nurselike Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
nurselike ka kya matlab hota hai
नर्सनुमा
Noun:
प्रेमपात्र, शिष्य, शागिर्द,
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nurselike शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)।
इसी दिन उनके प्रथम शिष्य, गौतम गणधर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ था।
इसी दिन संध्याकाल में उनके प्रथम शिष्य गौतम गणधर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
चाची तात्याना इन्हें आदर्श ताल्लुकेदारों बनाना चाहती थी और इसी उद्देश्य से, तत्कालीन संभ्रात समाज की किसी महिला को प्रेमपात्री बनाने के लिये उकसाया करती थीं।
हे राजश्रेष्ठ, यह कौन न कुछ जाननेवाला, पेटपालू उत्पन्न हो गया, जिसके कहने से कामदेव के समान कुमार को आप मार डालना चाहते हैं?" इसके अलावा, भोज के मारे जाने पर बूढ़े राजा सिंधुल के अत्यन्त प्रेमपात्र वे महान् वीरगण, जो इस समय आपके आज्ञापालक हैं, आपके नगर का नाश कर देंगे।
इसके प्रवक्ता मार्कण्डय ऋषि और श्रोता क्रौष्टुकि शिष्य हैं।
वह दसवें अंक तक कथा बढ़ाकर राजा की सम्मति दिलवाकर प्रेमपात्र नहीं, विवाह कराता है।
एक मत के अनुसार गांधीजी को बापू सम्बोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति उनके साबरमती आश्रम के शिष्य थे सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित करते हुए आज़ाद हिन्द फौज के सैनिकों के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनाएँ माँगीं थीं।
आरंभिक राष्ट्रवादियों के प्रेरणा के केन्द्र बिन्दू बने रामकृष्ण परमहंस के शिष्य स्वामी विवेकानंद।
उसमें लिखा है कि व्यास का एक 'लोमहर्षण' नाम का शिष्य था जो सूति जाति का था।
उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है।
वेदों को श्रवण परम्परा के अनुसार गुरू द्वारा शिष्यों को दिया जाता था।
फारसी में एक मसल है कि प्रेम पहले प्रेमपात्र के हृदय में उत्पन्न होता है।
दूसरी और इस परंपरा के बीज लोककाव्यों में भी स्थित जान पड़ते हैं, जहाँ विरही और विरहिणियाँ अपने अपने प्रेमपात्रों के पति भ्रमर, शुक, चातक, काक आदि पक्षियों के द्वारा संदेश ले जाने का विनय करती मिलती हैं।
भारत के विविध शास्त्रीय नृत्यों की अनवरत शिष्य परंपराएँ हमारी इस सांस्कृतिक विरासत की धारा को लगातार पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित करती रहेंगी।
लोमहर्षण के छह शिष्य थे— सुमति, अग्निवर्चा, मित्रयु, शांशपायन, अकृतव्रण और सावर्णी।
भगवान शंकरजी की प्रेरणा से रामशैल पर रहनेवाले श्री अनन्तानन्द जी के प्रिय शिष्य श्रीनरहर्यानन्द जी (नरहरि बाबा) ने इस रामबोला के नाम से बहुचर्चित हो चुके इस बालक को ढूँढ निकाला और विधिवत उसका नाम तुलसीराम रखा।