ध)।

लौकिक संस्कृत में प्रयुक्त ‘परिवार’ शब्द वैदिक संस्कृत में अनुपलब्ध है।

जबकि लौकिक संस्कृत के छन्द वंशस्थ, उपेन्द्रवज्रा, शिखरिणी आदि वेदों में पूर्णतः अप्राप्य हैं।

इनमें से बहुत से रत्न अब अप्राप्य हैं तथा बहुत से नए-नए रत्नों का आविष्कार भी हुआ है।

नीहार की विषयवस्तु के सम्बंध में स्वयं महादेवी वर्मा का कथन उल्लेखनीय है- "नीहार के रचना काल में मेरी अनुभूतियों में वैसी ही कौतूहल मिश्रित वेदना उमड़ आती थी, जैसे बालक के मन में दूर दिखायी देने वाली अप्राप्य सुनहली उषा और स्पर्श से दूर सजल मेघ के प्रथम दर्शन से उत्पन्न हो जाती है।

हालांकि मोज़ेज़ व अन्य (Moses et al.) (1998) एक देशांतरीय अध्ययन, जिसमें कोई भी विकासात्मक या व्यवहारात्मक सूचकांक प्राप्त नहीं हुए, का उल्लेख करते हुए कहा कि मनोवैज्ञानिक तथा भावनात्मक नुकसान की पुष्टि करनेवाला “वैज्ञानिक प्रमाण अनुपलब्ध” है।

उनमें से सामवेद का ज्यौतिषशास्त्र अप्राप्य है, शेष तीन वेदों के ज्यौतिष शास्त्र प्राप्त होते हैं।

वैदिक छन्द जगती, त्रिष्टुभ, अनुष्टुभ तो लौकिक संस्कृत में सर्वथा अनुपलब्ध है।

सन्‌ १९७० में विश्वकोश के प्रथम तीन खंड अनुपलब्ध हो गए।

वृत्तिकार ने "तस्य निमित्त परीष्टिः" पर्यन्त तीन सूत्रों में प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द, अर्थापत्ति और अनुपलब्धि प्रमाणों का सपरिकर विशद विवेचन तथा औत्पत्तिक सूत्र में आत्मवाद का विशेष विवेचन अपने व्याख्यान में किया है।

पाताल विजय, जो आज अप्राप्य रचना है, जिसका उल्लेख नामिसाधु ने रुद्रटकृत काव्यालंकार की टीका में किया है।

जाम्बवती विजय आज एक अप्राप्य रचना है जिसका उल्लेख राजशेखर नामक व्यक्ति ने जह्लण की सूक्ति मुक्तावली में किया है।

Synonyms:

foul,



Antonyms:

fair, unclassified,



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