nro Meaning in Hindi (शब्द के हिंदी अर्थ)
nro ka kya matlab hota hai
नहीं
Noun:
एनआरओ,
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nro शब्द के हिंदी अर्थ का उदाहरण:
प्रत्येक शब्द के ऊपर एक रेखा खिंची होती है (कुछ वर्णों के ऊपर रेखा नहीं होती है) इसे शिरोरेखा कहते हैं।
उनका अभियान गीत 'कदम कदम बढ़ाए जा' भी इसी भाषा में था, परन्तु सुभाष चन्द्र बोस हिन्दुस्तानी भाषा के संस्कृतकरण के पक्षधर नहीं थे, अतः शुभ सुख चैन को जनगणमन के ही धुन पर, बिना कठिन संस्कृत शब्दावली के बनाया गया था।
प्रोफ़ेसर महावीर सरन जैन ने अपने "हिन्दी एवं उर्दू का अद्वैत" शीर्षक आलेख में हिन्दी की व्युत्पत्ति पर विचार करते हुए कहा है कि ईरान की प्राचीन भाषा अवेस्ता में 'स्' ध्वनि नहीं बोली जाती थी बल्कि 'स्' को 'ह्' की तरह बोला जाता था।
हालाँकि व्याकरणिक रूप से उर्दू और हिन्दी में कोई अन्तर नहीं है परन्तु कुछ विशेष क्षेत्रों में शब्दावली के स्रोत (जैसा कि ऊपर लिखा गया है) में अन्तर है।
हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा नहीं है क्योंकि भारत के संविधान में किसी भी भाषा को ऐसा दर्जा नहीं दिया गया है।
इनमें से ळ (मूर्धन्य पार्विक अन्तस्थ) एक अतिरिक्त व्यंजन है जिसका प्रयोग हिन्दी में नहीं होता है।
भारत की स्वतंत्रता के पहले और उसके बाद भी बहुत से लोग हिन्दी को 'राष्ट्रभाषा' कहते आये हैं (उदाहरणतः, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे आदि) किन्तु भारतीय संविधान में 'राष्ट्रभाषा' का उल्लेख नहीं हुआ है और इस दृष्टि से हिन्दी को राष्ट्रभाषा कहने का कोई अर्थ नहीं है।
इसका मूल नाम 'पारसी' है पर अरब लोग, जिन्होंने फ़ारस पर सातवीं सदी के अंत तक अधिकार कर लिया था, की वर्णमाला में 'प' अक्षर नहीं होता है।
वह एनआरओ मकदमेका भी हिस्सा भी रहे।
फारसी में कोई व्याकरणिक लिंग नहीं है और न ही सर्वनाम प्राकृतिक लिंग के लिए चिह्नित हैं।
इनका स्रोत संस्कृत नहीं है।
जनभाषा व्याकरण के नियमों का अनुसरण नहीं करती, परन्तु व्याकरण को जनभाषा की प्रवृत्तियों का विश्लेषण करना पड़ता है।
देवनागरी या नागरी नाम का प्रयोग "क्यों" प्रारम्भ हुआ और इसका व्युत्पत्तिपरक प्रवृत्तिनिमित्त क्या था- यह अब तक पूर्णतः निश्चित नहीं है।
भारतीय भाषाओं के किसी भी शब्द या ध्वनि को देवनागरी लिपि में ज्यों का त्यों लिखा जा सकता है और फिर लिखे पाठ को लगभग 'हू-ब-हू' उच्चारण किया जा सकता है, जो कि रोमन लिपि और अन्य कई लिपियों में सम्भव नहीं है, जब तक कि उनका विशेष मानकीकरण न किया जाये, जैसे आइट्रांस या IAST ।