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onload Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)


onload ka kya matlab hota hai


ऑनलोड

Verb:

उतार देना, उतारना,



onload शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:



एक भविष्यकर्त्ता के अनुसार सांगा को मेवाड़ का शासक बताया जाता है ऐसी स्थिति में कुंवर पृथ्वीराज व जगमाल अपने भाई राणा सांगा को मौत के घाट उतारना चाहते थे परंतु सांगा किसी प्रकार यहाँ से बचकर अजमेर पलायन कर जाते हैं तब सन् 1509 में अजमेर के कर्मचन्द पंवार की सहायता से राणा सांगा को मेवाड़ राज्य प्राप्त हुुुआ।

यदि खुले में झंडा फहराया जा रहा है तो हमेशा सूर्योदय पर फहराया जाना चाहिए और सूर्यास्त पर उतार देना चाहिए चाहे मौसम की स्थिति कैसी भी हो।

एवी वी के मुखौटों को उतार देना चाहती है, लेकिन बाद में ऐसा नहीं करने का निश्चय करती है और उसके बदले में, वह उसकी पहचान की शिनाख्त करती है, उसकी बची हुई वेश भूषा में से एक धारण कर लेती है।

घाट शब्द का उपयोग एक मुहावरे ‍ "मौत के घाट उतारना" (अर्थात् हत्या करना) में भी होता है, किन्तु यहाँ पर इसका उपयोग हिन्दुओं द्वारा शवदहन प्रायः किसी घाट पर किये जाने के कारण है।

ध्वज को कब्र में नीचे नहीं उतारना चाहिए या चिता में जलाना नहीं चाहिए।

फिर फिल्म प्रदर्शकों को अपनी प्रस्तुतियों को आकर्षक बनाने के लिए नृत्यांगनाओं, करतबबाजों और पहलवानों को मंच पर उतारना पड़ा।

आपको मुकुट उतारना नहीं पड़ेगा।

हाल ही में और विशेष रूप से अमेरिका में पुरुषों द्वारा अपनी जैकेट उतार देना कहीं अधिक आम हो गया है।

देखते ही देखते दुर्योधन के आदेश पर दुशासन ने पूरी सभा के सामने ही द्रौपदी की साड़ी (चीर) उतारना शुरू कर दी।

सूर्यास्त से पहले या उचित समय पर, झंडा पहले शीर्ष तक बढ़ा कर फिर उसे उतारना चाहिए।

विलय के कागज़ातों पर दस्तखत होते ही रॉयल इंडियन एयरफोर्स ने सैन्य टुकडियों को युद्ध क्षेत्र में उतारना शुरू कर दिया और यह था जब रसद कार्य का एक अच्छे प्रबंधन के रूप में काम आया।

मजदूर संघों के आंदोलनों से जुडे हुए नेता अब वोट डालने के अधिकार मिलने के बाद राजनीतिक क्षेत्र में भी हाथ आजमाना चाहते थे और १८६७ व १८८५ में मिले बढे हुए अधिकारों के बाद लिबरल पार्टी ने संघ समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव में उतारना शुरु किया।

वीर्य स्खलन के बाद (लिंग से सफेद शुक्र-द्रव्य निकलने के बाद) लिंग के तनाव समाप्त होने से पहले ही कंडोम को उतार देना चाहिए।

विक्रम की १६वीं शताब्दी के विद्वान् श्रुतसागर ने लिखा है कि कलिकाल में म्लेच्छ आदि यतियों को नग्न अवस्था में देखकर उपद्रव करते हैं इसलिये मंडपदुर्ग (मांडू) में श्रीवसंतकीर्ति स्वामी ने उपदेश दिया कि मुनियों को चर्या आदि के समय चटाई, टाट आदि से शरीर को ढक लेना चाहिए और चर्या के बाद चटाई आदि को उतार देना चाहिए।

मल-मूत्र विसर्जन के दौरान जनेऊ को दाहिने कान पर चढ़ा लेना चाहिए और हाथ स्वच्छ करके ही उतारना चाहिए।

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