ohed Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
ohed ka kya matlab hota hai
ओहेस
Noun:
झोंपड़ा, कुटिया, गैरेज, मोटरख़ाना, सायबान, ओसारा, छप्पर,
Verb:
गिरा देना, बिखराना, ढलकाना, फैलाना, फेंकना, निकालना, सायबान में रखना, बहाना,
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ohed शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
अखंड अग्नि प्रज्ज्वलित रहती है और कुछ-कुछ दूरी पर सप्तर्षियों के नाम पर सात कुटिया बनी हुई है, जिनमें आश्रम के लोग रहते हैं।
देशभक्ति के गीत माणि माधव चाक्यार (15 फर्वरि 1899 - 14 जन्वरि 1991) केरला के प्राचीन संस्कृत नाटक परम्परा कुटियाट्टम के महान कलाकार थे।
अजमेर में 1153 ई में प्रथम नरेश बीसलदेव चौहान ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद बनवाई थी।
इस प्रकार अहल्या के साथ संगम कर वह कुटिया से निकला।
वर्तमान चक्रदाहा से नवरतनपुर के बीच प्राचीन सोन नदी के किनारे मगध साम्राज्य के प्रधानमंत्री सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री चाणक्य की तपस्थली कुटिया थी, जहां चौथी शताब्दी ईसापूर्व में चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य से प्रारंभिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
तहसील स्तर पर चौथ का बरवाड़ा, भगवतगढ़ एवं शिवाड़ तीन कस्बे है. तहसील का सबसे बड़ा मीणा जाति का ग्राम झोंपड़ा है।
झोंपड़ा ग्राम पंचायत की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 5184 है और ग्राम पंचायत में कुल घरों की संख्या 1080 है।
ग्राम पंचायत में झोंपड़ा, बगीना, सिरोही, नाहीखुर्द एवं झड़कुंड गाँव शामिल है।
जिन युवाओं ने बाबा को कुटिया में सदा लेटे हुए ही देखा- शायद ही कभी अंदाज लगा पाए होंगे कि यह शख्स जब खड़ा रहा करता था तब क्या कहर ढाता था।
फड़ झोंपड़ा गाँव राजस्थान राज्य के सवाई माधोपुर जिले की चौथ का बरवाड़ा तहसील में आने वाली प्रमुख ग्राम पंचायत है ! ग्राम पंचायत का सबसे बड़ा गाँव झोंपड़ा है जिसमें मीणा जनजाति का नारेड़ा गोत्र मुख्य रूप से निवास करता हैं।
यहाँ मंदिर प्रांगण में छोटीसी ८४ भूलभुलैया है, जो सुदामाजी के द्वारिका से वापसी के बाद अपनी कुटिया खोजने की बात को याद दिलाते है।
बताते है वनवास की पहली रात में जब भगवान राम और देवी सीता कुटिया में विश्राम करने चले गये तो लक्ष्मण कुटिया के बाहर एक प्रहरी के रुप में पहरा दे रहे थे।
रविदास पड़ोस में ही अपने लिए एक अलग कुटिया बनाकर रहने लगे एवम तत्परता से अपने व्यवसाय का काम करते थे और शेष समय ईश्वर-भजन तथा साधु-सन्तों के सत्संग में व्यतीत करते थे।
झोंपड़ा गाँव की बसावट विषमबाहु आकार की है मगर गाँव की एकता को देखने के बाद पता चलता है कि यहाँ पर विविधता में भी एकता अलग से ही दिखाई पड़ती है गाँव का पोस्ट मुख्यालय भगवतगढ़ लगता है वही डाक पोस्ट ऑफिस गाँव में स्थित है।
जब राम उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी।
भगवतगढ़, शिवाड़, ईसरदा, सारसोप, झोंपड़ा, चौथ का बरवाड़ा रेलवे स्टेशन, बनास नदी, डेकवा, बगीना, पाँवडेरा, बलरियाँ, गिरधरपुरा,बिनजारी* जौंला, पीपल्या, ग्राम सिरोही, रामस्वरूप जोगी, आदलवाड़ा कलाँ, भैड़ोला, धौली, डिडायच, गुणशीला, क्यावड़, गलवा नदी, बंदेड़ियाँ,।
चौथ का बरवाड़ा तहसील में पड़ने वाले बड़े गाँव इस प्रकार है: चौथ का बरवाड़ा, भगवतगढ़, शिवाड़, झोंपड़ा, ईसरदा, सारसोप, आदि।
कहते हैं कि चाणक्य राजसी ठाट-बाट से दूर एक छोटी सी कुटिया में रहते थे।
वहां एक कुटिया बनाकर उसका प्रभार एक संन्यासी को सौंपा, इसलिए अद्यपर्यन्त उनके राम मंदिर के महन्त संन्यासी ही होते हैं जबकि वहां के अन्य मंदिरों के वैरागी हैं।
ग्राम पंचायत का सबसे विशाल एवं प्राचीन वृक्ष धंड की पीपली है जो झोंपड़ा, बगीना एवं जगमोंदा गाँवों से लगभग बराबर दूरी पर पड़ती है।
संजीवनी बूटी का रहस्या सुषेण वैध को पता था इसलिए हनुमान जी उनको उनकी कुटिया सहित उठा लाए थे, सुषेण वैध जी ने शिव की तपस्या करके उनसे अमर होने का वरदान मांगा था लेकिन शिव ने कहा यह संभव नहीं लेकिन मैं तुम्हें संजीवनी विद्या के बारे में बता सकता हूं।
राजस्थान राज्य में बनास नदी के तट पर बसा हुआ झोंपड़ा गाँव जिला मुख्यालय सवाई माधोपुर से ३२ कि मी व तहसील मुख्यालय चौथ का बरवाड़ा से १२ कि मी की दूरी पर स्थित है।
जब अर्जुन अपने कुटिया पहुँचे तो कुन्ती पूजा कर रही थी।
झोंपड़ा गाँव मीणा बाहुल्य क्षेत्र होते हुए भी यहाँ पर सभी जाति के लोग प्रेम व्यवहार से रहते है वहीं गाँव की एकता अखंडता को बनाए रखते है।